Buddhadeb Bhattacharjee passes away: पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का गुरुवार (8 अगस्त) को कोलकाता स्थित उनके घर पर निधन हो गया। वह 80 साल के थे। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की राज्य इकाई के सचिव मोहम्मद सलीम ने यह जानकारी दी। भट्टाचार्य वृद्धावस्था से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित थे। उनके परिवार में पत्नी मीरा और बेटी सुचेतना हैं। माकपा नेता भट्टाचार्य 2000 से 2011 तक राज्य के मुख्यमंत्री थे। उनका निधन राजधानी कोलकाता के बल्लीगंज स्थित उनके आवास पर गुरुवार सुबह 8.20 बजे हुआ।
भट्टाचार्य आखिरी मार्क्सवादी मुख्यमंत्री थे। वह मई 2011 तक सत्ता में रहे। भट्टाचार्य को 29 जुलाई 2023 को कई बीमारियों के चलते कलकत्ता के अलीपुर में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां उनका निमोनिया का इलाज चल रहा था। उस दौरान उन्हें वेंटिलेशन पर रखना पड़ा था। लेकिन इलाज के बाद उनकी हालत में सुधार हुआ। फिर 9 अगस्त को उन्हें छुट्टी दे दी गई।
बुद्धदेव भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और एक प्रमुख कम्युनिस्ट राजनीतिज्ञ थे। भट्टाचार्य का गुरुवार (8 अगस्त, 2024) को 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के 7वें मुख्यमंत्री रहे और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता थे। 1 मार्च, 1944 को जन्मे भट्टाचार्य का राजनीतिक करियर पांच दशकों से अधिक लंबा रहा।
वे व्यापार के प्रति अपनी अपेक्षाकृत खुली नीतियों के लिए जाने जाते थे, जो उनकी पार्टी के पारंपरिक रूप से पूंजीवाद विरोधी रुख के विपरीत थी। हालांकि, मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल में भूमि अधिग्रहण के महत्वपूर्ण विरोध और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा के आरोप लगे, जिसने 2011 के चुनाव में उनकी हार में योगदान दिया।
इस हार ने पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे के 34 साल के शासन को समाप्त कर दिया, जो दुनिया की सबसे लंबी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई कम्युनिस्ट सरकार थी। भट्टाचार्य मार्क्सवादी पार्टी के आखिरी मुख्यमंत्री थे। वह ज्योति बसु के उत्तराधिकारी बने और मई 2011 तक सत्ता में रहे, जब तक की ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) सत्ता में नहीं आई।
ज्योति बसु के उत्ताधिकारी
बुद्धदेव भट्टाचार्य 2000 से 2011 तक बंगाल के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने माकपा के वरिष्ठ नेता ज्योति बसु का स्थान लिया था। बुद्धदेव भट्टाचार्य पूर्वी राज्य के अंतिम वामपंथी मुख्यमंत्री थे। वे 2011 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) से हार गए थे, जिसके बाद बंगाल में वामपंथियों का 34 साल पुराना शासन खत्म हो गया था।
उनका कार्यकाल ममता बनर्जी के नेतृत्व में उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर हुए प्रदर्शनों से परिभाषित हुआ। उन्होंने 2015 में माकपा पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति से इस्तीफा दे दिया और तीन साल बाद पार्टी के राज्य सचिवालय की सदस्यता छोड़ दी। पिछले कुछ वर्षों में बुद्धदेव भट्टाचार्य ज्यादातर सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर रहे। वह दक्षिण कोलकाता के पाम एवेन्यू में अपने दो कमरों वाले सरकारी फ्लैट में ही रहे।
उनकी आखिरी सार्वजनिक उपस्थिति 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले कोलकाता में थी। जब उन्होंने ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ ब्रिगेड परेड ग्राउंड में वामपंथियों की रैली में अघोषित रूप से पहुंचकर अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को चौंका दिया था।
राज्य में तेजी से औद्योगिकीकरण के लिए भट्टाचार्य का प्रयास ही सीपीएम के सत्ता से बाहर होने के कारणों में से एक माना जाता है, जो 34 साल तक लगातार दो मुख्यमंत्रियों बसु और भट्टाचार्य के अधीन रहा। भट्टाचार्य ने टाटा मोटर्स को हुगली के सिंगूर में ऑटोमोबाइल फैक्ट्री बनाने के लिए कहा था, जब वाम मोर्चा सत्ता में वापस लौटा था। हालांकि वह उनका आखिरी कार्यकाल साबित हुआ। ममता बनर्जी और एक इंद्रधनुषी गठबंधन के नेतृत्व में सिंगूर और नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलनों ने वाम मोर्चा शासन को खत्म कर दिया।
2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान सीपीएम ने बंगाल के मतदाताओं को संबोधित करने वाला भट्टाचार्य का AI जनरेटेड भाषण जारी किया था, जिसमें उन्होंने मतदाताओं से BJP और तृणमूल दोनों को खारिज करने का आग्रह किया था। शानदार कवि और अनुवादक भट्टाचार्य एक शौकीन पाठक थे। वह गेब्रियल गार्सिया मार्केज को अपने पसंदीदा में से एक मानते थे।