Maharashtra political crisis: अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP के नेता एवं महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने सोमवार (15 जुलाई) को मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार से उनके आवास पर मुलाकात की। इससे एक दिन पहले मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष द्वारा सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार करने को लेकर भुजबल ने पवार पर परोक्ष रूप से निशाना साधा था। शरद पवार से छगन भुजबल की मुलाकात के ने महाराष्ट्र में सियासी हलचल बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि छगन भुजबल NCP प्रमुख अजित पवार का साथ छोड़ सकते हैं।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की अगुवाई वाली प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से ताल्लुक रखने वाले भुजबल पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार के मुंबई स्थित 'सिल्वर ओक' आवास पर पहुंचे। भुजबल ने बाद में पत्रकारों से कहा कि मराठा आरक्षण के मुद्दे उन्होंने शरद पवार से मुलाकात की है।
कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (उद्धव बालासाबेब ठाकरे) से मिलकर बने महा विकास अघाड़ी (MVA) के नेता 9 जुलाई को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं हुए। उनका दावा था कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष को विश्वास में नहीं लिया गया।
भुजबल ने रविवार को दावा किया था कि विपक्षी नेता 9 जुलाई को "शाम पांच बजे बारामती से आए एक फोन कॉल के बाद" बैठक में शामिल नहीं हुए। पुणे जिले का बारामती लोकसभा क्षेत्र 83 वर्षीय शरद पवार का गढ़ है।
NCP के सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि छगन भुजबल को लग रहा है कि पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। उन्होंने कहा कि वह अजित पवार के संगठन के साथ हैं, लेकिन पार्टी के भीतर राजनीतिक रूप से अलग-थलग हैं।
भुजबल की शरद पवार से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर राज्य के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि वैचारिक मतभेदों के बावजूद महाराष्ट्र में राजनीतिक नेताओं के बीच एक-दूसरे से चर्चा करना एक आम बात है। शरद पवार की पार्टी के नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा, "यह शरद पवार की उदारता का परिचायक है कि वह सार्वजनिक क्षेत्र में भी विपरीत विचार रखने वाले व्यक्तियों को समय देते हैं।"
शिवसेना का थाम सकते हैं हाथ
जून में ऐसी खबरें सामने आईं कि भुजबल एनसीपी छोड़ने की तैयारी में हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि भुजबल कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जिनमें से एक अपनी खुद की पार्टी बनाना है। हालांकि सबसे अधिक संभावना शिवसेना (UBT) में शामिल होने की है। भुजबल ने तीन दशक पहले अविभाजित शिवसेना छोड़ दी थी। रिपोर्ट के अनुसार, ओबीसी नेता के करीबी लोगों ने कहा कि वह लोकसभा टिकट से वंचित होने से दुखी थे। लेकिन उन्हें सुनेत्रा को राज्यसभा सीट के लिए चुने जाने से दूसरा बड़ा झटका लगा।