सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने हैदराबाद में कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक के पहले दिन भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) ब्लॉक के साफ संदर्भ में कहा कि 2024 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ जीत के लिए एकजुट होकर चुनाव लड़ना जरूरी है। गांधी गठबंधन की ताकत जानते हैं। ये संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) ही था, जिसने 2009 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में अजेय माने जाने वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को सत्ता से बाहर कर दिया था। लेकिन तब समय अलग था।
कांग्रेस अग्रणी थी, वो निर्णय ले सकती थी और दूसरे दलों की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं से अभिभूत नहीं हो सकती थी। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) जैसे क्षेत्रीय दल कांग्रेस के तहत काम करके खुश थे।
समय बदल गया है और महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई हैं। सबसे बड़ी चिंता आम आदमी पार्टी (AAP) की बढ़ती ताकत है। दिल्ली बिल को लेकर आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ विरोध और समर्थन की आवाजों के बावजूद केंद्रीय नेतृत्व AAP के पास पहुंचा और उसके साथ खड़ा रहा।
जो लोग ऐसे किसी भी गठबंधन के खिलाफ थे, उन्होंने त्यागपत्र की भावना से इस निर्णय को स्वीकार कर लिया। हालांकि, CWC की बैठक में इस स्वीकृति की जांच नहीं की जा सकी।
हैदराबाद को इसलिए चुना गया, क्योंकि कांग्रेस को यकीन है कि वह भारत राष्ट्र समिति (BRS) और उसकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को हरा सकती है। लेकिन CWC, कांग्रेस की महत्वाकांक्षा के साथ-साथ INDIA गठबंधन की प्रतिबद्धता के बावजूद, असहमति की आवाज को रोक नहीं सकी।
News18 के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि पंजाब और दिल्ली के कुछ नेताओं ने ये मुद्दा उठाया और कहा कि AAP पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
AAP के साथ किसी भी गठबंधन के खिलाफ पुरजोर वकालत करने वाले अजय माकन और पंजाब कांग्रेस विधानसभा के नेता प्रताप बाजवा ने पूछा, “अगर AAP पर भरोसा किया जा सकता है, तो वो उन राज्यों में प्रचार क्यों कर रही है, जहां सीधी BJP बनाम कांग्रेस लड़ाई है? क्या इससे BJP को मदद नहीं मिलती?”
ये दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल के अभियानों के संबंध में है। सच तो ये है कि दिल्ली और पंजाब दोनों जगह कांग्रेस को AAP से नुकसान हुआ है, इसलिए राज्य के नेता पार्टी से सावधान हैं।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनकी चिंताओं को स्वीकार कर लिया। लेकिन उन्होंने उन्हें ये भी आश्वासन दिया कि आगे कोई भी निर्णय राज्य इकाई से परामर्श के बाद ही लिया जाएगा।
ये महत्वपूर्ण है, क्योंकि भोपाल बैठक में सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाएगा और कांग्रेस इन क्षेत्रों में AAP को कोई जगह नहीं देना चाहती। व्यक्तिगत हित को एकता की बातचीत के साथ जोड़ना एक चुनौती होगी।