Jharkhand Political Crisis: जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन की याचिका पर हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी से राहत के लिए हाई कोर्ट जाने को कहा।
अपनी गिरफ्तारी की आशंका के कारण झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) नेता हेमंत सोरेन ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी याचिका में प्रवर्तन निदेशालय (ED) पर उन्हें सुनियोजित साजिश के तहत गिरफ्तार करने का आरोप लगाया था। उन्होंने याचिका में कहा था कि अब से कुछ महीनों बाद होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई।
शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिका में सोरेन ने उनकी गिरफ्तारी को अनुचित, मनमाना और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन घोषित करने का आग्रह किया था। सोरेन को 31 जनवरी को भूखंड के अवैध कब्जे और भूमि माफिया के साथ कथित संबंध से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। रांची की एक विशेष PMLA अदालत ने उन्हें गुरुवार को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
ED ने सोरेन का 10 दिन का रिमांड मांगा था। अदालत ने अपना आदेश शुक्रवार (2 फरवरी) के लिए सुरक्षित रख लिया। वकीलों ने बताया कि JMM के कार्यकारी अध्यक्ष को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। हेमंत सोरेन को 31 जनवरी की रात 7 घंटे की पूछताछ के बाद ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन को उनकी गिरफ्तारी के बारे में सूचना बुधवार शाम पांच बजे दी गई थी, लेकिन वह आदेश स्वीकार करने को अनिच्छुक थे। ED ने कहा कि वह पहले मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपना चाहते थे।