Karnataka Muslim quota: कर्नाटक में मुस्लिम ठेकेदारों को 4% आरक्षण देने की तैयारी में कांग्रेस सरकार, जल्द आ सकता है बिल

Karnataka Muslim Reservation: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार सरकारी ठेकों में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4% आरक्षण लागू करने जा रही है। बताया जा रहा है कि इसके लिए कांग्रेस कर्नाटक इससे संबंधित कानून में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। बीजेपी ने कहा है कि यह कदम संविधान की भावना के खिलाफ है। यह तुष्टीकरण की राजनीति की पराकाष्ठा के अलावा कुछ नहीं है

अपडेटेड Mar 06, 2025 पर 6:35 PM
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Karnataka Muslim Reservation: मुसलमानों के लिए सरकारी ठेकों में आरक्षण की मांग की गई थी

Karnataka Muslim Reservation Row: कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार सरकारी टेंडरों में मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण लागू करने की तैयारी कर रही है। रिपोर्ट की मानें तो सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों को दिए जाने वाले आरक्षण की तर्ज पर सरकारी ठेकों में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए चार% आरक्षण लागू करने पर विचार कर रही है। राज्य सरकार के इस कदम की भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं ने जमकर आलोचना की है। बीजेपी ने इस 'तुष्टिकरण की राजनीति' करार दिया है।

पिछले महीने राज्य के मुस्लिम विधायकों और समुदाय के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने पहले मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को ज्ञापन सौंपकर मुसलमानों के लिए सरकारी ठेकों में आरक्षण की मांग की थी। सरकार ने इस पर विचार किया, लेकिन जब मामला विवाद में आया तो अपने कदम पीछे खींच लिए थे।

न्यूज एजेंसी IANS के X हैंडल पर शेयर किए एक बयान में मुसलमानों को आरक्षण दिए जाने पर कर्नाटक के कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद ने कहा, "जब हमने इसे दलित समुदायों को दिया, तो क्या यह तुष्टिकरण था? जब हमने इसे पिछड़े वर्गों को दिया, तो क्या यह तुष्टिकरण था? इसी तरह, इसे अल्पसंख्यकों को देना भी तुष्टिकरण नहीं है, अल्पसंख्यक जरूरी नहीं कि केवल मुस्लिम हों।"


वहीं, बीजेपी विधायक वाई. भरत शेट्टी ने कहा कि यह कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा है। पार्टी अपने वोट बैंक को खुश करने की कोशिश कर रही है। उनकी तुष्टिकरण की राजनीति के कारण ही राज्य की कानून-व्यवस्था की बलि चढ़ गई है। अब वे एक कदम और आगे बढ़ गए हैं। अल्पसंख्यक ठेकेदारों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण की नीति तुष्टिकरण की राजनीति का एक उच्च स्तर है, साथ ही यह सत्ता का दुरुपयोग है।

कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "कर्नाटक BJP कांग्रेस सरकार की धर्म के आधार पर समाज और राज्य को विभाजित करने की नीति की कड़ी निंदा करती है और इसका विरोध करती है। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह तुष्टिकरण के लिए सरकारी ठेकों में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने के अपने फैसले को वापस ले। कांग्रेस सरकार केवल मुसलमानों को ही अल्पसंख्यक मानती है तथा अन्य वास्तविक रूप से हाशिए पर पड़े अल्पसंख्यक समुदायों को नजरअंदाज करती है।"

हालांकि, कांग्रेस ने अपने फैसले का बचाव करते हुए तर्क दिया है कि इसका उद्देश्य सभी वंचित समुदायों को समान अवसर प्रदान करना है। कांग्रेस विधायक रिजवान ने बताया, "हम हर अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर समाज के कमजोर वर्गों को समान अवसर देने में विश्वास करते हैं। यह बड़े ठेकों के लिए नहीं है। छोटे ठेकेदारों को भी 50 लाख रुपये मिलने चाहिए। फिर हमने पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की शुरुआत की। सभी अल्पसंख्यकों की ओर से हमेशा मांग और दबाव रहता है, चाहे वे ईसाई हों, मुस्लिम हों, बौद्ध हों, सिख हों, आदि। पिछड़े वर्ग के समुदायों के ठेकेदारों ने कहा कि वे सामाजिक रूप से वंचित हैं। कई छोटे अल्पसंख्यकों के लिए भी छोटे ठेके उपलब्ध होने चाहिए।"

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई वाली सरकार कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स (KTPP) एक्ट, 1999 में संशोधन करने जा रही है। सूत्रों ने बताया कि वित्त विभाग ने पहले ही इसका प्लान तैयार कर लिया है। कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने भी संशोधन पर सहमति जता दी है। कैबिनेट की बैठक में इसे मामले को उठाया जाएगा। अगर सहमति बनती है तो सरकार बजट सत्र में इस विधेयक पेश करने कर सकती है।

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