Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राजनीतिक गेंद को घुमाते हुए शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार को 30 जून (गुरुवार) को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया है। राज्यपाल कोश्यारी ने महाराष्ट्र के विधानभवन के सचिव को गुरुवार सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सरकार का शक्ति परीक्षण कराने को कहा है।
कोश्यारी द्वारा मंगलवार देर रात जारी पत्र की कॉपी मनीकंट्रोल के पास उपलब्ध है। यह पत्र वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा सत्तारूढ़ शिवसेना से बगावत के बीच आया है। शिंदे शिवसेना के 55 में से करीब 39 विधायकों और कई निर्दलीय विधायकों के साथ पिछले सप्ताह से गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए हैं, जिससे ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार संकट में घिर गई है।
महाराष्ट्र विधानभवन के प्रधान सचिव राजेंद्र भागवत को लिखे पत्र में कोश्यारी ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा का एक विशेष सत्र 30 जून (गुरुवार) को सुबह 11 बजे बुलाया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री के खिलाफ विश्वास प्रस्ताव पर मतदान एकमात्र एजेंडा होगा। किसी भी सूरत में सदन की कार्यवाही शाम पांच बजे तक पूरी करनी होगी।
पत्र में कहा गया है कि सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाएगा और इसके लिए उचित प्रबंध किए जाएंगे। शिवसेना के नेता एवं मंत्री एकनाथ शिंदे की बगावत से महाराष्ट्र में उत्पन्न राजनीतिक स्थिति के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार रात को राजभवन में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की।
फडणवीस ने कोश्यारी से अनुरोध किया कि वह उद्धव ठाकरे सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहें। फडणवीस ने दावा किया कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार अल्पमत में प्रतीत हो रही है क्योंकि शिंदे गुट के 39 शिवसेना विधायकों ने कहा है कि वे सरकार का समर्थन नहीं करते हैं।
क्या होता है फ्लोर टेस्ट?
फ्लोर टेस्ट (Floor Test) को हिंदी में विश्वासमत कहते हैं। यह एक ऐसी प्रकिया होती है जिससे पता लगाया जाता है कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले व्यक्ति या उसकी पार्टी के पास पर बने रहने के लिए पर्याप्त बहुमत है या नहीं। यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है जिसके तहत राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को राज्य की विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित करने के लिए कहा जाता है। फ्लोर टेस्ट संसद और राज्य विधानसभाओं दोनों में होता है।
फ्लोर टेस्ट में विधायकों को विधानसभा में व्यक्तिगत रूप से पेश होना होता है और सबके सामने अपना वोट देना होता है। फ्लोर टेस्ट में विपक्षी पार्टियां सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाती हैं, इसके बाद विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराया जाता है। फ्लोर टेस्ट के दौरान मुख्यमंत्री बहुमत साबित करने में सफल हो जाते हैं तो सरकार बनी रहती हैं, अगर बहुमत साबित करने में विफल रहते हैं तो सरकार गिर जाती है।
कई बार ऐसे देखा गया है कि जब सरकारें देखती हैं कि उनके पास पर्याप्त संख्याबल नहीं हैं तो फ्लोर टेस्ट से पहले ही मुख्यमंत्री अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं। ऐसा कर्नाटक में भी हुआ था जब विधानसभा चुनाव के बाद फ्लोर टेस्ट से पहले ही बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
फ्लोर टेस्ट के आदेश को शिवसेना की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
महाराष्ट्र विधानसभा में कल फ्लोर टेस्ट करने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के आदेश को शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु की ओर से राज्यपाल कोश्यारी के आदेश के खिलाफ अर्जी दाखिल की गई है। इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार शाम 5 बजे का समय तय किया है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने दोपहर 3 बजे तक सभी पक्षों को अर्जी की कॉपी सौंपने को कहा है।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट (महाराष्ट्र के राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाने के फैसले के खिलाफ) जाएंगे। यह एक गैरकानूनी गतिविधि है, क्योंकि हमारे 16 विधायकों की अयोग्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। राज्यपाल को बस इसी पल का इंतजार था। इस बीच बीजेपी ने अपने विधायकों को आज शाम मुंबई के ताज प्रेसिडेंट होटल में इकट्ठा होने का निर्देश दिया है।