महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के शिवसेना (Shiv Sena) धड़े को मिले पार्टी चिन्ह पर सिख समुदाय के नेताओं ने चिंता जताई है। सिख नेताओं ने कहा, शिंद धड़े को मिला चिन्ह- "दो तलवारें और एक ढाल", खालसा पंथ (Khalsa Panth) का धार्मिक प्रतीक था।
गुरुद्वारा सचखंड बोर्ड, नांदेड़ के पूर्व सचिव रंजीतसिंह कामठेकर और एक स्थानीय कांग्रेस नेता ने चुनाव आयोग (EC) को पत्र लिखकर इस चुनाव चिह्न को अलॉट नहीं करने के लिए कहा है, क्योंकि इसका एक धार्मिक अर्थ है।
कामठेकर ने कहा कि अगर चुनाव आयोग उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं करता है, तो वे कार्रवाई के लिए अदालत जा सकते हैं।
Hindustan Times ने उनके हवाले से कहा, "हमारे धार्मिक गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ के धार्मिक प्रतीक के रूप में तलवार और ढाल को स्थापित किया था।"
कामथेकर ने कहा कि चुनाव आयोग ने शिंदे और उद्धव ठाकरे के गुट को त्रिशूल और गदा को खारिज कर दिया था। आयोग ने इसके पीछे एक धार्मिक अर्थ का हवाला दिया था।
उन्होंने Hidustan Times से कहा, 'मैं चुनाव आयोग के ध्यान में लाना चाहता हूं कि शिंदे गुट को दिए गए चुनाव चिन्ह का भी एक धार्मिक महत्व है। मुझे उम्मीद है कि चुनाव आयोग इस पर ध्यान देगा।”
शिंदे ने 11 अक्टूबर को भारत के चुनाव आयोग की तरफ से शिवसेना के अपने गुट को 'दो तलवारें और एक ढाल' का प्रतीक देने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज और पुरानी सेना से भी जुड़ा था।
शिंदे ने मीडिया से कहा कि उनकी पहली पसंद 'सूरज' था। 'बालासाहेबंची शिवसेना' आम आदमी की शिवसेना है। हम चुनाव आयोग के इस फैसले को स्वीकार करते हैं।
यह पुरानी शिवसेना का प्रतीक है...यह एक महाराष्ट्रीयन प्रतीक है। यह छत्रपति शिवाजी और उनके मावलों (सैनिकों) का प्रतीक है।