कांग्रेस प्रमुख खड़गे के 2 साल: छत्तीसगढ़-राजस्थान गंवाकर मिले 3 राज्य, हरियाणा ने उतारा लोकसभा चुनाव का खुमार
Mallikarjun Kharge: लोकसभा चुनाव के बाद जहां कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन आक्रामक थे। वहीं बीजेपी डिफेंसिव दिख रही थी। सोशल मीडिया पर तो जबरदस्त नैरेटिव गढ़ा जा रहा था और हरियाणा में कांग्रेस की जीत बिल्कुल पक्की बताई जा रही थी। लेकिन हरियाणा में कांग्रेस को सदमे जैसा झटका लगा
Mallikarjun Kharge: 19 अक्टूबर को मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बने 2 साल पूरे हो जाएंगे
Mallikarjun Kharge 2 years of Congress chief: "देश के लोगों ने सत्ताधारी पार्टी के तानाशाही और अलोकतांत्रिक तरीकों के खिलाफ आवाज उठाई है। यह बीते 10 वर्षों के दौरान हुई राजनीति का निर्णायक बहिष्कार है। यह विभाजनकारी, नफरती और ध्रुवीकरण की राजनीति का बहिष्कार है।" कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने CWC की बैठक के दौरान पार्टी नेताओं में जोश भरने के लिए ये बातें कही थीं। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत की उम्मीद थी, लेकिन विपक्षी गठबंधन उसे 240 पर धकेलने में कामयाब रहा था।
कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, पार्टी के भीतर जश्न का माहौल था जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुए। इसके बाद खड़गे पार्टी कार्यकर्ताओं में आगे के चुनाव के लिए जोश भर रहे थे। आगे के चुनाव यानी हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड था।
लोकसभा चुनाव के बाद जहां कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन आक्रामक थे। वहीं बीजेपी डिफेंसिव दिख रही थी। सोशल मीडिया पर तो जबरदस्त नैरेटिव गढ़ा जा रहा था और हरियाणा में कांग्रेस की जीत बिल्कुल पक्की बताई जा रही थी। लेकिन हरियाणा में कांग्रेस को सदमे जैसा झटका लगा। बीजेपी ने कांग्रेस को ऐसी 'राजनीतिक बीमर गेंद' मारी कि देश की सबसे पुरानी पार्टी चारों खाने चित्त हो गई।
जम्मू-कश्मीर में भी कमजोर रहा प्रदर्शन
बीजेपी जम्मू-कश्मीर में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही। जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस को झटका लगा है। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से उसके हिस्से महज 6 सीटें आई हैं। उसका वोट प्रतिशत भी घटा है। हालांकि इंडिया गठबंधन की सरकार बन गई है, जिसका बड़ा हिस्सा नेशनल कांफ्रेंस का है। यानी जम्मू-कश्मीर सरकार में भी कांग्रेस की स्थिति ज्यादा मजबूत नहीं रहेगी।
खड़गे के प्रदर्शन पर भी सवाल
इस चुनावी हार के बाद राहुल गांधी की राजनीति समेत कांग्रेसी सियासत की जमकर समीक्षा की जा रही है। लेकिन यह हार कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए भी बड़ा झटका है। 19 अक्टूबर को मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बने 2 साल पूरे हो जाएंगे। दो साल के इस वक्त में मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी अध्यक्ष के रूप में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा जिसमें सबसे अहम थी उनके गृहराज्य कर्नाटक में पार्टी को विजय दिलाना।
2 साल में खड़गे की सफलताएं
इस चुनौती से पार पाने में मल्लिकार्जुन खड़गे सफल भी रहे थे। कर्नाटक में कांग्रेस की अभूतपूर्व बहुमत के साथ सरकार बनी थी। इतना ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिद्वद्वी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृह राज्य में भी कांग्रेस को जीत मिली। इसने पार्टी के भीतर खड़गे के कद को और मजबूत किया। कर्नाटक के पड़ोसी तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनी। लोकसभा चुनाव से पहले बने इंडिया अलायंस के बनने में परिपक्व नेता खड़गे की अहम भागीदारी रही है। लेकिन हरियाणा की हार ने कांग्रेसी अध्यक्ष के रूप में खड़गे की सांगठनिक क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कहां दिखीं लीडरशिप की कमियां?
लोकसभा चुनाव से पहले भी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव में कांग्रेसी लीडरशिप की कमियां साफ दिखी थीं। मध्य प्रदेश में लंबे समय से राज्य की सत्ता पर काबिज बीजेपी के खिलाफ दिख रहे माहौल के बावजूद कांग्रेस की अंतर्कलह सामने आ गई। पार्टी औंधे मुंह गिर गई। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को अंतर्कलह खा गई तो वहीं राजस्थान 5 साल के शासन की राजनीतिक परंपरा के अनुरूप बीजेपी के खाते में चला गया।
दो साल में क्या हासिल हुआ?
जब खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे तब छत्तीसगढ़ और राजस्थान ऐसे राज्य थे जहां पर कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकारें थीं. अब दो साल तक कांग्रेस का अध्यक्ष रहने के बाद खड़गे के कार्यकाल को देखें तो केवल तीन राज्य हैं जहां पर कांग्रेस की सरकारें हैं. ये हैं- कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश. छत्तीसगढ़ और राजस्थान कांग्रेस गंवा चुकी है. हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्य जो कांग्रेस के लिए अवसर थे, गंवा दिए गए. यहां उन राज्यों की गिनती हो रही है जहां सीधे कांग्रेस के हाथों में कमान है.
दिल्ली में AAP का फैसला
हरियाणा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन की सहयोगी आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी तुरंत घोषणा कर डाली कि वो दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। लोगों के बीच सीधा संदेश गया कि हरियाणा में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के बाद AAP ने ऐसा फैसला लिया। खड़गे जब कांग्रेस प्रेसिडेंट बने थे तब पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था, "एक सांगठनिक व्यक्ति के रूप खड़गे कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं। वो पार्टी की बेहतरी के लिए अपनी सांगठनिक क्षमताएं साबित कर चुके हैं।" दिलचस्प बात ये है कि खुद केसी वेणुगोपाल भी हरियाणा चुनाव के बाद विवादों के केंद्र में आए गए।
नहीं दूर हो रही अंतर्कलह
दो साल पहले जब मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बने थे तब पार्टी जिस समस्या से जूझ रही थी, वह आज भी बनी हुई है। कांग्रेस के भीतर की अंतर्कलह रोक पाने में खड़गे नाकामयाब दिखे हैं। इसकी वजह से कई अहम राज्य पार्टी ने गंवाए। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के बाद हरियाणा बस एक अलगी कड़ी भर है।
महाराष्ट्र-झारखंड की चुनौती
कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाते वक्त मल्लिकार्जुन खड़गे के अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने का भी जिक्र खूब हुआ था। जाट वोटों को साधने के चक्कर में हरियाणा में दलित जाति का वोट भी कांग्रेस से छिटका है। अब अगले महीने महाराष्ट्र और झारखंड के बेहद अहम चुनाव हैं। ये चुनाव खड़गे के लिए हरियाणा के बाद पैदा हुई परिस्थितियों में कठिन परीक्षा साबित होंगे। इसमें महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जो खड़गे के गृहराज्य कर्नाटक से सटा हुआ है। देखना होगा कि खड़गे महाराष्ट्र की चुनावी शतरंज में अपनी मोहरें कैसे फिट बिठाते हैं।