तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद डेरेक ओ ब्रायन (Derek O'Brien suspended) को अभद्र आचरण और चेयरमैन के निर्देशों की अवहेलना करने को लेकर बाकी बचे हुए मानसून सत्र से निलंबित कर दिया गया है। सदन में सूचीबद्ध एजेंडा उठाए जाने के बाद, सभापति जगदीप धनखड़ ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए विपक्षी दलों से मांग की और कहा कि यह एजेंडे में था, लेकिन फलीभूत नहीं हुआ है। सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि वह गृहमंत्री अमित शाह की उपलब्धता का पता करेंगे और विपक्षी सदस्य चाहते हैं तो इस पर चर्चा 12 बजे होगी।
सभापति ने कहा कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा ढाई घंटे से ज्यादा चल सकती है, जिसका संकेत सरकार एवं गृहमंत्री ने दिया है। डेरेक ओ ब्रायन औचित्य के सवाल का मुद्दा उठाने के लिए खड़े हुए। इस दौरान सभापति ने उन्हें चेताया कि वह औचित्य के प्रश्न के अलावा कुछ भी न कहें।
तृणमूल कांग्रेस सांसद ने साफ तौर से नियम 267 के तहत चर्चा के लिए विपक्षी दलों द्वारा दिए गए नोटिस का जिक्र किया। इस पर चेयरमैन ने डेरेक का नाम लेकर फिर से चेताया। फिर नेता सदन पीयूष गोयल ने डेरेक ओ ब्रायन को शेष मानसून सत्र के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव पेश कर दिया।
उन्होंने कहा कि डेरेक को अभद्र आचरण करने और चेयर के निर्देशों की अवहेलना करने के लिए बाकी बचे मानसून सत्र से निलंबित किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि डेरेक ब्रायन ने निर्देशों के खिलाफ सभापति के आसन के पास से नारे लगाए। चेयरमैन ने सोमवार को भी डेरेक की खिंचाई की थी। संसद का मानसून सत्र 11 अगस्त को खत्म होना है।
इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि डेरेक ओ ब्रायन के निलंबन पर अभी आखिरी फैसला नहीं लिया गया है। यह मामला अभी राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के पास लंबित है। पीटीआई ने बताया कि ब्रायन को राज्यसभा से निलंबित नहीं किया गया क्योंकि उन्हें निलंबित करने के प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं हुई थी।
NDTV के मुताबिक, जब 12 बजे कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो प्रमोद तिवारी ने राज्यसभा के चेयरमैन से कहा कि सदन से निलंबन एक एक्स्ट्रीम स्टेप होता है और आप उदारता दिखाएं। इसके बाद 12.05 पर चेयरमैन ने जवाब दिया कि मैंने डेरेक ओ ब्रायन के निलंबन का आदेश तो दिया, लेकिन उसके लिए जरूरी प्रस्ताव पर सदन का मत नहीं लिया, जो किसी भी निलंबन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जरूरी है। चेयरमैन ने कहा कि मैंने जानबूझकर ऐसा किया था। अगर मैंने सदन का मत लिया होता तो वह दोबारा कैसे सदन में दिखाई देते।