'चाय लवर्स पॉइंट, अब अहमद टी स्टॉल' मुजफ्फरनगर कांवड़ यात्रा रूट पर नेमप्लेट वाले आदेश पर बवाल, अब तो JDU ने भी उठा दिए सवाल
Muzaffarnagar Kanwar Yatra: मुजफ्फरनगर के पुलिस प्रमुख अभिषेक सिंह ने सोमवार को कहा था, “जिले में कांवड़ यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। यहां लगभग 240 किलोमीटर लंबा कांवड़ रूट है। रास्त पर पड़ने वाले सभी होटल, ढाबे, ठेले वालों से अपने मालिकों या फिर वहां काम करने वालों के नाम लिखने के लिए कहा गया है। ये इसलिए जरूरी है, ताकि किसी कांवड़िये के मन में कोई भ्रम न रहे
मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा पर नेमप्लेट लगाने के आदेश पर बवाल, अब तो JDU ने भी उठा दिए सवाल
कांवड़ यात्रा को लेकर मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश के बाद सियासत गर्मा गई है। मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा के रास्ते पर पड़ने वाली सभी होटल, ढाबे और ठेले वालों के लिए एक आदेश जारी कि ये सभी अपने मालिकों का नाम जरूर लिखें, ताकि “भ्रम की स्थिति” से बचा जा सके। हालांकि, विपक्षी दल इस आदेश को एक खास समुदाय के व्यापारियों को निशाना बनाने की कोशिश बताक कर सरकार और प्रशासन की तीखी आलोचना कर रहे हैं।
दरअसल मुजफ्फरनगर के पुलिस प्रमुख अभिषेक सिंह ने सोमवार को कहा था, “जिले में कांवड़ यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। यहां लगभग 240 किलोमीटर लंबा कांवड़ रूट है। रास्त पर पड़ने वाले सभी होटल, ढाबे, ठेले वालों से अपने मालिकों या फिर वहां काम करने वालों के नाम लिखने के लिए कहा गया है। ये इसलिए जरूरी है, ताकि किसी कांवड़िये के मन में कोई भ्रम न रहे।”
गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते क्या करेंगे?
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को मुजफ्फरनगर पुलिस के इसे आदेश को “सामाजिक अपराध” करार दिया। साथ ही उन्होंने अदालतों से इस मामले का स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध भी किया।
आदेश को लेकर एक अखबार में छपी खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश ने X पर कहा, “...और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा?”
ओवैसी ने की हिटलर के जर्मनी से तुलना
उन्होंने कहा, “माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।”
वहीं AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि ये कदम मुसलमानों को कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) में हिस्सा लेने से रोक सकता है। X पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा, ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम 'Judenboycott' था।
DIG ने बताया क्यों लिया ऐसा फैसला
इस पर मचे बवाल के बाद DIG सहारनपुर अजय कुमार साहनी ने लंबी चौड़ी सफाई भी दी। उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा, "पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं कि होटल और ढाबों पर खाने की रेट लिस्ट को लेकर कांवरियों में बहस हुई। किसी दूसरे समुदाय ने किसी दूसरे के नाम से होटल/ढाबा खोला है और इससे समस्याएं पैदा हुई हैं।"
उन्होंने आगे कहा, इसके मद्देनजर यह निर्णय लिया गया कि दुकानों/होटलों/ढाबों के मालिक/ओनर का नाम बोर्ड पर साफ-साफ लिखा जाएगा, रेट लिस्ट लिखी जाएगी और वहां काम करने वालों के नाम भी लिखे जाएंगे, ताकि कोई समस्या न हो। सभी से बातचीत हो चुकी है और सभी होटल/ढाबे इस पर सहमत हैं। यह हमारे कांवर रूट के लिए तय किया गया है।"
Indian Express के अनुसार, मुजफ्फरनगर में होटल मालिकों ने स्वीकार किया कि आदेशों को लागू किया जा रहा है। खतौली में एक चाय की दुकान के मालिक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने अपनी दुकान का नाम 'चाय लवर्स पॉइंट' से बदलकर वकील साहब टी स्टॉल रख दिया है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने उन्हें बताया कि इससे पता नहीं चल पा रहा है कि ये किसकी दुकान है, इसलिए उन्होंने फिर वकील अहमद टी स्टॉल नाम कर दिया।
JDU ने भी कर दिया विरोध
सिर्फ विपक्ष ही नहीं, अब तो केंद्र में बीजेपी की साथी नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड ने भी इस आदेश का विरोध कर दिया है। JDU के महासचिव केसी त्यागी ने कांवड़ यात्रा वाले इस आदेश की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इस आदेश इलाके में धार्मिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा बढ़ जाएगा।
उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, "मुझे नहीं मालूम कि किस परिस्थिति में जिला प्रशासन ने ये फैसला किया है, लेकिन हम चाहते हैं कि वे इसे रिव्यू करें और दूसरे जिलों में ऐसे आदेश लागू न हो। क्योंकि इससे आपसी माहौल बिगड़ने का खतरा है। साथ ही कई लोगों के रोजगार जाने का भी खतरा है।"