हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस के लिए आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। विपक्ष के INDIA गुट की दूसरी पार्टियां अब कांग्रेस को अपनी रणनीति पर विचार करने के लिए कह रही हैं। जाहिर है इसका सीधा असर आने वाले चुनावों में सीट बंटवारे पर जरूर पड़ेगा। इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी ने बुधवार को साफ कर दिया कि वो दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेगी। इतना ही नहीं AAP ने कांग्रेस को 'ओवरकॉन्फिडेंट' तक बता डाला।
AAP की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा, "हम दिल्ली (विधानसभा) चुनाव अकेले लड़ेंगे। एक तरफ अति आत्मविश्वास वाली कांग्रेस है और दूसरी तरफ अहंकारी बीजेपी है। हमने दिल्ली में पिछले 10 साल में जो किया है, उसके आधार पर चुनाव लड़ेंगे।"
हरियाणा गठबंधन का फायद कांग्रेस को ही होता: AAP
प्रियंका कक्कड़ ने कहा, "मुझे लगता है कि अगर हरियाणा में गठबंधन हो जाता तो नतीजे कुछ और ही होते और मुझे लगता है कि गठबंधन का सबसे ज्यादा कांग्रेस को ही होता। हमने भरपूर कोशिश की थी कि हरियाणा में गठबंधन हो जाए, लेकिन अति आत्मविश्वास से भरी कांग्रेस को ये ठीक नहीं लगा।"
उन्होंने लोकसभा चुनाव में हुए गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा, "आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कांग्रेस को तीन सीटें दी, जबकि पिछले 10 साल से दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस की एक सीट नहीं आई है। ऐसे में ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस को ये सही नहीं लगा कि वो अपने अलायंस पार्टरर्स को साथ लेकर चले।"
AAP नेता ने भूपेंद्र हुड्डा की बयानों को लेकर भी आपत्ति जताई और कहा, "ये बड़े दुख की बात है कि हुड्डा जी ने गठबंधन की बात होने से पहले और जब बात चल रही थी, उस दौरान हमारी पार्टी को लेकर कितने आपत्ति जनक बयान दिए थे।"
केजरीवाल ने भी कांग्रेस को दी नसीहत
वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि चुनाव नतीजों का ‘‘सबसे बड़ा सबक’’ यह है कि चुनावों में कभी भी ‘‘अति आत्मविश्वासी’’ नहीं होना चाहिए।
हरियाणा चुनाव के नतीजों के दौरान, केजरीवाल ने AAP के नगर पार्षदों को संबोधित करते हुए कहा, "देखिए, हरियाणा में चुनाव के नतीजे क्या रहते हैं। सबसे बड़ा सबक यही है कि किसी को भी चुनाव में अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "किसी चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हर चुनाव और हर सीट मुश्किल होती है।"
हरियाणा में सीट बंटवारे को लेकर मतभेद के कारण AAP कांग्रेस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करने में विफल रही थी। AAP ने कांग्रेस से 9 सीटों की मांग की थी, जिसे कांग्रेस ने ठुकरा दिया था।
इसके बाद आम आदमी पार्टी ने राज्य की कुल 90 सीटों में से 89 पर अपने बलबूते चुनाव लड़ा। हालांकि, AAP उम्मीदवार लगभग हर सीट पर BJP और कांग्रेस के अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों से पीछे ही रहे और उसका एक भी सीट पर खाता नहीं खुला।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए गए। इसमें भारतीय जानता पार्टी ने 48 सीटों के साथ सत्ता में तीसरी बार वापसी की, जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 37 सीटें ही गई हैं। आम आदमी पार्टी का खाता भी नहीं खुला। उसके 1.79% वोट मिला।