'आर्टिकल 370 को हमने जमीन में गाड़ दिया': लोकसभा में कांग्रेस पर जमकर बरसे पीएम मोदी, आपातकाल का बताया 'कलंक', पढ़ें- संबोधन की बड़ी बातें

PM Modi in Lok Sabha: भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान लोकसभा में संविधान पर चर्चा में भाग लेते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत का गणतांत्रिक अतीत विश्व के लिए प्रेरक रहा है। इसलिए देश को लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि हम सभी के लिए, सभी देशवासियों के लिए, दुनिया के लोकतंत्र पसंद नागरिकों के लिए ये बहुत गर्व का पल है

अपडेटेड Dec 14, 2024 पर 7:01 PM
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PM Modi in Lok Sabha: संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र के पर्व को बड़े गौरव के साथ मनाने का अवसर है

Constitution Debate Lok Sabha: भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (14 दिसंबर) को कहा कि भारत का गणतांत्रिक अतीत विश्व के लिए प्रेरक रहा है। इसलिए देश को लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि जब हम संविधान लागू होने के 75 वर्ष का उत्सव मना रहे हैं तो अच्छा संयोग है कि राष्ट्रपति पद पर एक महिला आसीन हैं जो संविधान की भावना के अनुरूप भी है। 'संविधान की 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा' चर्चा में भाग लेते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत बहुत जल्द विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में बहुत मजबूत कदम रख रहा है।

पीएम मोदी ने लोकसभा में कहा कि 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक विकसित भारत बनाने का है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि संविधान निर्माताओं के दिमाग में एकता की भावना थी, लेकिन आजादी के बाद देश की एकता के मूल भाव पर प्रहार हुआ। उन्होंने कहा कि गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोग विविधता में एकता की जगह विरोधाभास खोजते रहे।

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इस परिवार ने हर स्तर पर संविधान को चुनौती दी। पीएम ने कहा कि दुनिया में जब भी लोकतंत्र की चर्चा होगी तो कांग्रेस के माथे से कभी यह कलंक मिट नहीं सकेगा क्योंकि लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया था। भारतीय संविधान निर्माताओं की तपस्या को मिट्टी में मिलाने की कोशिश की गई थी।


पीएम मोदी ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि संविधान विविधता में एकता की भावना का संदेश देता है, लेकिन आजादी के बाद एकता के मूल भाव पर प्रहार किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का गणतांत्रिक अतीत विश्व के लिए प्रेरक रहा है और इसलिए देश को लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है।

नेहरु पर बरसे पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि विविधता में एकता ये भारत की विशेषता रही है और इस देश की प्रगति भी विविधता को सेलिब्रेट करने में है। लेकिन गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोगों ने, भारत का भला न देख पाने वाले लोगों ने... वो विविधता में विरोधाभास ढूढंते रहे। इतना ही नहीं, विविधता जो हमारा अमूल्य खजाना है उसको सेलिब्रेट करने के बजाय उस विविधता में ऐसे जहरीले बीज बोने के प्रयास करते रहे, ताकि देश की एकता पर चोट पहुंचे।

पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि पहले पंडित नेहरू का अपना संविधान चलता था और इसलिए उन्होंने वरिष्ठ महानुभावों की सलाह मानी नहीं। उन्होंने कहा कि करीब 6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया, जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री जी ने बोया था उस बीज को खाद-पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री ने किया, उनका नाम था श्रीमती इंदिरा गांधी। पीएम ने कहा कि 1971 में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था, उस फैसले को संविधान बदलकर पलट दिया गया और 1971 में ये संविधान संशोधन किया गया था। उन्होंने हमारे देश की अदालत के पंख काट दिए थे।

'आर्टिकल 370 को हमने जमीन में गाड़ दिया'

पीएम मोदी ने कहा कि हमारी सरकार के निर्णयों में लगातार भारत की एकता को मजबूती देने का प्रयास किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 एकता में रुकावट बना हुआ था और इसलिए हमने उसे जमीन में गाड़ दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने संविधान की एकता की भावना के अनुरूप नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को बहुत बल दिया है और अब गरीब परिवार के बच्चे मातृभाषा में पढ़ाई करके डॉक्टर-इंजीनियर बन सकते हैं।

पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें

- पीएम मोदी ने कहा, "हम सभी के लिए, सभी देशवासियों के लिए, दुनिया के लोकतंत्र पसंद नागरिकों के लिए ये बहुत गर्व का पल है। लोकतंत्र के पर्व को बड़े गौरव के साथ मनाने का अवसर है। संविधान के 75 वर्ष की यात्रा एक अविस्मरणीय यात्रा है और दुनिया के सबसे महान और विशाल लोकतंत्र की इस यात्रा के मूल में हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता का योगदान है, जिसे लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। 75 वर्ष पूरे होने पर ये उत्सव का क्षण है।"

- पीएम मोदी ने आगे कहा, "अब हमारा देश बहुत तेज गति से विकास कर रहा है। भारत बहुत जल्द विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में बहुत मजबूत कदम रख रहा है। यह 140 करोड़ देशवासियों का संकल्प है कि जब हम आजादी की शताब्दी बनाएंगे हम देश को विकसित भारत बनाकर रहेंगे। यह हर भारतीय का संकल्प है लेकिन इस संकल्प से सिद्धि के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है भारत की एकता। हमारा संविधान भी भारत की एकता का आधार है।"

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा, "हमारे संविधान की अपेक्षा एकता की है और इसी को ध्यान में रखते हुए हमने मातृभाषा के महात्मय को स्वीकारा है। हमने नई शिक्षा नीति में भी मातृभाषा को बहुत महत्व दिया है। अब गरीब का बच्चा भी अपनी मातृभाषा में पढ़कर डॉक्टर या इंजीनियर बन सकता है।"

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- पीएम मोदी ने कहा, "आज हमारी हर योजना की सेंटर में महिलाएं होती हैं और जब हम ये संविधान के 75 वर्ष मना रहे हैं, तो ये अच्छा संयोग है कि भारत के राष्ट्रपति के पद पर एक आदिवासी महिला विराजमान है। यही नहीं, हमारे सदन में भी महिला सांसदों की संख्या लगातार बढ़ रही है।"

- आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कहा कि विपक्षी दल के माथे से यह कलंक कभी नहीं मिट सकेगा। पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया में जब भी लोकतंत्र की चर्चा होगी तो कांग्रेस के माथे से कभी यह कलंक मिट नहीं सकेगा क्योंकि लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया था।

- पीएम मोदी ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि संविधान विविधता में एकता की भावना का संदेश देता है, लेकिन आजादी के बाद एकता के मूल भाव पर प्रहार किया गया। उन्होंने कहा, "मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि संविधान निर्माताओं के दिमाग में तो एकता की भावना थी, लेकिन आजादी के बाद देश की एकता के मूल भाव पर प्रहार हुआ और गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोग विविधता में एकता की जगह विरोधाभास खोजते रहे।"

- पीएम मोदी ने कहा, "करीब 6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया। जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री जी ने बोया था उस बीज को खाद-पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री ने किया, उनका नाम था श्रीमति इंदिरा गांधी। 1971 में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था, उस फैसले को संविधान बदलकर पलट दिया गया था, 1971 में संविधान संशोधन किया गया था। उन्होंने हमारे देश की अदालत के पंख काट दिए थे।"

- प्रधानमंत्री ने कहा, "1952 के पहले राज्यसभा का भी गठन नहीं हुआ था। राज्यों में भी कोई चुनाव नहीं थे, जनता का कोई आदेश नहीं था। उसी दौरान उस समय के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी थी। उस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था, 'अगर संविधान हमारे रास्ते के बीच में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए'। 1951 में ये पाप किया गया लेकिन देश चुप नहीं था। उस समय के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें चेताया कि ये गलत हो रहा है। लेकिन पंडित जी का अपना संविधान चलता था और इसलिए उन्होंने इतने वरिष्ठ महानुभावकों की सलाह मानी नहीं। ये संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि समय-समय पर वो संविधान का शिकार करती रही।"

Akhilesh

Akhilesh

First Published: Dec 14, 2024 6:39 PM

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