पंजाब में आप ने इतिहास रच दिया है। राज्य में विधानसभा की कुल 117 सीटों में से आप 90 सीटों पर आगे चल रही है। अगर यह बढ़त कायम रहती है तो आप राज्य में 80 फीसदी सीटों पर जीत हासिल करेगी। पंजाब में आप को ज्यादा सीटे मिलने की उम्मीद पहले से की जा रही थी। एग्जिट पोल ने भी इसका संकेत दिया था। लेकिन, इतनी ज्यादा सीटे मिलेंगी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। आखिर क्या वजह है कि पंजाब के ज्यादातर लोगों ने किसी एक पार्टी पर इतना भरोसा दिखाय है? आइए इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
1. कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर
पंजाब में जबर्दस्त सत्ता विरोधी लहर थी। 2017 के विधानसभा चुनावों में पंजाब की जनता ने कांग्रेस को मौका दिया था। तब राज्य की कुल 117 सीटों में से कांग्रेस ने 77 सीटे जीती थी। भाजपा को 3 और अकाली दल को 15 सीटें मिली थीं। हां, आप ने 20 सीटे जीतकर भविष्य का संकेत दे दिया था। पंजाब पांच साल तक कांग्रेस की अंदरूनी कलह का मैदान बना रहा। बतौर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अच्छी शुरुआत की। लेकिन, नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब की राजनीति में सक्रिय होते ही कांगेस के बुरे दिन शुरू हो गए। उन्होंने कैप्टन के लिए सरकार चलाना मुश्किल कर दिया। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व उन्हें संभालने में नाकाम रहा। सिद्धू की नकेल कसने में सोनिया गांधी और राहुल गांधी नाकाम रहे। आखिर, सिद्धू ने कैप्टन को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाकर ही दम लिया। चरणजीत सिंह चन्नी शुरू से ही एक कमजोर लीडर नजर आए। यह स्पष्ट हो गया कि वह जोड़तोड़ की राजनीति की उपज हैं। लोगों को कांग्रेस में यह सिर फुटैवल पसंद नहीं आया। इसलिए पंजाब के मतदाताओं ने कांगेस को सिरे से खारिज कर दिया।
पंजाब की जनता को दिल्ली में आप सरकार का काम पसंद आया। इसकी एक वजह यह है कि दिल्ली से पंजाब बहुत नजदीक है। दिल्ली की राजनीतिक गलियारों की शोर पंजाब में साफ सुनाई देती है। आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सही वक्त पर मौके को भांप लिया। उन्होंने यह समझ लिया कि पंजाब की जनता भाजपा और अकाली दल को मौका नहीं देगी। कांग्रेस की आंतरिक उठापठक ने लोगों को बहुत निराश किया है। ऐसे में आप मतदाताओं के लिए सही विकल्प हो सकती है। दिल्ली में आप सरकार के एजुकेशन, हेल्थ, बिजली और वाटर सप्लाई से जुड़े कामों को पंजाब की जनता ने पसंद किया।
3. भगवंत मान को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाना
आप ने सही समय पर भगवंत मान को पंजाब में अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर दिया। इससे पंजाब के लोगों में आप के बाहरी बाहरी पार्टी होने की धारणा खत्म हो गई। दूसरे दल खासकर कांग्रेस इस मामले में चूक गई। वहां तो कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू खुद कई मौकों पर चरणजीत सिंह चन्नी का विरोध करते नजर आए। इसने पंजाब की जनता को होशियार कर दिया। उन्हें भगवंत मान में राज्य का मुख्यमंत्री नजर आया।
4. भाजपा और अकाली दल से नाराजगी
पंजाब में 2007 और 2012 में सरकार बनाने वाली अकाली दल से लोग नाराज थे। भाजपा के साथ मिलकर 2007 और 2012 का चुनाव लड़ने वाली अकाली दल ने चुनाव से पहले भाजपा से नाता तोड़ दिया था। लोगों को इसमें अवसरवादिता दिखी। उधर, किसान आंदोलन के चलते लोगों में भाजपा के प्रति काफी नाराजगी थी। किसान आंदोलन जल्द खत्म नहीं होने से चलते पंजाब के लोगों को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इसका नतीजा यह हुआ कि लोगों ने भाजपा और अकाली दल दोनों से दूरी बनाना मुनासिब समझा। पंजाब में भाजपा 3 सीटों पर आगे है, जबकि अकाली दल 6 सीटों पर। 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में अकाली दल को 15 सीटे मिली थीं। इससे साफ है कि जनता ने अकाली दल को सिरे से खारिज किया है।