राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द, मानहानि मामले में सूरत कोर्ट ने सुनाई थी 2 साल की सजा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी मोदी सरनेम टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने की तारीख से लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया है। ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी मामले में सूरत की कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई है। हालांकि, कोर्ट ने सजा को 30 दिन के लिए लिए निलंबित कर दिया है

अपडेटेड Mar 24, 2023 पर 2:46 PM
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Rahul Gandhi को 2019 में दर्ज एक आपराधिक मानहानि के मामले में सूरत कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है

कांग्रेस (Congress) सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को बहुत बड़ा झटका लगा है। राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द हो गई है। कांग्रेस नेता को सूरत की अदालत द्वारा एक मानहानि मामले में दो साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया है। ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी मामले में सूरत की कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई है। हालांकि, कोर्ट ने सजा को 30 दिन के लिए लिए निलंबित कर दिया है।

इसके साथ ही राहुल गांधी को जमानत दे दी गई है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनकी मोदी सरनेम टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने की तारीख से लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया है। राहुल गांधी फिलहाल केरल के वायनाड से सांसद हैं।

कोर्ट ने सुनाई दो साल की सजा


गुजरात के सूरत जिले की एक अदालत ने ‘मोदी’ सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के संबंध में 2019 में दायर आपराधिक मानहानि के मुकदमे में राहुल को दो साल कैद की सजा सुनाई है। दरअसल, 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कर्नाटक में एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था कि कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी है? इसी को लेकर बीजेपी विधायक एवं गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

2013 के लिलि थॉमस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान 8(4) को खारिज कर दिया था, जो दोषी सांसद/विधायक को इस आधार पर सत्ता में बने रहने का अधिकार देता था कि अपील तीन महीने के भीतर दाखिल कर दी गई है।

कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार ने 2013 में जनप्रतिनिधित्व कानून के एक प्रावधान को दरकिनार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलटने का प्रयास किया था। लेकिन उस दौरान राहुल गांधी ने ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस अध्यादेश का विरोध किया था और विरोध स्वरूप इसकी प्रति फाड़ दी थी।

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जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान के मुताबिक, दो साल या उससे ज्यादा की सजा पाने वाला व्यक्ति ‘दोष सिद्धि की तिथि’ से अयोग्य हो जाता है। इसके अलावा सजा पूरी होने के छह साल बाद तक अयोग्य रहता है। जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधान आठ में उन अपराधों का जिक्र है, जिनके तहत दोष सिद्धि पर सांसद/विधायक अयोग्य हो जाएंगे।

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