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जयपुर से बैरंग दिल्ली लौटे कांग्रेस पर्यवेक्षक खड़गे और माकन, सोनिया गांधी को सौंपी रिपोर्ट, गहलोत गुट ने रखी ये 3 शर्तें

मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन दोनों कांग्रेसी पर्यवेक्षक आज पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को रिपोर्ट सौंपने वाले हैं। उन्होंने प्रताप खाचरियावास और शांति धारीवाल के साथ बैठक की थी

अपडेटेड Sep 26, 2022 पर 7:12 PM
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अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लंबे वक्त से चल रही खटपट अब नए रूप में सामने आई है

Rajasthan Congress Crisis: कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए जयपुर पहुंचे पार्टी पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) एवं अजय माकन सोमवार को बैरंग वापल दिल्ली लौट आए। इसके बाद दोनों नेता कांग्रेस मुख्यालय पहुंचकर राजस्थान में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप दी।

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद AICC पर्यवेक्षक अजय माकन ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे और मैंने राजस्थान में हमारी बैठक के बारे में कांग्रेस अध्यक्षा को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने हमसे लिखित रिपोर्ट मांगी जो हम रात या कल तक दे देंगे।

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इससे पहले जयपुर से दिल्ली पहुंचने के बाद खड़गे ने भी कहा कि हम 10 जनपथ जा रहे हैं और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। हम उन्हें घटनाओं (राजस्थान कांग्रेस संकट के बारे में) से अवगत कराएंगे। आखिर में वह इस पर निर्णय लेंगी।

कैसे बदला घटनाक्रम?

कांग्रेस विधायक दल की बैठक रविवार रात मुख्यमंत्री आवास में होनी थी, लेकिन इससे पहले, सीएम अशोक गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायकों ने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर बैठक की। फिर उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी पी जोशी के आवास पर पहुंचकर उन्हें अपने इस्तीफे सौंप दिए।

वहीं, खड़गे, माकन, गहलोत, कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट एवं कुछ अन्य विधायक देर रात तक मुख्यमंत्री आवास में इंतजार करते रहे। इसके बाद बाकी विधायकों के नहीं आने से विधायक दल की बैठक अंतत: नहीं हो सकी।

गहलोत के खिलाफ होगी कार्रवाई?

कांग्रेस नेता अजय माकन ने सोमवार को कहा कि राजस्थान में कुछ विधायकों का विधायक दल की आधिकारिक बैठक में शामिल न होकर उसके समानांतर कोई अन्य बैठक करना 'अनुशासनहीनता' है। माकन ने कहा कि विधायकों का एक समूह सशर्त प्रस्ताव पारित कराने पर जोर दे रहा था, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया।

रविवार रात को हुए घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर माकन ने कहा कि जब विधायक दल की कोई आधिकारिक बैठक बुलाई गई हो और यदि कोई उसी के समानांतर एक अनाधिकारिक बैठक बुलाए, तो यह प्रथमदृष्टया अनुशासनहीनता है। माकन ने कहा कि आगे देखेंगे कि इस पर क्या कार्रवाई होती है।

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उन्होंने कहा कि अभी यह जानकारी नहीं है कि कितने विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा दिया है। माकन ने कहा कि इन विधायकों के प्रतिनिधि के रूप में धारीवाल, मुख्य सचेतक महेश जोशी एवं मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास उनसे मिलने आए थे। उन्होंने कहा था कि विधायक सशर्त प्रस्ताव पारित कराना चाहते हैं।

गह विधायकों ने रखी 3 शर्तें

माकन ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक महेश जोशी एवं मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास उनके प्रतिनिधियों के तौर पर हमारे पास आए और उन्होंने तीन शर्तें रखीं। सबसे पहले तो उन्होंने कहा कि यदि अगर कांग्रेस अध्यक्ष को निर्णय लेने का अधिकार देने का प्रस्ताव पारित करना है तो बेशक ऐसा किया जाए, लेकिन उस पर फैसला 19 अक्टूबर के बाद होना चाहिए।

माकन ने कहा कि उन्होंने गहलोत समर्थक विधायकों से कहा कि गहलोत अगर यह प्रस्ताव पेश करते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष पर सब निर्णय छोड़ दिए जाएं, तो इससे हितों का टकराव पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि चूंकि अब गहलोत खुद कह चुके हैं कि वे कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे, तो 19 अक्टूबर के बाद यदि वह खुद अध्यक्ष बन जाते हैं और अपने ही प्रस्ताव पर खुद को ही अधिकार देते हैं, तो इससे बड़ा ‘हितों का टकराव’ नहीं हो सकता।

माकन ने कहा कि हमने (गहलोत समर्थक विधायकों से) उनसे कहा कि आप यह मत करिए, लेकिन उन्होंने कहा कि आपको यह सार्वजनिक तौर पर कहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसे प्रस्ताव का हिस्सा बनाना पड़ेगा कि प्रस्ताव भले ही आज पारित हो जाए, लेकिन उसे लागू 19 अक्टूबर के बाद किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि हमने कहा कि हम (विधायकों से) सबसे एक-एक करके बात करेंगे तो उन्होंने कहा कि नहीं हम समूहों में आएंगे। हमने कहा कि कांग्रेस की हमेशा से प्रथा रही है कि हम सबसे एक-एक करके बात करते हैं ताकि विधायक बिना किसी दबाव के अपनी बात कह सकें, तो उन्होंने कहा कि वे समूह में आकर अपनी बात कहेंगे और यह भी आपको सार्वजनिक तौर पर कहना होगा।

माकन ने कहा कि तीसरी बात उन्होंने यह कही कि जो 102 विधायक 2020 के राजनीतिक संकट में गहलोत के साथ खड़े थे, उनमें से ही किसी को मुख् यमंत्री बनाया जाना चाहिए, सचिन पायलट या उनके समर्थकों में से किसी को नहीं। उन्होंने कहा कि हमने (गहलोत समर्थक विधायकों का) इंतजार किया, लेकिन वे नहीं आए। अब मैं और खड़गे जी वापस दिल्ली जा रहे हैं और हम अपनी पूरी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपेंगे।

राजधानी जयपुर में यह सारा घटनाक्रम विधायक दल की बैठक में गहलोत का उत्तराधिकारी चुनने की संभावनाओं के बीच हुआ। इस स्थिति से मुख्यमंत्री और सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष गहराने का संकेत मिल रहा है। गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे, इसलिए उनका उत्तराधिकारी चुने जाने की चर्चा है। राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 108 विधायक हैं। पार्टी को 13 निर्दलीय उम्मीदवारों का भी समर्थन प्राप्त है।

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