Rajasthan Congress Crisis: राजस्थान कांग्रेस में सवा दो साल बाद एक बार फिर बगावत के सुर तेज हो गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की संभावनाओं को भांपकर कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है।
Rajasthan Congress Crisis: राजस्थान कांग्रेस में सवा दो साल बाद एक बार फिर बगावत के सुर तेज हो गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की संभावनाओं को भांपकर कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है।
विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके गहलोत कैंप के करीब 90 से अधिक विधायकों ने रविवार देर रात विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इतना ही नहीं नाराज विधायकों ने पार्टी पर्यवेक्षकों से मिलने से भी इनकार कर दिया।
गहलोत गुट के विधायकों की शर्त
सीएम अशोक गहलोत के वफादार विधायकों की दो शर्तें हैं। गहलोत के वफादार माने जाने वाले कुछ विधायकों ने परोक्ष रूप से पायलट का हवाला देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का उत्तराधिकारी कोई ऐसा होना चाहिए, जिन्होंने 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, न कि कोई ऐसा जो इसे गिराने के प्रयास में शामिल था।
दूसरी यह कि वे तब तक कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं चाहते जब तक कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव न हो जाए. जो कि 19 अक्टूबर को है। राजधानी जयपुर में यह सारा घटनाक्रम कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में गहलोत का उत्तराधिकारी चुनने की संभावनाओं के बीच हुआ।
राजस्थान में ताजा घटनाक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायक अपने इस्तीफे सौंपने के लिए रविवार रात विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी के निवास पहुंच गए। इस स्थिति से मुख्यमंत्री और सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष गहराने का संकेत मिल रहा है। गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे, इसलिए उनका उत्तराधिकारी चुने जाने की संभावना है।
राज्य की 200-सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 108 सदस्य हैं। पार्टी को 13 निर्दलीय उम्मीदवारों का भी समर्थन प्राप्त है। इससे पहले, विधायकों के समूह ने मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर एक बैठक की, जिसे सचिन पायलट के अगले मुख्यमंत्री बनने की संभावना को विफल करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
पायलट की उड़ान पर गहलोत का ब्रेक
राज्य के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने पत्रकारों से कहा कि हम बस से विधानसभा अध्यक्ष के निवास जा रहे हैं और (उन्हें) अपना इस्तीफा सौंपेंगे। कांग्रेस पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन, मुख्यमंत्री गहलोत के साथ उनके निवास पहुंचे, जहां शाम में कांग्रेस विधायक दल की बैठक होने वाली थी। पायलट भी वहां पहुंचे। हालांकि, इसके बाद गहलोत गुट के विधायक इस्ताफा देना शुरु कर दिए।
गहलोत समर्थक विधायकों ने नया मुख्यमंत्री चुनने के लिए रायशुमारी बैठक का बहिष्कार करके कांग्रेस हाईकमान को खुली चुनौती दे दी है। विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करके गहलोत समर्थकों ने हलचल मचा दी। विधायक स्पीकर को इस्तीफे सौंपकर आगे भी लड़ाई का फ्रंट खोल दिया है। गहलोत खेमा 90 से ज्यादा विधायकों के इस्तीफे देने का दावा कर रहा है।
पार्टी के एक अन्य नेता गोविंद राम मेघवाल ने कहा कि गहलोत मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष दोनों की भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर गहलोत मुख्यमंत्री नहीं रहते हैं, तो पार्टी को अगला विधानसभा चुनाव जीतने में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। निर्दलीय विधायक और मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने कहा कि अगर विधायकों की भावना के अनुरूप निर्णय नहीं होगा तो सरकार गिरने का खतरा पैदा हो जाएगा।
दिसंबर 2018 में कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के ठीक बाद मुख्यमंत्री पद के लिए गहलोत और पायलट का टकराव हुआ। पार्टी आलाकमान ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री चुना, जबकि पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। जुलाई 2020 में, पायलट ने 18 पार्टी विधायकों के साथ गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी।
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