Swati Maliwal Case Updates: आम आदमी पार्टी (आप) की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार को 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। दिल्ली पुलिस ने कुमार को 18 मई को दिन में गिरफ्तार किया था। बाद में दिल्ली की एक अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को निरर्थक करार देते हुए इसे खारिज कर दिया था। पुलिस ने कुमार को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गौरव गोयल के सामने पेश किया, जिन्होंने कुमार को 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
पुलिस की ओर से पेश वकील ने मामले में कुमार से पूछताछ करने के लिए 7 दिन की हिरासत का अनुरोध किया था। आरोप है कि केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के निजी सहायक कुमार ने 13 मई को मुख्यमंत्री आवास पर मालीवाल के साथ मारपीट की। पुलिस ने अदालत को बताया कि हमले के कारण के बारे में पूछताछ के लिए कुमार की हिरासत जरूरी है।
दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल और नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट एडिशनल डिप्टी कमिश्नर अंजीथा चेप्याला द्वारा साइन किए गए रिमांड पेपर में कहा गया है कि यह एक बहुत ही गंभीर मामला है, जहां एक संसद सदस्य, एक सार्वजनिक व्यक्ति पर बेरहमी से हमला किया गया, जो घातक हो सकता था। विशिष्ट सवालों के बावजूद, आरोपी ने जांच में सहयोग नहीं किया है और अपने जवाबों में टाल-मटोल कर रहा है।
रिमांड आवेदन में कहा गया कि मजिस्ट्रेट के समक्ष मालीवाल की गवाही की पुष्टि मेडिकल साक्ष्यों से हुई है। याचिका में कहा गया है कि मालीवाल के आरोपों के अनुसार, कुमार उन पर चिल्लाए, धमकाया और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। इसके अलावा बेरहमी से हमला किया, उन्हें घसीटा और सेंटर टेबल पर उनका सिर पटक दिया।
पुलिस ने बिभव पर मुख्यमंत्री आवास में सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया है। कहा गया कि सबसे महत्वपूर्ण सबूत घटनास्थल का डिजिटल वीडियो रिकॉर्ड (डीवीआर) था लेकिन इसे अभी तक पुलिस को उपलब्ध नहीं कराया गया है। मुख्यमंत्री आवास के एक जूनियर इंजीनियर ने स्वीकार किया कि जिस स्थान पर डीवीआर और सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, उस स्थान तक उनकी पहुंच नहीं थी। इसके बाद उस इंजीनियर ने डाइनिंग रूम का एक वीडियो दिया लेकिन यह कथित घटना के समय ब्लैंक पाया गया।
अपराध स्थल पर बिभव की मौजूदगी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य सहित महत्वपूर्ण सबूतों के साथ छेड़छाड़ की प्रबल संभावना पैदा करती है। आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति है और एक आधिकारिक पद पर 9 साल से अधिक वक्त से काम करने के बाद वह सीएम हाउस में गवाहों को प्रभावित कर सकता है और दबाव डाल सकता है।
पुलिस ने कहा कि कुमार ने जांच एजेंसी को अपने मोबाइल फोन का पासवर्ड नहीं दिया था और बताया था कि मोबाइल में कुछ खराबी होने के कारण उनका फोन मुंबई में फॉर्मेट कर दिया गया था। मोबाइल के हटाए गए डेटा को फिर से प्राप्त करने के लिए कुमार को मुंबई ले जाना होगा। पुलिस ने कहा कि आरोपी का मोबाइल फोन किसी विशेषज्ञ से खुलवाने के लिए भी उनकी मौजूदगी जरूरी है। मालीवाल की ओर से प्राथमिकी सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराई गई थी।
दलीलों का विरोध करते हुए कुमार के वकील राजीव मोहन ने कहा कि न तो 13 मई से पहले मालीवाल की मुख्यमंत्री आवास की यात्रा का कोई रिकॉर्ड था और न ही उन्होंने 16 मई को प्राथमिकी दर्ज करने का कारण स्पष्ट किया। मोहन ने कहा कि मालीवाल बिना अपॉइंटमेंट लिए मुख्यमंत्री आवास पर गईं और दिल्ली पुलिस तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मालीवाल चोट लगने के मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही हैं और मीडिया में भी बयान दे रही हैं। जांच के लिए कुमार के मोबाइल फोन की जरूरत नहीं है क्योंकि मालीवाल ने फोन या वॉट्सऐप कॉल पर धमकी देने का कहीं भी आरोप नहीं लगाया है।