UP Polls 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से पहले एक बार फिर मुलायम सिंह यादव का घराना सुर्खियों में छाया हुआ है। इस बार सुर्खियों में आने की वजह सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल नहीं, बल्कि छोटे भाई की पत्नी अपर्णा यादव (Aparna Yadav) हैं। अपर्णा यादव ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इस दौरान यूपी BJP अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य मौजूद रहे।
इस बीच BJP की ओर से भी इशारा कर दिया गया है कि BJP ने यादव कुनबे के भीतर अपनी जड़ें जमा ली हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि कया अपर्णा यादव के करिश्मे से BJP को फायदा होगा या फिर सपा को नुकसान होगा। इस बात का अंदाजा तो 10 मार्च को ही पता चलेगा। चर्चा है कि अपर्णा को लखनऊ कैंट से टिकट मिल सकता है। जहां रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे के लिए टिकट चाहती थीं।
दरअसल उत्तर प्रदेश की राजनीतिक को अगर सियासी चश्मे से देखा जाए तो अपर्णा का BJP में शामिल होना चौकाने वाला फैसला नहीं है। सब लोग जानते थे, कि देर-सबेर अपर्णा BJP में शामिल हो सकती हैं। उन्होंने पिछले 5 साल में ही राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ से अपनी नजदीकियां बढ़ा ली थी। राम मंदिर में 11 लाख रुपये का दान देकर उन्होंने जता दिया था कि वो सपा के रास्ते पर नहीं चलने वाली हैं।
अगर इसमें परसेप्शन यानी धाराणा की बात की जाए तो कहा जा रहा है कि भगवा दल को बढ़त मिल गई है। BJP नेताओं का कहना है कि मुलायम सिंह की छोटी बहू हो या फिर स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी दोनों ही BJP में सुरक्षित महसूस करती हैं। जहां एक हफ्ते पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव सत्ताधारी पार्टी के तीन मंत्रियों को अपने कुनबे में शामिल कर लिया था, तब यह संदेश दिया गया कि BJP में OBC नेताओं की उपेक्षा की जाती है। सपा ने यह नैरेटिव खड़ा करने की कोशिश की है कि बैकवर्ड BJP छोड़ रहे हैं।
अब अपर्णा यादव के BJP में जाने से यादव कुनबे में फूट का संदेश जा रहा है। यह वैसी स्थितियां बनती जा रही हैं जो साल 2017 के विधान सभा चुनाव में हुई थी। उस दौरान अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल का झगड़ा खुलकर सामने आ गया था। शिवपाल के सपा छोड़ने से चाचा-भतीजे के बीच दरार बढ़ गई। BJP ने इसका भरपूर फायदा उठाया।
हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि अपर्णा यादव को अखिलेश की तरफ से टिकट मिलने की गुंजाइश नहीं थी, लिहाजा अपर्णा ने BJP की ओर रूख कर लिया। बताया जा रहा है कि पिछले बार के विधान सभा चुनाव में भी अखिलेश अपर्णा को टिकट नहीं देना चाहते थे, लेकिन मुलायम सिंह के हस्ताक्षेप करने पर उन्हें लखनऊ से टिकट मिला था। हालांकि इस चुनाव में अपर्णा को हार का सामना करना पड़ा था। BJP को इसमें सिर्फ परसेप्शन का फायदा मिल सकता है कि यादव परिवार में सेंध लगाने में सफल हो गए। हालांकि यादव वोट पर अपर्णा का कुछ खास असर नहीं है।
अपर्णा के BJP में आने से पहले जोर-शोर से चर्चा की जा रही थी कि अखिलेश के चाचा शिवपाल BJP में शामिल हो सकते हैं। जब मीडिया में यह खबरें ज्यादा तैरने लगीं तो शिवपाल को खुद सफाई देनी पड़ी और उन्होंने कहा कि मेरा BJP में शामिल होने का दावा पूरी तरह निराधार है। मैं श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी गठबंधन के साथ हूं। शिवपाल ने कहा कि प्रदेश की BJP सरकार को उखाड़ फेंकेंगे और समाजवादी पार्टी की गठबंधन सरकार बनाएंगे।
वहीं अपर्णा के BJP में शामिल होने पर अखिलेश ने उन्हें बधाई दी है और कहा है कि मुझे इस बात की खुशी है कि समाजवादी विचारधार का विस्तार हो रहा है। मुझे उम्मीद है कि हमारी विचारधारा वहां पहुंच कर संविधान और लोकतंत्र को बचाने का काम करेगी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यह भी बताया कि नेता जी (मुलायम सिंह यादव) ने उन्हें BJP में शामिल होने के फायदे और नुकसान को लेकर काफी समझाया, लेकिन बेकार रहा।