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Karpoori Thakur: कौन थे जननायक कर्पूरी ठाकुर? जिन्हें नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव का माना जाता है गुरु

Jan Nayak Karpoori Thakur: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को 'भारत रत्न' से सम्मानित करने के फैसले के लिए मंगलवार को केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया। नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को भी धन्यवाद दिया है। ठाकुर को उनकी 100वीं जयंती से एक दिन पहले देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए चुना गया है। केंद्र के इस फैसले से बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है

अपडेटेड Jan 24, 2024 पर 1:29 PM
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Who is Karpoori Thakur: कर्पूरी ठाकुर से पहले 2019 में दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था

भारत सरकार ने बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) को मरणोपरांत 'भारत रत्न (Bharat Ratna)' से सम्मानित करने का ऐलान किया। राष्ट्रपति भवन की ओर से यह घोषणा बिहार में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की राजनीति के सूत्रधार माने जाने वाले कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती से एक दिन पहले की गई। 'जननायक' के रूप में मशहूर ठाकुर (Jan Nayak Karpoori Thakur) पहले गैर-कांग्रेसी समाजवादी नेता थे जो दिसंबर 1970 से जून 1971 तक और फिर दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उनका 17 फरवरी, 1988 को निधन हो गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम ने एक पोस्ट में कहा कि उनके नेतृत्व में केन्द्र सरकार निरंतर कर्पूरी ठाकुर से प्रेरणा लेते हुए काम कर रही है जो सरकार की उन नीतियों में भी परिलक्षित होती हैं, जिनसे देशभर में सकारात्मक बदलाव भी आया है। ठाकुर ने भारतीय समाज और राजनीति पर जो अविस्मरणीय छाप छोड़ी है, उसे लेकर प्रधानमंत्री ने अपनी भावनाओं और विचारों को 'नमो ऐप' पर लिखे अपने एक लेख के माध्यम से X पर शेयर किया।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी त्रासदी यह रही थी कि कर्पूरी ठाकुर जैसे कुछ नेताओं को छोड़कर सामाजिक न्याय की बात बस एक 'राजनीतिक नारा' बनकर रह गई थी। उन्होंने कहा कि गरीबी से बाहर निकलने वालों में समाज के सबसे पिछड़े तबके के लोग सबसे ज्यादा हैं, जो आजादी के 70 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित थे। इस कड़ी में उन्होंने मुद्रा लोन से OBC, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को मिल रहे लाभों का उल्लेख किया और कहा कि यह कर्पूरी ठाकुर के आर्थिक स्वतंत्रता के सपनों को पूरा कर रहा है।

कौन थे जननायक कर्पूरी ठाकुर? (Who was Jan Nayak Karpoori Thakur)

- कर्पूरी ठाकुर को प्रमुख बिहारी नेताओं नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, राम विलास पासवान और देवेन्द्र प्रसाद यादव का गुरु माना जाता है।

- कर्पूरी ठाकुर का जन्म 1924 में बिहार के समस्तीपुर जिले में समाज के सबसे पिछड़े वर्गों में से एक नाई समाज में हुआ था।

- उन्होंने 'भारत छोड़ो आंदोलन' में शामिल होने के लिए अपना कॉलेज छोड़ दिया और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ढाई साल जेल में भी बिताए। बाद में उन्हें 1960 और 1970 में कर्मचारियों और मजदूरों की हड़ताल में भाग लेने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया।

- 'सोशलिस्ट पार्टी' के उम्मीदवार के रूप में ठाकुर पहली बार 1952 में ताजपुर से बिहार विधानसभा के सदस्य बने।

- 1970 में बिहार के पहले गैर-कांग्रेसी समाजवादी मुख्यमंत्री बनने से पहले उन्होंने मंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद, ठाकुर दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।

- उनके द्वारा किए गए सुधारों में शराबबंदी भी शामिल थी। शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने मैट्रिक में अंग्रेजी को अनिवार्य विषय से हटा दिया। सीएम के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान ठाकुर ने सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के लिए 'कर्पूरी ठाकुर फॉर्मूला' पेश किया।

- उन्होंने बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए 26% आरक्षण लागू किया। यह एक ऐसा कदम था जिसने 1990 के दशक में मंडल आयोग की सिफारिशों के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

- सकारात्मक कार्रवाई के प्रति ठाकुर की प्रतिबद्धता ने देश के गरीबों, उत्पीड़ित, शोषित और वंचित वर्गों को प्रतिनिधित्व और अवसर दिए। उनकी नीतियां और सुधार लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में अग्रणी थे।

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