लेखक, उद्यमी और परोपकारी सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) बेंगलुरु के सपना बुक हाउस में स्कूली बच्चों और उनके माता-पिता के साथ बातचीत कर रही थीं। तभी दर्शकों में से एक शख्स ने उनसे पूछा कि वह राष्ट्रपति पद की दौड़ (Presidential Race) से क्यों बाहर हो गई हैं?
Deccan Herald की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस पर मूर्ति ने कहा, “कौन सी दौड़? इस रेस में मेरी मौजूदगी सिर्फ Whatsapp पर थी। प्लीज कन्नडिगा का प्रतिनिधित्व कहीं और खोजें, यह मेरी दौड़ थी ही नहीं।"
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म होने के साथ ही भारत के 16वें राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होना है। जबकि बीजेपी ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है। अगर वह जीत जाती हैं, तो मुर्मू भारत की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होंगी।
वहीं विपक्ष ने पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का समर्थन किया है। राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे 21 जुलाई को आएंगे।
वहीं बेंगलुरू में सुधा मूर्ति ने कन्नड़ (अपनी मातृभाषा) और भावनाओं के बीच अपने संबंध के बारे में ज्यादा बातें साझा की। उन्होंने कहा, "जब इसमें भावना होती है, तो मेरा दिमाग अपने आप कन्नड़ में बदल जाता है।"
मूर्ती, जो अपने करियर में लेखक रूप में काम करती हैं, उन्होंने बच्चों और वयस्कों के लिए अंग्रेजी और कन्नड़ में कई किताबें लिखी हैं। उन्होंने कहा, "मैं पहले कन्नड़ में सोचती हूं और फिर किसी दूसरी भाषा में लिखती हूं।"
सांस्कृतिक पहचान के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने Deccan Herald को बताया, "अपनी संस्कृति के प्रति सच्चे रहना एक पेड़ की तरह है, जो तूफान का सामना करने की कोशिश कर रहा है। अगर जड़ें मजबूत हैं, तो पेड़ ठीक रहेगा, लेकिन अगर वे नहीं हैं, तो इसे बचाने की कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है।"