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Railway Board CEO: जया वर्मा सिन्हा ने संभाली रेलवे की कमान, ओडिशा रेल हादसे की जांच में निभाया था बड़ा रोल

Railway Board CEO: भारतीय रेलवे की पहली महिला चेयरपर्सन और CEO जया वर्मा सिन्हा को बनाया गया है। वो अनिल कुमार लाहोटी की जगह लेंगी। वह रेलवे बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने अपने 35 साल के करियर में रेलवे के अहम पदों पर काम किया है। उनकी गिनती भारतीय रेलवे की तेजतर्रार महिला ऑफिसरों में की जाती है

Jitendra Singhअपडेटेड Sep 01, 2023 पर 11:34 AM
Railway Board CEO: जया वर्मा सिन्हा ने संभाली रेलवे की कमान, ओडिशा रेल हादसे की जांच में निभाया था बड़ा रोल
Railway Board CEO: 105 साल में ये पहला मौका है, जब रेलवे बोर्ड की चेयरपर्सन किसी महिला को बनाया गया है।

Railway Board CEO: केंद्र सरकार ने रेलवे बोर्ड में अहम बदलाव किया है। पहली बार किसी महिला को रेलवे बोर्ड की कमान सौंपी गई है। 105 साल में ये पहला मौका है जब रेलवे बोर्ड की कमान एक महिला के हाथों में सौंपी गई है। अपाइंटमेंट कमेटी ऑफ दे कैबिनेट सेक्रेटेरिएट ने जया वर्मा सिन्हा (Jaya Varma Sinha) को रेलवे बोर्ड को चेयरमैन और CEO रेलवे बोर्ड के पद पर नियुक्ति किया गया है। उनका कार्यकाल 31 अगस्त 2024 तक लागू रहेगा। वो रेलवे बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष हैं। वो 1988 बैच की भारतीय रेलवे यातायात सेवा की अधिकारी (Indian Railway Traffic Service official) हैं। सिन्हा अब अनिल कुमार लाहोटी की जगह लेंगी।

लाहोटी का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इसलिए उनकी जगह नया चेयरमैन बनाने के लिए रेलवे ने चार लोगों का एक पैनल बनाया था। इसी पैनल ने जया वर्मा को नया चेयरमैन बनाने पर सहमति दी। वह अब तक तीन रेलवे क्षेत्रों में काम कर चुकी हैं। इनमें उत्तर रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे और पूर्वी रेलवे शामिल हैं।

ओडिशा रेल हादसे के बाद जया सिन्हा बनीं रेलवे का चेहरा

बता दें कि बालासोर में हुए कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे के दौरान जया वर्मा सिन्हा के काम की काफी सराहना की गई थी। जिस तरह से उन्होंने रेल हादसे के बाद राहत बचाव से लेकर जांच की बागडोर को संभाली। इसमें उनकी काफी सराहना की गई। हादसे के बाद से वो लगातार पीएमओ से लेकर मीडिया के संपर्क में रहीं। उस दौरान उन्होंने मीडिया को रेलवे के जटिल सिग्नलिंग सिस्टम के बारे में बताया था। ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे में करीब 300 लोग मारे गए थे। करीब 4 साल तक वो ढाका में भारतीय उच्चायोग में रेलवे सलाहकार के तौर पर काम कर चुकी हैं। विजयलक्ष्मी विश्वनाथन रेलवे बोर्ड की पहली महिला सदस्य थीं।

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