Ayodhya Ram Mandir: राम नगरी अयोध्या का हो रहा आर्थिक विकास, कोचिंग सेंटर के केंद्र से लेकर संपन्न शहर तक का सफर
Ayodhya Ram Mandir: पिछले चार सालों में, अयोध्या में रियल एस्टेट अर्थव्यवस्था ने जमीन की कीमतों में दस गुना उछाल ला दिया है, जो एक जबरदस्त पुनरुद्धार का संकेत है। उनका बदलाव केवल आर्थिक ही नहीं बल्कि प्रतीकात्मक भी है, क्योंकि अयोध्या अभिशप्त मानी जाने वाली धारणा से हटकर आस्था और आर्थिक समृद्धि के संगम का प्रतीक बन गई है
Ayodhya Ram Mandir: राम नगरी अयोध्या का हो रहा आर्थिक विकास, कोचिंग सेंटर के केंद्र से लेकर संपन्न शहर तक का सफर
Ayodhya Ram Mandir: अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाने वाला शहर, अयोध्या (Ayodhya) में हाल ही में एक शानदार आर्थिक बदलाव आया है। अयोध्या ने कोचिंग सेंटरों के केंद्र के रूप में अपनी प्रमुख पहचान अब पीछे छोड़ दी है। इस कायापलट का एक बड़ा कारण भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण है, जिसने न केवल आध्यात्मिक अहमियत को फिर से जिंदा कर दिया है, बल्कि आर्थिक विकास की लहर भी शुरू की है, जिससे अयोध्या एक संपन्न शहर में बदल गया है।
पिछले चार सालों में, अयोध्या में रियल एस्टेट अर्थव्यवस्था ने जमीन की कीमतों में दस गुना उछाल ला दिया है, जो एक जबरदस्त पुनरुद्धार का संकेत है। उनका बदलाव केवल आर्थिक ही नहीं बल्कि प्रतीकात्मक भी है, क्योंकि अयोध्या अभिशप्त मानी जाने वाली धारणा से हटकर आस्था और आर्थिक समृद्धि के संगम का प्रतीक बन गई है।
साकेत डिग्री कॉलेज, अयोध्या के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. परेश पांडे, शहर के हालिया अतीत को दर्शाते हुए कहते हैं, "तीन से चार साल पहले, अयोध्या, जिसे तब फैजाबाद के नाम से जाना जाता था, मुख्य रूप से कोचिंग संस्थानों के केंद्र के रूप में पहचाना जाता था। इस क्षेत्र में 86.52 प्रतिशत की उच्च साक्षरता दर है, जो छात्रों को JEE या NEET की तैयारी के लिए यहां आने के लिए प्रेरित करती है।"
हालांकि, कोचिंग संस्थान ज्यादातर बाहरी लोग चलाते, जिससे स्थानीय समुदाय को कम ही लाभ होता था। डॉ. पांडे एक महत्वपूर्ण बदलाव का जिक्र करते हुए कहते हैं, "राम मंदिर के निर्माण ने नए अवसर खोले हैं, जिससे उन युवाओं की वापसी हुई है, जो बेहतर संभावनाओं के लिए पलायन कर गए थे। कई लोग अब आंत्रप्रेन्योर के उपक्रमों में लगे हुए हैं, जैसे कि होमस्टे बनाने या पेइंग गेस्ट के आधार पर कमरे उपलब्ध कराना।"
अयोध्या के लिए सरकार की महत्वाकांक्षी पुनर्विकास योजना में चार सालों में लगभग 31,000 करोड़ रुपए का निवेश शामिल है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में, शहर में लगभग 6000 लैंड डील हुई, और 2022-2023 में ये संख्या बढ़कर 27,000 होने की उम्मीद है। केवल एक साल के भीतर पर्यटकों की आमद 2.25 लाख से बढ़कर आश्चर्यजनक रूप से 2.25 करोड़ हो गई है।
लखनऊ यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. यशबीर त्यागी, बढ़ती संख्या और क्षेत्रीय समृद्धि के बीच संबंध पर जोर देते हैं। उनका अनुमान है, "इस क्षेत्र में जमीन की कीमतों में बढ़ोतरी निश्चित है, कई किसान अपनी जमीन बेचने के लिए प्रलोभित होंगे, जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद वाराणसी में देखे गए बदलावों की याद दिलाता है।"
प्रॉपर्टी डीलर बृजेंद्र दुबे उभरते रियल एस्टेट पर इनसाइट देते हैं। जमीन की कीमतें, चार साल पहले 1,000 रुपए प्रति वर्ग फुट, अब 4,000 रुपए प्रति वर्ग फुट हो गई हैं।
जमीन की मांग बढ़ गई है, एक हजार से ज्यादा व्यक्ति सक्रिय रूप से खरीद और बिक्री में लगे हुए हैं, जबकि पहले इस व्यापार में केवल 10-20 व्यक्ति शामिल थे। शहर के भीतर रामपथ भूमि की कीमतें केवल दो सालों में 1,000 रुपए से बढ़कर 6,000 रुपए प्रति वर्ग फुट हो गई हैं।
हालांकि, इस तेज विकास के सामने भी चुनौतियां कई हैं। सरकार का सर्कल रेट बाजार रेट से काफी कम है, जिससे डेली रजिस्ट्रियां बड़ी संख्या में होती हैं। सर्कल रेट बढ़ाने के प्रयासों को विरोध का सामना करना पड़ा है, खासतौर से ज्यादा मुआवजा भुगतान के बारे में सरकार की चिंताओं के कारण। वित्तीय वर्ष 2023-24 में इन जटिलताओं के कारण रेवेन्यू टारगेट से 74.71 प्रतिशत कम हो गया।
राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से हाल ही में किए गए अधिग्रहण, जैसे बैकुंठ धाम के पास 14,730 वर्ग मीटर भूमि से सरकार को 55 करोड़ 47 लाख 800 रुपए का पर्याप्त राजस्व मिला। इसके अतिरिक्त, आवास विकास प्राधिकरण ने एक टाउनशिप के विकास के लिए 1,194 एकड़ जमीन खरीदी।
वाराणसी के डीएवी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अनूप कुमार मिश्रा ने एक अध्ययन किया है, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि अयोध्या में अगले तीन सालों में एक लाख विजिटर्स की दैनिक उपस्थिति के साथ 6 लाख करोड़ रुपए की कमाई होने की संभावना है।
प्रोफेसर मिश्रा भारत सरकार की "वोकल फॉर लोकल" पहल के साथ तालमेल बिठाते हुए कहते हैं, "प्रत्याशित निवेश से स्थानीय रोजगार के अवसरों में अच्छी खासी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।"
अयोध्या के एक व्यापारी दिलीप केसरवानी इस परिवर्तनकारी बदलाव की पुष्टि करते हुए कहते हैं, "राम मंदिर के निर्माण से पहले, अयोध्या में व्यापारियों का नजरिया पारंपरिक था, लेकिन परिदृश्य में बदलाव के साथ, व्यापारी नए मौके की तलाश में हैं। भोजनालय राम पथ और धर्म पथ में आ रहे हैं। यहां तक कि लता मंगेशकर चौक भी यादगार वस्तुएं बेचने वाली विचित्र दिखने वाली दुकानों से भरा हुआ है।"
केसरवानी व्यवसायों के विविधीकरण और नए रास्तों के उद्भव पर जोर देते हैं, जो अयोध्या के आर्थिक परिदृश्य में गतिशील परिवर्तन को दर्शाता है। प्रोफेसर मिश्रा ने केसरवानी की बातों को दोहराते हुए इस बात पर जोर दिया कि निवेश के मध्यम फ्लो के साथ भी, अयोध्या और इसके आसपास के इलाकों में अगले तीन सालों में प्रभावशाली पांच से दस लाख व्यक्तियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा हो सकता है।
इसके अलावा, विदेशी पर्यटकों की प्रत्याशित आमद से अतिरिक्त विदेशी मुद्रा पैदा होने की उम्मीद है, जो भारत को एक विशिष्ट सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था मॉडल में अग्रणी के रूप में स्थापित करेगी, जो परंपरा और आर्थिक समृद्धि का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण है।
जैसे-जैसे अयोध्या आर्थिक वृद्धि और विकास के इस पथ पर आगे बढ़ रही है, यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्थलों की परिवर्तनकारी शक्ति के प्रमाण के रूप में खड़ा है, जो एक ऐतिहासिक शहर को एक जीवंत आर्थिक केंद्र में बदल देता है। अयोध्या में परंपरा और प्रगति का संगम पूरे देश में सतत आर्थिक विकास के समान मॉडल के लिए प्रेरणा और आगे के रास्ते खोलने के लिए तैयार है।