दिग्गज निवेशक मधुसूदन केला ने टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने कहा है कि मार्केट के शब्दों में कहा जाए तो रतन टाटा का पी/ई अनंत था। उन्होंने टाटा समूह की वैल्यू जहां पहुंचाई, उसे मापा नहीं जा सकता। टाटा ग्रुप ने शेयरहोल्डर्स के लिए जितनी संपत्ति बनाई है, उतनी इंडिया में किसी दूसरी कंपनी ने नहीं बनाई। इसमें न सिर्फ कारोबार में उनकी सफलता का हाथ है बल्कि उस खास ओनरशिप स्ट्रक्चर का हाथ है, जिसे रतन टाटा ने बनाया था। आज टाटा समूह की ज्यादातर लिस्टेड कंपनियों की ओनरशिप शेयरहोल्डर्स के पास है। इसका मतलब है कि ज्यादातर संपत्ति लोगों में बंटी हुई है।
अपनी मानवतावादी सोच के लिए मशूहर थे रतन टाटा
केला ने कहा कि टाटा समूह की कंपनियों में प्रमोटर की जो हिस्सेदारी है वह ज्यादातर टाटा के ट्रस्ट्स के पास है, जिसका मकसद परोपकार है। उन्होंने कहा कि इंडिया में सफल उद्योगपतियों की कमी नहीं है, लेकिन टाटा समूह की विरासत का मुकाबला करने वाले बहुत कम उद्योगपति हैं। रतन टाटा की पहचान न सिर्फ कारोबार के बारे में उनकी बेमिसाल समझ की वजह से थी बल्कि वह उन्हें मानवतावादी सोच और विजन के लिए भी जाना जाता था। देश के सबसे पुराने और सम्मानित औद्योगिक घराने के रूप में टाटा ग्रुप ने समाज और बिजनेसेज को एक समान तरीके से प्रेरित किया है।
दुनियाभर में किया टाटा समूह का विस्तार
दिग्गज इनवेस्टर ने कहा है कि टाटा समूह की शुरुआत जमशेतजी टाटा ने की थी। लेकिन, ज्यादातर वेल्थ रतन टाटा के नेतृत्व में बनी। केला ने कहा, "उनका कार्यकाल टाटा समूह के बदलाव का समय रहा। उन्होंने न सिर्फ टाटा समूह का विस्तार विदेश में किया बल्कि दुनिया के मंच पर इंडिया को सम्मानजनक जगह दिलाई। रतन टाटा कई तरह से इंडिया का एम्बेस्डर बन गए। टाटा ग्रुप के मूल्यों का सम्मान पूरी दुनिया ने किया। उनके अच्छे कर्मों का फायदा पूरे देश को मिला।"
हर फैसले के पीछे उनका आत्मविश्वास झलकता था
केला ने कहा कि जहां तक कॉर्पोरेट फैसलों की बात है तो रतन टाटा के हर फैसले के पीछे उनका आत्मविश्वास झलकता था। कई बार कारोबार की दुनिया में किसी कदम का तुरंत फायदा नहीं मिलता है लेकिन रतन टाटा ने हमेशा वह काम किया, जिसे वह सही मानते थे। और उनके इस प्रयास के अच्छे नतीजे मिले। उत्तराधिकारी के रूप में उनकी पसंद उनकी लीडरशिप की सफलता का एक और सबूत है। आज इस समूह के पास योग्य लोग हैं। पिछले कुछ सालों में यह समूह स्टॉक मार्केट्स का डार्लिंग बन गया है।
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अलग-अलग सरकारों के साथ काम किया और नतीजे दिए
दिग्गज इनवेस्टर ने यह भी कहा कि इंडिया ऐसा देश है, जहां कारोबार करना आसान नहीं है। लेकिन, रतन टाटा ने अलग-अलग सरकारों के साथ काम किया, अलग-अलग समय में काम किया। टाटा समूह की खासियत इस बात में है कि उसने लगातार शेयरहोल्डर्स के लिए वैल्यू क्रिएट किया है। इस दौरान उसने नैतिकता का हमेशा पालन किया है।