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RBI Monetary Policy : कुछ MFIs और शैडो बैंक छोटे लोन्स पर वसूल रहे भारी ब्याज - आरबीआई गवर्नर

वित्त वर्ष 2025 के लिए 7 जून को हुई दूसरी एमपीसी बैठक में केंद्रीय बैंक की अगुवाई वाली समिति ने रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। आरबीआई गवर्नर कहा कि रेग्यूलेटेड संस्थाओं को रेग्युलेटरी छूटों का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहिए, ताकि उत्पादों और सेवाओं का उचित और पारदर्शी मूल्य निर्धारण हो सके

अपडेटेड Jun 07, 2024 पर 12:31 PM
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शक्तिकांत दास ने कहा कि दरों पर RBI का फैसला घरेलू ग्रोथ, महंगाई पर निर्भर करेगा। घरेलू ग्रोथ और महंगाई के आधार पर ही कदम उठाएंगे

 RBI MPC : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 7 जून को आरबीआई एमपीसी की बैठक के बाद कहा कि कुछ माइक्रोफाइनेंस कंपनियां और गैर-बैंकिंग फाइनेंशिंग कंपनियां (एनबीएफसी) छोटे आकार के कर्जों पर उच्च ब्याज दर वसूल रही हैं। दास ने कहा, "यह देखा गया है कि कुछ एमएफआई और एनबीएफसी के छोटे आकार के कर्जों पर भारी ब्याज वसूल रहे हैं।"

एमपीसी की बैठक के बाद हुई प्रेस वार्ता गवर्नर ने इस बात पर जोर दिया कि रेग्यूलेटेड संस्थाओं को रेग्युलेटरी छूटों का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहिए, ताकि उत्पादों और सेवाओं का उचित और पारदर्शी मूल्य निर्धारण हो सके।

गवर्नर ने इस संबोधन में आगे कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति में केंद्रीय बैंक के दर-निर्धारण पैनल ने 4:2 के बहुमत के साथ रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने एकोमोडेटिव रुख को वापस लेने के अपने रुझान को बनाए रखने का फैसला लिया है।


RBI का फैसला घरेलू ग्रोथ, महंगाई पर निर्भर करेगा

शक्तिकांत दास ने आगे कहा कि दरों पर RBI का फैसला घरेलू ग्रोथ, महंगाई पर निर्भर करेगा। घरेलू ग्रोथ और महंगाई के आधार पर ही कदम उठाएंगे। महंगाई घटकर 4 फीसदी तक आना जरूरी है। आगे क्रेडिट मार्केट और मोनेटरी नीतियों पर फोकस रहेगा। रिस्क प्रोविजनिंग से RBI का बैलेंस शीट मजबूत हुी है। पहले के मुकाबले रुपए में उतार-चढ़ाव कम हुआ है। लिक्विडिटी मैनेजमेंट को लेकर RBI सक्रिय है। लिक्विडिटी मैनेजमेंट पर लचीले रुख के साथ काम किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर सिस्टम में लिक्विडिटी डालने के लिए तैयार हैं।

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FEMA के तहत इंपोर्ट, एक्सपोर्ट नियम आसान होगा

आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि बैंकों की तरह NBFCs की वित्तीय स्थिति मजबूत है। 31 मई तक विदेशी मुद्रा भंडार 65,150 करोड़ डॉलर पर था। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर है। वित्त वर्ष 2024 में FPI इनफ्लो बढ़कर 4,160 करोड़ डॉलर पर रहा है। इंपोर्ट, एक्सपोर्ट नियमों पर गाइडलाइंस लाया जाएगा। FEMA के तहत इंपोर्ट, एक्सपोर्ट नियम आसान होगा। बैंकों में बल्क डिपॉजिट लिमिट की समीक्षा करेंगे। डिजिटल पेमेंट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म बनाएंगे

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