Republic Day : गणतंत्र दिवस भारत के राष्ट्रीय अवकाशों (national holidays) में से एक है और यह भारत के संविधान (constitution of India) के लागू होने के दिन की याद दिलाता है। भारत ने 15 अगस्त, 1947 (जिसे स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है) को ब्रिटेन से आजादी हासिल की थी, लेकिन शुरुआत के तीन साल तक देश में व्यापक स्तर पर औपनिवेशिक भारत सरकार के अधिनियम, 1935 (colonial Government of India Act of 1935) के तहत शासन हुआ था।
अम्बेडकर बने थे संविधान की मसौदा समिति के चेयरमैन
स्वतंत्रता मिलने के कुछ ही समय बाद, प्रांतीय विधानसभा द्वारा चुनी गई एक संविधान सभा ने संविधान का एक मसौदा तैयार किया, जिसके आधार पर एक नए स्वतंत्र राष्ट्र पर शासन होना था। डॉ. बी आर अम्बेडकर (Dr BR Ambedkar) को संविधान की मसौदा समिति का चेयरमैन नियुक्त किया गया। बाद में वह भारतीय संविधान के जनक (father of the Indian Constitution) के रूप में जाने गए।
क्यों चुनी गई 26 जनवरी की तारीख
दो साल से ज्यादा समय के बाद, भारत का संविधान तैयार हो गया और इसे 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा स्वीकार कर लिया गया और यह 26 जनवरी, 1950 को प्रभावी हो गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने संपूर्ण स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज की अवधारणा को स्वीकार किया था, जिसे ब्रिटेन से पूर्ण स्वतंत्रता की दिशा में पहला ठोस कदम माना जाता है।
तैयार हुआ सबसे लंबा संविधान
इस दस्तावेज में वह ढांचा तय किया गया जो बुनियादी राजनीतिक नियम, स्वरूप, प्रक्रियाओं, शक्तियों और सरकारी संस्थानों के कर्तव्यों की सीमाएं तय करता है और मौलिक अधिकारों, निर्देशक सिद्धांतों, नागरिकों के कर्तव्यों का उल्लेख करता है। यह किसी देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है।
इसकी प्रस्तावना के मुताबिक, इसके साथ ही भारत को आधिकारिक रूप से भारत गणराज्य – एक “संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र” जो “अपने सभी नागरिकों के न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की रक्षा करता है”, के रूप में जाना जाता है।
1976 में जुड़े “धर्म निरपेक्ष” और “समाजवादी” शब्द
मूल रूप से 1950 को लागू संविधान में संसद के माध्यम से बाद में कई बदलाव किए गए। 1976 में आपातकाल के दौरान 42वें संशोधन अधिनियम के द्वारा “धर्म निरपेक्ष” और “समाजवादी” शब्दों को प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
गणतंत्र दिवस पर होने वाले मुख्य कार्यक्रम में नई दिल्ली भव्य परेड होती है, जिसमें सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सैन्य प्रदर्शन होता है।
परेड से पहले प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति पर माल्यार्पण करते रहे हैं और शहीदों की याद में मौन धारण करते हैं।