दिल्ली में सोमवार 27 दिंसबर को बड़ी संख्या में रेजिडेंट डॉक्टरों ने NEET-PG काउंसलिंग में देरी को लेकर सड़कों पर उतरकर धरना दिया। कई डॉक्टरों ने तो आंदोलन के समर्थन में सांकेतिक रूप से "अपने लैब कोट लौटा दिए" और सड़कों पर मार्च निकाला। डॉक्टरों का आंदोलन जारी रहने से केंद्र सरकार द्वारा संचालित दिल्ली के तीन अस्पतालों - सफदरजंग, RML और लेडी हार्डिंग अस्पतालों के साथ ही दिल्ली सरकार के कुछ अस्पतालों में भी मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ।
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष ने दावा किया कि बड़ी संख्या में रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को सांकेतिक रूप से अपना एप्रन (लैब कोट) वापस कर दिया। उन्होंने कहा, "हमने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (MAMC) कैंपस से सुप्रीम कोर्ट तक मार्च करने की भी कोशिश की, लेकिन जैसे ही हमने शुरू किया, सुरक्षाकर्मियों ने हमें आगे बढ़ने से रोक दिया।"
मनीष ने यह भी आरोप लगाया कि कई डॉक्टरों को पुलिस ने "हिरासत में" लिया और उन्हें थाने ले जाया गया। कुछ समय बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस बल का इस्तेमाल किया गया जिससे कुछ डॉक्टर घायल हो गए। एसोसिएशन ने अपने ट्विटर हैंडल में पुलिस कर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच हाथापाई की तस्वीरें पोस्ट की।
हालांकि, पुलिस ने अपनी ओर से लाठीचार्ज या अभद्र भाषा के आरोप से इनकार किया और कहा कि 12 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने 6 से 8 घंटे तक ITO रोड जाम कर दिया था। उनसे बार-बार अनुरोध किया गया कि वे वहां से हट जाएं, लेकिन उन्होंने इसकी अनसुनी कर दी।
एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, "हमने एसोसिएशन के सदस्यों से बात की और मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने सड़कों को जाम ही रखा।" पुलिस के मुताबिक, जब प्रदर्शनकारियों को सड़कों से हटाया जा रहा था तो उन्होंने पुलिसकर्मियों की वर्दी फाड़ने की कोशिश की। उन्होंने पुलिस वाहन के शीशे तोड़ दिए और जवानों के साथ दुर्व्यवहार किया।
सफदरजंग अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन का एक वीडियो आप नीचे देख सकतें है-