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Sambhal Temple: यूपी के संभल में 46 साल बाद प्राचीन शिव मंदिर में पूजा शुरू, 1978 में सांप्रदायिक दंगों के बाद हो गया था बंद

Sambhal Temple: उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में खोले गए प्राचीन भस्म शंकर मंदिर में रविवार (15 दिसंबर) सुबह 46 साल बाद आरती की गई। संभल जिले के अधिकारियों को शनिवार को क्षेत्र में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान अचानक यह मंदिर मिला, जिसमें भगवान शिव और हनुमान विराजमान हैं

अपडेटेड Dec 15, 2024 पर 2:34 PM
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Sambhal Temple: संभल में दशकों बाद शिव मंदिर फिर से खोल दिया गया है। श्रद्धालुओं ने रविवार को पूजा-अर्चना की

Sambhal Temple: उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में खोले गए प्राचीन शिव शंकर मंदिर में रविवार (15 दिसंबर) सुबह 46 साल बाद पूजा-अर्चना और आरती की गई। संभल जिले के अधिकारियों को क्षेत्र में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान शनिवार को अचानक यह मंदिर मिला, जिसमें भगवान शिव और हनुमान जी विराजमान हैं। रविवार को भगवान शिव के प्राचीन मंदिर में लोगों की लंबी कतार देखी गई। रविवार सुबह से मंदिर घंटियों और श्लोकों से गूंज रहा है। स्थानीय लोग प्रशासन की इस पहल की सराहना कर रहे हैं। यह मंदिर संभल जिले के नखासा थाना क्षेत्र के मोहल्ला खग्गू सराय इलाके में स्थित है।

संभल जिला प्रशासन ने शनिवार को नखासा पुलिस थाने के अंतर्गत खग्गू सराय इलाके में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान के तहत 46 साल से बंद बताये जा रहे भस्म शंकर मंदिर को खोला। इसमें हनुमान जी की एक मूर्ति और एक शिवलिंग था। स्थानीय लोगों का दावा है कि 1978 में सांप्रदायिक दंगों के बाद हिंदू समुदाय के सदस्यों के यहां से पलायन करने के बाद से ही यह मंदिर बंद था।

उप जिलाधिकारी वंदना मिश्रा ने बताया कि स्थानीय निवासियों ने पुष्टि की है कि यह मंदिर 1978 से बंद था। उन्होंने बताया कि मंदिर के पास एक कुआं भी है और अधिकारी उसके जीर्णोद्धार की योजना बना रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने मंदिर से जुड़ी अपनी यादें साझा कीं।


1978 में हो गया था बंद

संभल जिले के कोट गर्वी के निवासी मुकेश रस्तोगी ने कहा, "हमने हमारे पुरखों से इस मंदिर के बारे में काफी कुछ सुना था। यह एक प्राचीन मंदिर है, लेकिन यह लंबे समय से बंद था। चूंकि एक वर्ग विशेष समुदाय के लोग वहां रहते हैं, इस वजह से वह मंदिर बंद पड़ा था।" उन्होंने कहा कि 1978 में संभल में हुए दंगों के बाद से यह मंदिर बंद रहा है, हमने सुना है कि यह कम से कम 500 साल पुराना होगा।

नगर हिंदू महासभा के 82 वर्षीय संरक्षक विष्णु शंकर रस्तोगी ने कहा, "मैं अपने जन्म से ही खग्गू सराय में रहता हूं। वर्ष 1978 के दंगों के बाद, हमारे समुदाय के लोगों को इस क्षेत्र से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। हमारे कुलगुरु को समर्पित यह मंदिर तब से बंद है।"

संभल हिंसा का बाद मिला मंदिर

संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की मौत की घटना के कुछ सप्ताह बाद, प्रशासन ने मुगलकालीन मस्जिद के आसपास के क्षेत्रों में अतिक्रमण और बिजली चोरी से निपटने के लिए अभियान शुरू किया है। खग्गू सराय जामा मस्जिद से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

विष्णु शंकर रस्तोगी ने यह भी कहा, "खग्गू सराय में भी हमारा घर हुआ करता था। करीब 25-30 हिंदू परिवार वहां रहते थे। 1978 के दंगों के बाद हमने मकान बेच दिए और वह जगह छोड़ दी। यह बहुत प्राचीन मंदिर है और इसे रस्तोगी समुदाय का मंदिर कहा जाता था। पहले हमारे समुदाय के लोग यहां पूजा करने आते थे।"

अधिकारियों ने कहा कि संभल में एक दूसरी मस्जिद में कथित तौर पर ऊंची आवाज में लाउडस्पीकर बजाने के लिए उस मस्जिद के एक इमाम पर शुक्रवार को दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। यह घटना कोट गर्वी इलाके की अनार वाली मस्जिद की है।

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