Sambhal Temple: हत्या, दंगे और हिंदुओं का पलायन... संभल में 46 साल से बंद पड़े मंदिर के पीछे का पूरा सच क्या?

Sambhal Shiv Mandir: ये बात शनिवार 14 दिसंबर है कि जब प्रशासन बिजली चोरी की चेकिंग कर रहा था, तब अधिकारियों को कुछ ऐसा दिखा, जिससे पूरा प्रशासनिक अमला हिल गया। इलाके में कई सौ साल पुराना शिव मंदिर मिला। मंदिर की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। आला अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। मंदिर और उसमें लगीं मूर्तियों की साफ सफाई कर विधिवत पूजा और आरती कराई गई

अपडेटेड Dec 16, 2024 पर 3:07 PM
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Sambhal Temple: हत्या, दंगे और हिंदुओं का पलायन... संभल में 46 साल से बंद पड़े मंदिर के पीछे का पूरा सच क्या?

संभल एक बार फिर चर्चाओं में है। हाल ही में जामा मस्जिद के सर्वे और उसे लेकर हुई हिंसा के बाद से लगातार संभल हलचल का केंद्र बन गया है। इस बार इलाके में बेहद ही चौंकाने वाली और रहस्यमयी खोज हुई, जिसने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। ये बात शनिवार 14 दिसंबर कि है जब प्रशासन बिजली चोरी की चेकिंग कर रहा था, तब अधिकारियों को कुछ ऐसा दिखा, जिससे पूरा प्रशासनिक अमला हिल गया। इलाके में कई सौ साल पुराना शिव मंदिर मिला है।

मंदिर की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। आला अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। मंदिर और उसमें लगीं मूर्तियों की साफ सफाई कर विधिवत पूजा और आरती कराई गई। इस मंदिर में शिवलिंग, भगवान हनुमान और नंदी की मूर्ति मिली।

मंदिर को खोज के बाद से ही ये सवाल उठने लगे कि आखिर इतने सालों से मंदिर कहां गायब था और इसे खोला क्यों नहीं गया और इसमें ताला क्यों लगा था। धीरे-धीरे परतें खुलीं तो मालूम पड़ा कि ये मंदिर पिछले करीब 46 सालों से बंद पड़ा है और इसमें ताला लगने के पीछे 1978 में हुई संप्रादियक हिंसा है।


'मंदिर का दंगों से सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं'

Local 18 के मुताबिक, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के प्रोफेसर एमके पुंडीर ने जो बताया वो बेहद ही हैरान करने वाला था।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर व इतिहासकार एमके पुंडीर ने बताया कि बात आज से 46 साल पहले साल 1978 की है। यह मंदिर 1978 के बाद कभी नहीं खुला।

अगर इतिहास के पन्नों को पालतटा जाए और देखा जाए, तो आज से 46 साल पहले स्थानीय मु्द्दों की वजह से संभल में दंगा हुआ था। हालांकि, इस दंगे का सीधे तौर पर मंदिर से कोई संबंध नहीं था।

मौलाना की हत्या के बाद भड़के दंगे?

वहीं कई मीडिया रिपोर्टों में ऐसा बताया गया है कि संभल जामा मस्जिद के इमाम मुहम्मद हुसैन की साल 1976 में हत्‍या कर दी गई थी। संसदीय रिकॉर्ड और एसएलएम प्रेमचंद की 1979 की छपी ‘मॉब वायलेंस इन इंडिया’ किताबों में कहा गया है कि मौलाना की हत्या एक हिंदू ने की थी। मौलाना का परिवार कुछ ही समय बाद यूपी के आजमगढ़ के अहिरौला में चला गया। इसके बाद यहां दंगे भड़क गए थे।

ऐसा दावा भी किया जाता है कि दंगे के बाद हिंदुओं ने इलाके से पलायन कर दिया, जिसके चलते मंदिर पर ताला लगा दिया गया था।

वहीं AMU प्रोफेसर ने कहा, "हां यह बात सच है कि मंदिर काफी समय से बंद पड़ा था, जिस पर कब्जे को लेकर हमें कोई तथ्य नहीं मिलते हैं।" उन्होंने कहा कि एक बात और साधी तौर पर सामने आती है कि जो मंदिर के केयरटेकर थे, उनसे ही चाबी मंगा कर मंदिर को खोला गया है, तो यह कहना उचित नहीं होगा कि इस मंदिर पर किसी तरह का कोई कब्जा था या कब्जे की किसी तरह की कोई रणनीति थी।

200 या 225 साल पुराना है मंदिर

प्रोफेसर पुंडीर ने आगे कहा कि जहां तक मंदिर की प्राचीनता का सवाल है, तो आपको बता दूं कि मंदिर में जो शिवलिंग है और हनुमान जी की मूर्ति निकली है, उसको स्टडी करते हुए सामने आया है कि यह मंदिर 200 या 225 साल पुराना है, क्योंकि जब हम मूर्तियों का आइडेंटिफिकेशन करते हैं, तो पता चलता है कि यह 200 साल से ज्यादा पुरानी नहीं है।

इतिहासकार एमके पुंडीर ने कहा कि हमने बहुत सी प्राचीन मूर्तियों की स्टडी की है, लेकिन संभाल के इस मंदिर में निकली हनुमान जी की मूर्ति को स्टडी करने पर पता चलता है कि यह मूर्ति 200 साल से 225 से ज्यादा पुरानी नहीं है और वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह कहना सही नहीं होगा कि इस पर कब्जा किया हुआ था। हां भविष्य में इसको लेकर क्या रणनीति थी यह अलग बात है।

'संभल में स्थानीय मुद्दे को लेकर हुआ दंगा'

उन्होंने कहा कि रही बात आज से 46 साल पहले संभल में हुए दंगे की, तो इतिहास हमें बताता है कि हर दंगे के पीछे कोई न कोई स्थानीय मुद्दा रहता है। इन्हीं मुद्दों को धार्मिक जामा पहना दिया जाता है। क्योंकि अब तक दंगों पर जो स्टडी हुई है या दंगों के कारण जानने की बात सामने आई है, तो ज्यादातर मामलों में लोकल इश्यू ही होते हैं। हां लेकिन बाद में यह दंगे धार्मिक रूप ले लेते हैं।

प्रोफेसर ने आगे कहा, "इतिहास से हमें यही पता चलता है कि आज से 46 साल पहले संभल में हुए दंगों का कारण स्थानीय मुद्दा ही था, जिसने बाद में धार्मिक रूप ले लिया। इसी वजह से उस देंगे को सांप्रदायिक दंगा माना गया है।"

मंदिर के कुएं से मिलीं देवी-दवता की मूर्ति

वहीं इस कहानी में एक नया मोड़ तब आया, जब मंदिर के पास के कुएं से देवी-देवताओं की कई मूर्तियां मिलीं। शिव मंदिर के कुएं की खुदाई के दौरान कुएं में तीन मूर्तियां निकली हैं। DM ने मूर्तियों को अपने कब्जे में ले लिया और साथ ही ये भी जांच कराने की बात कही कि मूर्तियां कुएं में कैसे पहुंचीं।

संभल के खग्गूसराय के शिव मंदिर के बंद कुएं को खोद कर मिट्टी बाहर निकाली जा रही थी। इस दौरान कुएं में मां पार्वती की मूर्ति मिली। थोड़ी देर बाद माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति मिली। DM ने मंदिर इलाके से नियमानुसार अतिक्रमण हटवाने और कमेटी की ओर से मंदिर के सौंदर्यकरण की का भी भरोसा दिया।

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First Published: Dec 16, 2024 2:56 PM

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