ये बात जून 1988 की है, जब इलाहाबाद (Allahabad) चौक कोतवाली में नई-नई पोस्टिंग पर आए कोतवाल ने एक खूंखार गैंगस्टर को पकड़ने का फैसला किया। नए कोतवाल नवरंग सिंह ने पूरे चौक इलाके का घेराव किया, लेकिन गैंगस्टर भागने में सफल रहा। पुलिस की इस हरकत से वो गैंगस्टर इतना नाराज हुआ, कि उसने उसी रात कोतवाली पर हमला कर दिया। कोतवाली पर इस कदर बमबारी हुई कि शोर के कारण आसपास के इलाकों में लोग पूरी रात नहीं सो पाए। इतना ही नहीं जान बचाने के लिए पुलिस को कोतवाली के स्मारकीय गेट तक बंद करने पड़े।