Manu Bhaker: कौन हैं ओलिंपिक में पहला मेडल जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय महिला शूटर मनु भाकर? टोक्यो में रोते हुए निकलीं थीं बाहर
Who is Manu Bhaker: लंदन ओलिंपिक 2012 के बाद भारत का निशानेबाजी में यह पहला ओलंपिक पदक है। लंदन में विजय कुमार ने पुरुष 25 मीटर रेपिड फायर पिस्टल में रजत जबकि गगन नारंग ने पुरुष 10 मीटर एयर राइफल में कांस्य पदक जीता था। रियो ओलंपिक 2016 और तोक्यो ओलंपिक से भारतीय निशानेबाज खाली हाथ लौटे थे
Who is Manu Bhaker: मनु भाकर टोक्यो ओलिंपिक में पदक जीतने में नाकाम रहने के बाद निशानेबाजी रेंज से रोते हुए बाहर निकलीं थीं
Who is Manu Bhaker: भारतीय स्टार शूटर मनु भाकर ने ओलिंपिक के इतिहास में शूटिंग में मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज बनकर इतिहास रच दिया है। मनु भाकर ने रविवार (28 जुलाई) को महिला 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में कांस्य पदक के साथ निशानेबाजी में ओलिंपिक पदक के भारत के 12 साल के इंतजार को खत्म किया। साथ ही पेरिस ओलिंपिक में भारत के पदक का खाता खोला। वह भारतीय ओलिंपिक मेडल विजेताओं के एक खास क्लब में शामिल हो गईं, जिसमें पहले सिर्फ चार पुरुष निशानेबाज थे।
पेरिस से लगभग 300 किमी की दूरी पर स्थित निशानेबाजी रेंज में राइफल निशानेबाजों रमिता जिंदल और अर्जुन बबूता ने भी क्रमश: महिला 10 मीटर एयर राइफल और पुरुष 10 मीटर एयर राइफल के फाइनल में जगह बनाकर पदक की उम्मीद जगाई। इससे पहले, राज्यवर्धन सिंह राठौर (2004), अभिनव बिंद्रा (2008), गगन नारंग (2012) और विजय कुमार (2012) ने भारत के लिए निशानेबाजी में मेडल जीते थे।
ओलिंपिक के इतिहास में शूटिंग में भारत को मेडल दिलाने वाली मनु पहली भारतीय महिला हैं। लंदन ओलिंपिक 2012 के बाद भारत का निशानेबाजी में यह पहला ओलंपिक पदक है। लंदन में विजय कुमार ने पुरुष 25 मीटर रेपिड फायर पिस्टल में रजत जबकि गगन नारंग ने पुरुष 10 मीटर एयर राइफल में कांस्य पदक जीता था। जबकि रियो ओलिंपिक 2016 और टोक्यो ओलिंपिक से भारतीय निशानेबाज खाली हाथ लौटे थे।
शूटिंग से मनु भाकर का शुरुआती रिश्ता
हरियाणा के झज्जर में जन्मी 22 वर्षीय मनु भाकर ने स्कूल के दिनों में टेनिस, स्केटिंग और बॉक्सिंग जैसे खेलों में हाथ आजमाया। उन्होंने 'थांग ता' नामक मार्शल आर्ट में भी भाग लिया और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते। फिर उन्होंने 14 साल की उम्र में शूटिंग में हाथ आजमाने का फैसला किया। यह 2016 के रियो ओलिंपिक के खत्म होने के ठीक बाद की बात है।
मनु भाकर कैसे सेंसेशन बन गईं?
2018 मनु भाकर के लिए एक शूटर के रूप में सफल साल था। उन्होंने एक साल पहले ही अपनी क्षमता की झलक दे दी थी। 2017 की राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में मनु भाकर ने ओलिंपियन और पूर्व वर्ल्ड नंबर 1 हीना सिद्धू को चौंका दिया। मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में सिद्धू के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 242.3 का रिकॉर्ड स्कोर बनाया। एक साल बाद मनु भाकर महज 16 साल की उम्र में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल पदक जीतकर सोशल मीडिया सनसनी बन गईं।
2018 में मैक्सिको के ग्वाडलजारा में आयोजित इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन वर्ल्ड कप में मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल में गोल्ड मेडल जीता। इस खेल में उन्होंने दो बार की चैंपियन मैक्सिको की एलेजांद्रा जवाला को हराया। मनु भाकर ने 2019 म्यूनिख ISSF वर्ल्ड कप में चौथे स्थान पर रहकर ओलिंपिक कोटा भी हासिल किया।
टोक्यो ओलिंपिक में टूटा दिल
टोक्यो ओलिंपिक में मनु भाकर से बहुत उम्मीदें थीं, भले ही यह उनका पहला ओलिंपिक था। हालांकि, उनका डेब्यू योजना के अनुसार नहीं हुआ। इवेंट के दौरान उनकी बंदूक में खराबी आ गई, जिससे वह व्याकुल हो गईं। कई इवेंट में पसंदीदा में से एक होने के बावजूद उन्होंने तीन साल पहले टोक्यो ओलिंपिक को बिना मेडल के समाप्त किया। मनु भाकर साल 2020 में टोक्यो ओलिंपिक में मेडल जीतने में नाकाम रहने के बाद निशानेबाजी रेंज से रोते हुए बाहर निकलीं थीं।
भारतीय महिला निशानेबाज मनु भाकर को दूसरे स्थान पर रहना पसंद ही नहीं है, तीसरे स्थान की तो बात ही छोड़ दीजिए। लेकिन उन्होंने कहा कि रविवार का दिन अपवाद था, क्योंकि पेरिस में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतकर वह टोक्यो ओलिंपिक में अपनी निराशा को पीछे छोड़कर राहत महसूस कर रही हैं। आत्मविश्वास से भरी भाकर ने मेडल जीतने के बाद 'जियो सिनेमा' से कहा, "टोक्यो के बाद मैं बहुत निराश थी। मुझे इससे उबरने में बहुत समय लगा।"
उन्होंने कहा, "बहुत खुश हूं कि मैं कांस्य पदक जीत सकी और हो सकता है कि अगली बार इसका रंग बेहतर हो।" इस पदक से पेरिस ओलिंपिक में भारत का खाता खुल गया और साथ ही निशानेबाजी में 12 साल का इंतजार खत्म हुआ। लेकिन हरियाणा के झज्जर की इस निशानेबाज के लिए यह सफर इतना आसान नहीं रहा। टोक्यो ओलंपिक 2021 के क्वालीफिकेशन में पिस्टल की खराबी से भाकर निराश हो गई थीं । लेकिन पिछले दो दिनों में उनका प्रयास इतना शानदार रहा जिसकी एक एथलीट से उम्मीद की जाती है।
मनु भाकर ने गीता के श्लोकों पर किया भरोसा
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, मनु भाकर के माता-पिता रामकिशन और सुमेधा ने उनके कठिन समय के दौरान उनके साथ गीता के श्लोकों का पाठ किया। मनु की मां अक्सर उन्हें गीता के श्लोक सुनाती हैं। खुद मनु भाकर ने कांस्य पदक जीतने के बाद 'जियो सिनेमा' से कहा कहा, "मैंने भगवत गीता काफी पढ़ी है और वही करने की कोशिश की जो मुझे करना चाहिए था। बाकी सब भगवान पर छोड़ दिया था। हम भाग्य से नहीं लड़ सकते। आप परिणाम को नियंत्रित नहीं कर सकते।"
टोक्यो के बाद मनु भाकर खेल छोड़ना चाहती थीं
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, टोक्यो ओलिंपिक में दिल टूटने के बाद मनु भाकर ने लगभग 25 दिनों तक अपनी पिस्तौल की ओर देखा तक नहीं था। लेकिन जब मनु भाकर टोक्यो ओलिंपिक के सदमे से उबरने के लिए केरल के चेराई में एक बीच साइड रिसॉर्ट में अपने परिवार के साथ छुट्टियां मना रही थीं, तो उन्हें शूटिंग के प्रति अपने प्यार का एहसास हुआ।
मनु भाकर पिछले 20 वर्षों में किसी व्यक्तिगत स्पर्धा के ओलिंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज हैं। आखिरी बार किसी भारतीय महिला ने ओलिंपिक के फाइनल में जगह बनाई थी, जब सुमा शिरूर 2004 एथेंस ओलिंपिक में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा के फाइनल में पहुंची थीं। मनु भाकर किसी भी ओलिंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल राउंड के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला बनकर इतिहास रच दिया है।