2024 भारतीय खेलों के लिए एक ऐसा यादगार साल रहा, जो गर्व, जोश और चुनौतियों से भरपूर रहा। क्रिकेट से लेकर ओलंपिक, पैरालंपिक और शतरंज तक, भारतीय एथलीटों ने अद्भुत प्रदर्शन कर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया। इस साल जहां कई सुनहरे पल आए, वहीं कुछ लम्हों ने यह भी दिखाया कि अभी और मेहनत की जरूरत है।क्रिकेट में भारत ने सालों के इंतजार को खत्म करते हुए टी20 विश्व कप का खिताब अपने नाम किया, जिससे करोड़ों फैंस का सपना सच हुआ। वहीं, ओलंपिक में जहां पिस्टल शूटर मनु भाकर ने दो पदकों के साथ देश को गौरवान्वित किया, तो वहीं हॉकी टीम ने लगातार दूसरा ओलंपिक पदक जीतकर अपना दमखम दिखाया।
शतरंज के मैदान में भी भारत का जलवा कायम रहा, जहां डी गुकेश और कोनेरू हम्पी ने विश्व चैंपियन बनकर देश का नाम रोशन किया। भारतीय एथलीटों ने नई बुलंदियों को छुआ, तो कुछ मौके ऐसे भी आए जिन्होंने आगे की तैयारी की जरूरत पर जोर दिया। आइए, इस साल को विस्तार से जानते हैं।
29 जून, 2024, भारतीय क्रिकेट के लिए ऐतिहासिक दिन साबित हुआ। बारबाडोस में रोहित शर्मा की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने टी20 विश्व कप का खिताब जीतकर 13 साल का इंतजार खत्म किया। यह जीत इसलिए भी खास थी क्योंकि भारत लंबे समय से ICC टूर्नामेंटों में नॉकआउट हार का सामना करता आ रहा था। इससे भी बड़ी खबर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के पूर्व सचिव जय शाह का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के अध्यक्ष के रूप में चुना जाना था। इससे भारतीय क्रिकेट का वैश्विक कद और—बढ़ गया।
पेरिस ओलंपिक में भारत ने छह पदक (एक रजत और पांच कांस्य) जीते। निशानेबाज मनु भाकर ने दो पदक जीतकर इतिहास रच दिया। लेकिन तोक्यो ओलंपिक की तुलना में इस बार पदकों की संख्या कम रही, और यह भारतीय खेल प्रशंसकों के लिए निराशाजनक रहा। भारत को स्वर्ण पदक की सबसे बड़ी उम्मीद नीरज चोपड़ा से थी, लेकिन उन्हें पाकिस्तान के अरशद नदीम से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा। यह मुकाबला खास इसलिए भी था क्योंकि अरशद ने एक ही प्रतियोगिता में 16 साल पुराने रिकॉर्ड को दो बार तोड़ दिया। भारत ने ओलंपिक इतिहास में पहली बार 10 से अधिक पदक का लक्ष्य रखा था, लेकिन वह इस आकांक्षा को पूरा नहीं कर सका।
शतरंज में भारत की शानदार जीत
2024 भारतीय शतरंज के लिए एक यादगार साल रहा। डी गुकेश ने 12 दिसंबर को 18 साल की उम्र में चीन के डिंग लिरेन को हराकर सबसे कम उम्र में विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। महिला शतरंज में, कोनेरू हम्पी ने 28 दिसंबर को अपने करियर का दूसरा रैपिड विश्व खिताब जीता। सितंबर में, पुरुष और महिला टीमों ने पहली बार ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीते। यह भारत के लिए एक नया युग साबित हुआ।
पुरुष हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में लगातार दूसरा कांस्य पदक जीतकर अपनी स्थिति मजबूत की। यह जीत इसलिए भी अहम थी क्योंकि भारत अब हॉकी में अपनी खोई प्रतिष्ठा को वापस पाने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। पैरालंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 29 पदक (7 स्वर्ण, 9 रजत और 13 कांस्य) जीते और पदक सूची में 18वां स्थान हासिल किया। अवनी लेखरा, सुमित अंतिल और मरियप्पन थंगावेलु जैसे एथलीट नए नायक बनकर उभरे।
महिला टेबल टेनिस टीम ने मनिका बत्रा के नेतृत्व में कजाकिस्तान के अस्ताना में एशियाई चैंपियनशिप में भारत का पहला पदक (कांस्य) जीता। यह भारत के टेबल टेनिस इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है, क्योंकि यह पहला अवसर था जब भारतीय महिला टीम ने एशियाई चैंपियनशिप में पदक हासिल किया। इस उपलब्धि ने भारत के लिए इस खेल में एक नई शुरुआत का संकेत दिया है, और इसे भारतीय टेबल टेनिस के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
2036 ओलंपिक की मेजबानी का सपना
2024 में भारत ने 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए औपचारिक प्रस्ताव सौंपा। यह कदम देश के खेल परिदृश्य को पूरी तरह बदलने की क्षमता रखता है। यदि यह सपना साकार होता है, तो यह भारतीय खेलों के इतिहास का सबसे बड़ा अध्याय होगा।
2024 का साल भारतीय खेलों के लिए प्रेरणादायक रहा। यह साल न केवल जश्न के पलों के लिए याद किया जाएगा, बल्कि इसने यह भी दिखाया कि भारत को खेल महाशक्ति बनने के लिए अभी और मेहनत करनी होगी। हर उपलब्धि और हर चूक ने यह संदेश दिया कि सपने बड़े हैं, लेकिन उन्हें पाने के लिए तैयारी भी उतनी ही बड़ी होनी चाहिए।