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Supermoon 2022: आज चांद धरती के सबसे ज्यादा करीब, जानिए भारत में कब नजर आएगा सुपरमून

Supermoon 2022: सुपरमून (Supermoon) का मतलब ये नहीं है कि चांद के पास इस दौरान किसी खास तरह की ताकत आ जाएगी। सुपरमून का मतलब है कि इस दौरान चांद समान आकार से ज्यादा बड़ा दिखेगा

अपडेटेड Jul 13, 2022 पर 10:05 AM
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सुपरमून तब दिखता है जब चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के सबसे करीब होता है

Supermoon 2022: 13 जुलाई को पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी सबसे कम हो जाएगी। इस कारण रात में पृथ्वी के आसमान में सुपरमून (Supermoon) देखने को मिलेगा। चांद इस दौरान पृथ्वी से सिर्फ 357,264 किलोमीटर होगा। सुपरमून का समुद्र पर प्रभाव भी देखने को मिलेगा। ऐसा एक खगोलीय घटना की वजह से होगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुपरमून उस वक्त करीब 14 फीसदी बड़ा दिखेगा और उसकी चमक 30 फीसीद से भी ज्यादा बढ़ जाएगी।

इस साल का सुपरमून 13 जुलाई की रात 12.7 बजे देखा जा सकता है। इसके बाद यह अगले साल यानी 2023 में 3 जुलाई को दिखेगा। इसे डीयर मून यानी हिरन चांद, थंडर मून, हे मून और विर्ट मून के नाम से भी जाना जाता है। अमेरिका में इसे सैल्मन मून, रास्पबेरी मून और कैलमिंग मून कहा जाता है।

जानिए क्या होता है सुपरमून


सुपरमून (Supermoon) का मतलब ये नहीं है कि चांद के पास इस दौरान किसी खास तरह की ताकत आ जाएगी। सुपरमून का मतलब है कि इस दौरान चांद समान आकार से ज्यादा बड़ा दिखेगा। इसके अलावा पहले से कुछ ज्यादा ही चमकदार भी दिखेगा। ऐसा इसलिए होता है कि चांद धरती की कक्षा के बहुत करीब आ जाता है। इस पोजिशन को परीजी (Perigee) कहते हैं। इसके अलावा पृथ्वी का चक्कर लगाने के दौरान चांद दूर हो जाता है। जिसे अपोजी (Apogee) कहते हैं। इस दौरान चांद पृथ्वी से 4,05,500 किमी दूर होता है।

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सुपरमून के कुछ घंटों बाद फुलमून होगा। 'फुलमून' 2-3 दिन तक देखा जा सकता है। ये असल में फुलमून नहीं होगा। लेकिन चांद के आकार के कारण ये उसी तरह दिखाई देखा। इसके साथ ही इस दौरान चांद पर परछाई की स्ट्रिप बहुत पतली दिखाई देगी। बदलाव भी इतना धीरे होगा कि ये फुलमून की ही तरह लगेगा। इंसानी आंखों के लिए इस प्रक्रिया को देख पाना मुश्किल है।

बढ़ जाती है हाई टाइड की आशंका

सुपरमून से हाई टाइड की आशंका बढ़ सकती है। खगोलविदों का मानना है कि सुपरमून के दौरान तटीय इलाकों में आने वाले तूफान से बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।

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