सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने छत्तीसगढ़ सरकार को एक रेप के दोषी व्यक्ति को साढ़े 7 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। जी हां, दरअसल किसी कारणवश रेप के दोषी को 7 साल की जगह 10 साल से अधिक समय जेल में सजा काटनी पड़ गई। सुप्रीम कोर्ट ने इसे संविधान के मौलिक अधिकारों का हनन करार देते हुए उसे साढ़े 7 लाख रुपए मुआवजा राशि देने का आदेश राज्य शासन को दिया है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया है कि वह सजा की अवधि पूरी होने के बावजूद जेल में रखे जाने पर दुष्कर्म के एक दोषी को 7.5 लाख रुपये का मुआवजा दे।
जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सी. टी. रविकुमार ने देखा किया कि याचिकाकर्ता युवा है और उसे लंबे समय तक तथा गैर कानूनी तरीके से मौलिक अधिकारों से वंचित रखा गया। इसके अलावा उसने अतिरिक्त अवैध हिरासत की वजह से मानसिक पीड़ा सही।
सुप्रीम कोर्ट उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के एक फैसले को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा-376 (दुष्कर्म) के तहत दोषी करार देने की निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की थी, लेकिन सजा 12 साल से घटाकर 7 साल सश्रम कारावास कर दी थी।
मामले पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने पाया कि व्यक्ति को सुनाई गई सजा से अधिक अवधि तक जेल में रखा गया। याचिकाकर्ता को 10 साल 3 महीने और 16 दिनों तक कारावास में रखा गया था। न्यूज 18 के मुताबिक, यह मामला जशपुर जिले का है, जहां फरसाबहार थाना क्षेत्र के ग्राम तमामुंडा निवासी भोला कुमार दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद था। ट्रॉयल में उसे निचली अदालत ने दोषी करार दिया और साल 2014 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
इस फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने 19 जुलाई 2018 को उसे रेप के लिए दोषी ठहराया था। इसके साथ ही उसकी आजीवन कारावास यानि 12 साल की सजा को कम कर 7 साल कर दिया था। हालांकि, हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी उसे 10 साल से अधिक समय जेल में बिताना पड़ा। अब सुप्रीम कोर्ट से उसे बड़ी राहत मिली है।