FabiSpray: अब नाक में ही खत्म हो जाएगा कोरोना, भारत के पहले इस नेजल स्प्रे से 24 घंटे में 94% कम हो जाएगा वायरस का असर

कोरोना के खतरों से बचाने के लिए तैयार नेजल स्प्रे से 24 घंटे के भीतर वायरस का असर 94% तक कम हो गया, जबकि 48 घंटे में 99% तक वायरस पर काबू पाया है। ये भारत का पहला कोरोना नेजल स्प्रे है

अपडेटेड Jul 15, 2022 पर 10:51 AM
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सरकार से मिलने के बाद नेजल स्प्रे को FabiSpray नाम से लॉन्च किया गया है

मुंबई की दवा कंपनी ग्लेनमार्क (Glenmark) ने कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए एक नेजल स्प्रे (Nasal Spray) लॉन्च किया। इसी साल फरवरी में सरकार से अनुमति लेने वाले इस नेजल स्प्रे को ‘फैबी स्प्रे’ (FabiSpray) नाम से लॉन्च किया गया है।

ग्लेनमार्क ने इसे कनाडा की दवा कंपनी SaNOtize के साथ मिलकर बनाया है। ग्लेनमार्क नाइट्रिक ऑक्साइड नेजल स्प्रे (NONS) नामक इस दवा को कंपनी ने भारत में FabiSpray के नाम से उतारा है। ये भारत का पहला कोरोना नेजल स्प्रे है।

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हेल्थ जर्नल ‘द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथ ईस्ट एशिया’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, तीसरे चरण के ट्रायल के परिणामों के अनुसार, भारत में कोरोना के उच्च जोखिम वाले वयस्क मरीजों को दी गई FabiSpray नेजल स्प्रे (नाक के रास्ते लिया जाने वाला एंटी-कोविड स्प्रे) ने 24 घंटे के भीतर वायरल लोड को 94 फीसदी और 48 घंटे में 99 प्रतिशत तक कम कर दिया।

ग्लेनमार्क ने भारत में करीब 20 स्थानों पर वैक्सीनेशन और बिना वैक्सीनेशन वाले 306 वयस्कों पर नाइट्रिक ऑक्साइड नेजल स्प्रे (NONS) का अध्ययन किया, जो COVID-19 से संक्रमित थे।

क्या होगी कीमत?

ग्लेनमार्क कंपनी में क्लीनिकल डेवलपमेंट की हेड और सीनियर वाइस प्रेसिडेंड डॉ. मोनिका टंडन ने पत्रकारों को बताया कि ये नेजल स्प्रे सिर्फ डॉक्टर के पर्चे पर ही दिया जाएगा। यानी इसे आप मार्केट से जनरल दवाओं की तरह नहीं खरीद सकेंगे। उन्होंने बताया कि ये स्प्रे सिर्फ वयस्क कोरोना मरीजों के लिए ही है। डॉक्टर की सलाह पर ही इसे खरीदा जा सकता है।

डॉ. मोनिका टंडन के मुताबिक, भारत में फैबी स्प्रे की 25 मिली यूनिट की कीमत 850 रुपये होगी। कंपनी का दावा है कि बाकी देशों की तुलना में भारत में इसकी कीमत काफी कम है। डॉ. टंडन ने बताया कि इसी सप्ताह से फैबी स्प्रे फार्मेसी की दुकानों पर बिकना शुरू हो जाएगा।

20 अस्पतालों में किया गया ट्रायल

डॉ. मोनिका टंडन ने बताया कि नेजल स्प्रे का कोरोना संक्रमित मरीजों पर देश के 20 अस्पतालों में ट्रायल किया गया है। इस दौरान हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों (जिन्होंने वैक्सीन लगवा लिया है) और बिना वैक्सीन लेने वाले कोरोना मरीजों को अलग-अलग ग्रुप में रखा गया।

एक को नेजल स्प्रे यानी नाक के जरिए नाइट्रिक ऑक्साइड दी गई, जबकि दूसरे ग्रुप को एक प्लेसीबो दिया गया। इस ट्रायल के 7 दिन बाद रिजल्ट की समीक्षा की गई तो असर का पता चला। ट्रायल से पता चला कि उच्च जोखिम वाले कोरोना मरीजों, जिन्होंने नेजल स्प्रे लिया था, उनमें 24 घंटे के अंदर वायरल लोड में 94 फीसदी तक की कमी देखी गई।

MoneyControl News

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First Published: Jul 15, 2022 10:13 AM

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