गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर पाबंदी लगाने का फैसला टेंपररी है। फूड सेक्रेटरी का ने ऐसा कहा है। कल आये इस फैसले के चलते आज चीनी स्टॉक्स में कमजोरी देखने को मिली। देश की सबसे बड़ी चीनी कंपनी बलरामपुर चीनी के शेयर 3 प्रतिशत से ज्यादा टूट गये। इसके बाद चीनी कंपनियों द्वारा सरकार इस फैसले की आलोचना की। इंडस्ट्री ने अन्य विकल्प तलाशे जाने की बात कही गई। जिसके बाद सरकार की तरफ ये सफाई आई है कि गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर पाबंदी लगाने का फैसला स्थायी नहीं बल्कि अस्थायी और हर महीने हालात की समीक्षा की जायेगी। इसे सरकार की तरफ थनॉल प्लांट वाली कंपनियों को मलहम लगाने की कोशिश माना जा रहा है।
इस खबर पर ज्यादा डिटेल के साथ सीएबीसी-आवाज़ के लक्ष्मण रॉय ने कहा कि एथेनॉल के मुद्दे पर सरकार की सफाई सामने आई है। फूड और पेट्रोलियम सेक्रेटरी ने इस संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेस की। उन्होंने कहा कि गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर बैन छोटी अवधि के लिए लगाया गया है। ये हमेशा के लिए नहीं लगाया है। हर महीने सरकार गन्ने और चीनी के उत्पादन के हालात की समीक्षा करेगी।
वहीं सरकार गन्ने से एथेनॉल बनाने की निर्भरता को कम करने की कोशिश में जुटी हुई है। सरकार चाहती है कि अब एथेनॉल बनाने के लिए मक्के को प्राथमिकता देना चाहिए। इसके लिए प्लांट को सस्ते में मक्का मुहैया कराने की स्कीम सरकार मंजूर करेगी। एथेनॉल प्लांट को सस्ते में मक्का मुहैया कराने की स्कीम लायेगी। इसके लिए नैफेड, NCCF को MSP से ऊपर होने वाले खर्च सरकार देगी। इसका मतलब है नैफेड और NCCF को सरकार सब्सिडी देगी।
सरकार का कहना है कि प्लांट्स को MSP पर मक्का खरीदना होगा। लेकिन इसके बाद स्टोरेज पर आने वाला खर्च, हैंडलिंग खर्च को सरकार वहन करेगी। सरकार का कहना है कि इससे एथेनॉल बनाने वाले प्लांट को सस्ते में मक्का मिलेगा तो सस्ते में एथेनॉल का उत्पादन हो सकेगा। हालांकि सरकार की तरफ मक्के वाली एथेनॉल की कीमत बढ़ाने पर कोई सफाई नहीं आई है। वहीं 15% एथनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य पर सरकार कायम है।