मुजफ्फरपुर स्थित बाबा साहब भीमराव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी ने अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस पहल के तहत रूस से दो विशेषज्ञ, Ms. Anna Listova और Ms. Polina, विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय वर्कशॉप और ओपन मास्टर क्लास के लिए आई हैं। ये विशेषज्ञ रूसी भाषा और संस्कृति की एम्बेसडर हैं और विद्यार्थियों को रूस की शिक्षा, भाषा, और साहित्य से परिचित करा रही हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत और रूस के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है, जिससे दोनों देशों के छात्रों को एक-दूसरे की संस्कृति और शिक्षा प्रणाली को समझने का अवसर मिलेगा।
रूसी भाषा विभाग के छात्रों के लिए यह एक विशेस अवसर है, जहां वे रूसी साहित्य, भाषा और संस्कृति की गहराई से जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनका शैक्षिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण व्यापक होगा।
भाषा और संस्कृति को मिलेगा बढ़ावा
Ms. Polina ने इस पहल के पीछे के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह भारत और रूस के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि इस साझेदारी से दोनों देशों के छात्रों को एक-दूसरे की संस्कृति और शैक्षिक प्रणाली को समझने का अवसर मिलेगा। Ms. Anna Listova ने बताया कि इस कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों को रूसी भाषा की जानकारी दी जाएगी, साथ ही उन्हें रूसी साहित्य और वहां की शिक्षा प्रणाली से परिचित कराया जाएगा।
रूसी भाषा और साहित्य का प्रशिक्षण
बिहार यूनिवर्सिटी के रूसी भाषा विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर सुषमा कुमारी ने बताया कि यह तीन दिवसीय कार्यक्रम विद्यार्थियों के लिए एक अनूठा अवसर है। वर्कशॉप में रूसी विशेषज्ञ विद्यार्थियों को भाषा और साहित्य की गहराई से जानकारी देंगे। साथ ही क्विज प्रतियोगिताओं और संवाद सत्रों के माध्यम से छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। रूसी भाषा के प्रति उत्सुक छात्र अपने सवाल पूछ सकेंगे और रूसी साहित्य की विविधताओं को समझने का अवसर मिलेगा।
दोनों देशों के छात्रों को मिलेगा लाभ
प्रोफेसर दिव्यम कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से विश्वविद्यालय ने रूस के साथ एक महत्वपूर्ण एमओयू (सहमतिपत्र) पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे दोनों देशों के छात्रों के बीच आदान-प्रदान की प्रक्रिया शुरू होगी। बिहार यूनिवर्सिटी के छात्र रूस जाकर शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे और वहां के छात्र भारत आकर यहां की संस्कृति और शिक्षा प्रणाली से रूबरू होंगे।
बिहार को अंतरराष्ट्रीय पहचान
इस पहल का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि बिहार यूनिवर्सिटी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। न केवल विश्वविद्यालय बल्कि राज्य का नाम भी वैश्विक मंच पर चमकेगा। यह कदम विद्यार्थियों के लिए कई नए अवसर प्रदान करने के साथ-साथ भारत और रूस के शैक्षिक संबंधों को मजबूत करेगा।