मान लीजिए आपने अपने घर से कहीं जाने के लिए Ola या Uber से कैब बुक की, लेकिन तभी सेम डेस्टिनेशन के लिए आपके ही परिवार के किसी दूसरे सदस्य ने भी अपने फोन से राइड बुक की, लेकिन दोनों ही राइड के लिए जो किराया दिखाया गया, वो अलग-अलग था, क्योंकि एक राइड Android फोन से बुक की गई थी और दूसरी राइड iOS यानी iPhone से बुक की गई थी। सोशल मीडिया पर ऐसे कई दावे सामने आए, जिसके बाद अब केंद्र सरकार ने गुरुवार को दोनों ही कैब एग्रीगेटर को नोटिस जारी कर इस पर जवाब मांगा है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कैब एग्रीगेटर्स ओला और उबर को नोटिस जारी किया है, क्योंकि केंद्र को ऐसी कई रिपोर्ट्स मिली थीं कि अलग-अलग फोन से सेम राइड बुक करने पर किराये में अंतर देखने को मिला है। अब सरकार ने दोनों कंपनियों से इस पर उनका जवाब मांगा है।
सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) की ओर से यह कार्रवाई उन रिपोर्टों के बाद की गई है, जिनमें कहा गया था कि ओला और उबर एक ही सर्विस के लिए अलग-अलग किराया वसूलते हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि यूजर iPhone या Android डिवाइस पर बुकिंग कर रहा है या नहीं।
उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने गुरुवार को X पर एक पोस्ट कर ये जानकारी दी। जोशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, "उपभोक्ता मामलों के विभाग ने CCPA के जरिए मेजर कैब एग्रीगेटर्स ओला और उबर को नोटिस जारी कर अलग-अलग मोबाइल (आईफोन और एंड्रायड) के जरिये एक ही जगह की बुकिंग के लिए अलग-अलग किराया लेने पर उनसे जवाब मांगा है।’’
जोशी ने पिछले महीने ‘उपभोक्ता शोषण को कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की बात कही थी और CCPA से इन आरोपों की गहन जांच करने को कहा था।
सोशल मीडिया पर उठा था मुद्दा
इससे पहले, दिल्ली के एक आन्त्रप्रेन्योर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शेयर किया था कि दोनों राइड-हेलिंग ऐप अलग-अलग डिवाइस और बैटरी लेवल पर किराए की तुलना करने के बाद कैब के लिए अलग-अलग कीमत वसूल रहे थे। इस पोस्ट ने तब सुर्खियां बटोरीं जब कई दूसरे यूजर्स ने अलग-अलग राइड फेयर का मुद्दा उठाया।
Times of India की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर में ये जांच की गई और पाया गया कि Android की तुलना में iOS डिवाइस पर कैब का ज्यादा किराया दिखाया गया।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह असमानता राइड-हेलिंग एप्स की ओर से हार्डवेयर डेटा एक्सेस के तरीके के कारण है, जिसके लिए एप इंस्टॉलेशन प्रोसेस के दौरान यूजर्स को सहमति देनी होती है।
उबर ने इस बात से इनकार किया कि वो फोन या उसके ऑपरेटिंग सिस्टम के आधार पर राइड का किराया तय करती है। कंपनी ने कहा कि किराये में अंतर पिक-अप पॉइंट, एस्टिमेटेड अराइवल टाइम (ETA) और ड्रॉप-ऑफ पॉइंट अलग-अलग होने के कारण हो सकता है।