Epilepsy Symptoms: इपीलेप्सी यानी मिर्गी एक ऐसी बीमारी है जो दिमाग के मुख्य तंत्रिका तंत्र यानी सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ी हुई है। इसमें दिमाग की गतिविधियां असमान्य हो जाती हैं। कभी-कभी मरीज इसमें अपनी चेतना खो देता है। इसमें बेहोशी जैसी हालत हो जाती है। इसे इस तरह से भी समझ सकते हैं कि मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति को अचानक कभी-कभी दिमाग में इलेक्ट्रिकल गतिविधियां नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। मरीज असामान्य व्यवहार करने लगता है। इस स्थिति में मिर्गी के मरीज कभी-कभी अपना सुध-बुध भी खो देता है। मिर्गी से हर आयु के लोग प्रभावित हो सकते हैं। आज भी हमारे समाज के लोग इसे कलंक मानते हैं।
लोगों को इस बीमारी के लिए जागरूक करने के मकसद से हर साल 17 नवंबर को नेशनल एपिलेप्सी डे मनाया जाता है। मिर्गी के दौरों की पुष्टि तब तक नहीं होती, जब तक व्यक्ति को एक या दो से ज्यादा बार दौरा न पड़ जाए।
बार-बार दौरा पड़ना मिर्गी का मुख्य लक्षण है। इसमें अस्थायी रूप से मरीज बेहोश हो जाते हैं। मांसपेशियों में मरोड़, आवाज कम हो जाना, पेशियों का अनियंत्रित रूप से काम करने लगता है। पूरा शरीर सुन्न महसूस होने लगता है। बोलने या समझने में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दिल की धड़कन और श्वास की गति बढ़ जाती है। भय, चिंता या दहशत महसूस होने लगती है। हाथों और पैरों की गतिविधि में परिवर्तन आने लगता है।
मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति के लिए अंगूर एक कारगर फल है। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को ज्यादा से ज्यादा अंगूर का सेवन करना चाहिए। रोजाना नाश्ते में अंगूर का सेवन ऐसे लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा। अंगूर में ऐसे में तत्व पाए जाते हैं, जो दिमाग को शांत रखने में काफी सहायक साबित होते हैं। अंगूर का जूस पीते ही फौरन राहत मिलती है।
करौंदा खाने से मिर्गी का दौरा कम आता है। इसके साथ ही अगर किसी को मिर्गी आए, तो उन्हें फौरन करौंदा का जूस पिला दें। इससे तुरंत आराम मिलेगा।
मिर्गी के मरीजों के लिए कद्दू का सेवन भी काफी फायदेमंद बताया गया है। कद्दू के रस का सेवन मिर्गी के दौरे कम करने में काफी मददगार है। इसके अलावा इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए कद्दू की सब्जी भी काफी असरदार मानी गई है।