Farmers Protest: किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च के कारण राजधानी की सीमा पर प्रतिबंध बढ़ने से 8 महीने की गर्भवती मधु कुमारी को दिल्ली में अपनी डॉक्टर को दिखाने के लिए सिंघु बॉर्डर पैदल ही पार करना पड़ा। किसान प्रदर्शनकारियों के मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सिंघु बॉर्डर के पास हरियाणा के सोनीपत को दिल्ली से जोड़ने वाले कई रास्तों को खोद दिया गया है। 30 वर्षीय मधु, अपने पति और दो अन्य रिश्तेदारों के साथ डॉक्टर के पास जाने के लिए निकली थीं। लेकिन सील की गई सीमा और पुलिस की भारी तैनाती के कारण अन्य तमाम यात्रियों की तरह उन्हें भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
मधु ने पीटीआई से कहा, "बस ने हमें सिंघू बॉर्डर से काफी पीछे छोड़ दिया, जिसे पुलिस ने बंद कर दिया है। उन्होंने हमें बताया कि दिल्ली जाने के लिए हमें दूसरी ओर से अन्य परिवहन साधन का इस्तेमाल करना होगा।" दिल्ली और हरियाणा के बीच आवाजाही करने वाले यात्री या तो बंद सीमाओं पर घंटों फंसे रहे या पैदल ही अपने गंतव्य तक पहुंचे। वाहनों की आवाजाही को पूरी तरह रोकने के लिए सीमा के नजदीक गलियों और सड़कों को खोद दिया गया, जिसके चलते लोगों की दिक्कतें और भी बढ़ गईं।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि लोगों के लिए सीमा पार करने के लिए कुछ रास्ते अभी भी खुले हैं। लेकिन अगर किसान सिंघू बॉर्डर पर पहुंचते हैं तो अंततः उन पर भी बैरिकेड लगा दिए जाएंगे। सोनीपत के पुलिस आयुक्त बी. सतीश बालन ने कहा कि अंबाला और सिंघु बॉर्डर के बीच कई चौकियों पर बैरिकेड लगाए गए हैं।
उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि वे इस क्षेत्र को पार कर पाएंगे, लेकिन हम स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं। एंबुलेंस की आवाजाही के लिए वैकल्पिक रूट्स उपलब्ध कराया गया है।" उन्होंने कहा कि हरियाणा पुलिस के अधिकारी दिल्ली पुलिस के अपने समकक्षों के साथ बदलती स्थिति पर चर्चा करने के लिए संपर्क में बने हुए हैं।
प्रतिबंधों के कारण दिल्ली से सिंघु बॉर्डर की ओर ट्रैफि हल्का रहा। बुधवार को सिंघु बॉर्डर फ्लाईओवर पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद रही। हालात पर नजर रखने के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही है। अपनी पत्नी के साथ आए एक व्यक्ति ने पुलिसकर्मियों से बैरिकेड पार करने की अनुमति देने का अनुरोध करते हुए कहा कि उन्हें राजौरी गार्डन जाना है जहां उनके एक रिश्तेदार का निधन हो गया है। एक कूरियर सेवा के कर्मी बुलंद सिंह ने कहा कि उन्हें एक पार्सल लेने के लिए इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक जाना था, लेकिन वह काफी देर से सिंघु बॉर्डर पर फंसे हुए हैं।
'कॉस्ट टू कॉस्ट' नाम के खरीदारी परिसर के प्रबंधक निकेश ने पीटीआई से कहा, ''हमारे कर्मी कार्यस्थल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। पिछले दो दिनों से दुकानें बंद पड़ी हैं, जिससे रोजाना 40 से 50 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है।'' उन्होंने कहा, ''जिस इमारत को हमने किराए पर लिया हुआ है उसका दिन का किराया 20 हजार रुपये पड़ता है। कौन हमारे नुकसान की भरपाई करेगा, सरकार या किसान?''
स्थानीय बाजार में भी गिनी-चुनी दुकानें ही खुली हैं लेकिन ग्राहकों की कम संख्या और समय से पहले दुकान बंद करने से उन्हें भी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इलाके के ही एक दुकानदार करण ने कहा, ''जब से यह प्रतिबंध लागू किए गए हैं तब से मेरी दुकानें 95 फीसदी घाटे में जा रही हैं। हमारे ग्राहक सिंघु बॉर्डर के साथ-साथ हरियाणा के इलाकों से भी आते थे।''
करण की इलाके में तीन दुकानें हैं, जिनमें से एक दुकान कपड़े की है। उन्होंने कहा, ''जब पिछली बार किसानों का आंदोलन हुआ था तो हमें अपनी तीनों दुकानें एक साल के लिए बंद करनी पड़ी थीं। अब यहां कोई ग्राहक नहीं है। पता नहीं, अब क्या होगा।''