Geetanjali Shree की ‘Tomb of Sand’ को मिला Booker Prize, यह सम्मान हासिल करने वाली पहली हिंदी नॉवेल

मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ नाम से प्रकाशित इस उपन्यास का अंग्रेजी में Tomb of Sand शीर्षक से डेजी रॉकवेल ने अनुवाद किया था।

अपडेटेड May 27, 2022 पर 4:20 PM
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गीतांजलि श्री एक भारतीय भाषा में लिखी गई पुस्तक के लिए 2022 का प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (International Booker Prize) जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं

Geetanjali Shree Tomb of Sand : ऑथर गीतांजलि श्री एक भारतीय भाषा में लिखी गई पुस्तक के लिए 2022 का प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (International Booker Prize) जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं। उन्होंने अपनी हिंदी में लिखी पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद टॉम्ब ऑफ सैंड (Tomb of Sand) के लिए यह पुरस्कार हासिल किया है। यह किताब हिंदी में ‘रेत समाधि’ नाम से प्रकाशित हुई है, जिसे अंग्रेजी में Tomb of Sand शीर्षक से डेजी रॉकवेल ने अनुवाद किया था।

सपने में भी नहीं सोचा था, यह पुरस्कार मिलेगा

बुकर पुरस्कार के लिए 'टॉम्ब ऑफ सैंड' (Tomb of Sand) का चयन होने पर गीतांजलि श्री ने कहा कि इस पुरस्कार की उनके लिए खास अहमियत है। उन्होंने कहा, “बुकर मिलने की बात मैंने सपने में भी नहीं सोची थी, मैंने नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं। कितना बड़ा सम्मान है, मैं आश्चर्यचकित, खुश हूं और सम्मानित महूसस कर रही हूं।”


उन्होंने कहा, “यह पुरस्कार एक संतोष की बात है। रेत समाधि/ Tomb of Sand इन दुनिया के लिए शोकगीत के समान है, जो सामने मौजूद कयामत में भी उम्मीद की किरण को बनाए रखती है। बुकर मिलने से यह किताब कई अन्य लोगों तक पहुंचेगी।”

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पुरस्कार के लिए होड़ में थे 13 उपन्यास

50,000 पाउंड के साहित्यिक पुरस्कार के लिए 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को 13 उपन्यासों में शामिल किया गया था, जिनका 11 भाषाओं से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था। पुरस्कार की धनराशि ऑथर और अनुवादक के बीच बांटी जाएगी। लंदन पुस्तक मेले में घोषित अन्य शॉर्टलिस्ट किताबों में बोरा चुंग की ‘कर्स्ड बनी’ शामिल थी, जिसे कोरियाई से एंटोन हूर ने अनुवाद किया है। इसके अलावा जॉन फॉसे की ‘ए न्यू नेम: सेप्टोलॉजी VI-VII’ भी इस दौड़ में थी जिसे नार्वेई भाषा से डेमियन सियर्स ने अनुवाद किया था।

इसके अलावा मीको कावाकामी की किताब 'हेवेन' भी इस दौड़ में थी जिसे जापानी से सैमुअल बेट और डेविड बॉयड ने अनुवाद किया था। क्लाउडिया पिनेरो की लिखी ‘एलेना नोज़’ का अनुवाद स्पेनिश से फ्रांसिस रिडल ने किया।

80 वर्षीय महिला की कहानी है यह उपन्यास

पुरस्कार विजेता किताब में एक 80 वर्षीय महिला का वर्णन किया गया है, जो अपने पति की मौत के बाद भारी डिप्रेशन का अनुभव करती है। आखिरकार, वह डिप्रेशन से उबरती है और अपने अतीत का सामना करने के लिए पाकिस्तान जाने का फैसला करती है, जो वह विभाजन के दौरान पीछे छोड़ आई थी।

 

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First Published: May 27, 2022 9:34 AM

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