सरकारी अस्पतालों की हालत कैसी है, यह किसी से छिपा नहीं है। समय पर डॉक्टर मिल जाए, इसके बाद बेहतर इलाज हो जाए तो शायद बहुत खुशनसीब होंगे। लेकिन जब किसी आला अधिकारी के फोन की घंटी बज जाए तो फिर पूरा स्टाफ एक उंगली पर नाचने लगता है। मध्य प्रदेश के बैतूल में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। दरअसल, एक नाबालिग सड़क दुर्घटना में घायल हो गया है। वो सरकारी जिला अस्पताल में इलाज कराने पहुंच गया। समय से उसे इलाज नहीं मिलने पर जिला अधिकारी (DM) को रात 3 बजे फोन घुमा दिया। इसके बाद डीएम साहब भी रात 3 बजे अस्पताल पहुंच गए।
दरअसल, 17 साल के छात्र नीलेश अहाके को किसी वाहन ने टक्कर मार दी थी। निलेश बाइक में थे। वो घायल हो गए। इसके बाद निलेश को इलाज के लिए बैतूल जिला अस्पताल ले जाया गया था। निलेश ने देखा कि अस्पताल में उनका कोई इलाज करने वाला नहीं है। इस पर उन्होंने जिला कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी को फोन किया।
जिला अधिकारी ने रात 3 बजे अस्पताल का किया दौरा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीलेश के फोन करने के कुछ ही देर बाद सूर्यवंशी अस्पताल पहुंच गए। वो सीधे पुरुष सर्जिकल वार्ड में गए और मरीज से मुलाकात की। उन्होंने उसकी स्थिति का जायजा लिया और फिर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सिविल सर्जन के साथ-साथ ड्यूटी डॉक्टर को भी बुलाया। ड्यूटी डॉक्टर मौके से गायब थे। कलेक्टर के एक्शन में आने के बाद जल्द ही इलाज शुरू कर दिया गया। घायल का तत्काल सीटी स्कैन कराया गया। उसका इलाज शुरू कराया गया। उसे बेड भी मुहैया कराया गया। कलेक्टर इस मामले को काफी गंभीर मान रहे हैं। उन्होंने टेक्नीशियन के साथ ही स्टाफ नर्स के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
जिला अधिकारी ने दिया बयान
कलेक्टर सूर्यवंशी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि आम तौर पर कोई भी ऐसे विषम समय में कॉल नहीं करेगा जब तक कि कोई गंभीर मुद्दा न हो। इसलिए, मैं तुरंत अस्पताल पहुंचा। ड्यूटी पर डॉक्टर मौजूद नहीं थे। मैं संबंधित डॉक्टर को नोटिस जारी कर रहा हूं। सिविल सर्जन और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को भी निर्देश दिए गए हैं। आगे भी इस तरह औचक निरीक्षण और उनका फॉलोअप नियमित रूप से किया जाएगा।