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IAS IPS Village: देश में एक गांव ऐसा भी, जहां हर घर में पैदा होते हैं IAS और IPS

IAS IPS Village: उत्तर प्रदेश के जौनपुर में माधोपट्टी नाम का एक गांव है। इस गांव को IAS की फैक्ट्री कहा जाता है। इस गांव ने देश को कई IAS अधिकारी दिए हैं। गांव के कई लोग देशभर में बड़े पदों पर तैनात है। गांव में सिर्फ 75 परिवार हैं। इनमें 47 लोग UPSC की परीक्षा पास कर IAS और IPS बन चुके हैं

अपडेटेड Mar 15, 2023 पर 5:03 PM
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जौनपुर के माधोपट्टी गांव में साल 1952 में डॉ इंदुप्रकाश पहले IAS अफसर बने थे

IAS IPS Village: देशभर के कई युवा IAS अधिकारी बनने का सपना देखते हैं। इसके लिए वो दिन रात खून पसीना एक करने में जुट जाते हैं। कुछ लोगों को इसकी तैयारी करने के लिए घर से कई काफी दूर जाना भी पड़ता है। IAS और IPS बनना किसी सपने से कम नहीं होता है। आज हम आपको एक ऐसे गांव की कहानी बता रहे हैं। जहां हर घर में IAS और IPS अफसर पैदा होते हैं। इस गांव को IAS की फैक्ट्री कहा जाता है। यह गांव का नाम माधोपट्टी है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में है। इस गांव से लगभग हर घर से एक अधिकारी निकलता है।

इस गांव ने देश को कई बड़े अधिकारी दिए हैं। दुनियाभर में इस गांव के किस्से सुने जाते हैं। गांव के लगभग हर घर से अधिकारी निकलता है। अगर कोई देश की सबसे कठिन परीक्षा माने जाने वाली UPSC परीक्षा को पास कर लेता है। तब आसपास के इलाके में वो फौरन सुर्खियों में छा जाता है।

कैसे शुरू हुआ सिलसिला?


माधोपट्टी गांव से पहली बार साल 1952 में डॉ इंदुप्रकाश IAS बने। उन्होंने UPSC में दूसरी रैंक हासिल की। डॉ इंदुप्रकाश फ्रांस समेत कई देशों के राजदूत रह चुके हैं। डॉ इंदुप्रकाश के बाद उनके चार भाई IAS अधिकारी बने। साल 1955 में विनय कुमार सिंह ने IAS परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल की। वो बिहार के मुख्य सचिव रह चुके हैं। साल 1964 में छत्रसाल सिंह ने IAS की परीक्षा पास की। वो तमिलनाडु के मुख्य सचिव रहे हैं। साल 1964 में ही अजय सिंह भी आईएएस बने। साल 1968 में शशिकांत सिंह IAS अधिकारी बने। साल 2002 में डॉ इंदुप्रकाश के बेटे यशस्वी 31वीं रैंक हासिल कर IAS बने।

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गांव के 47 लोग IAS अफसर हैं

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस गांव में 75 लोगों का परिवार रहता है। माधोपट्‌टी गांव के 47 लोग IAS और IPS अफसर हैं। UPSC के अलावा भी बड़े पदों पर काम कर रहे गांव के निवासियों को शामिल करें तो कुल मिलाकर 51 लोग बड़े पदों पर तैनात हैं। इस गांव के कई लोग इसरो, भाभा और विश्व बैंक में भी काम कर रहे हैं। गांव के लोगों के हवाले से लिखी गईं रिपोर्ट्स बताती हैं कि ऊंचें पदों पर काम करने वाले ज्यादातर लोगों का गांव से नाता नहीं के बराबर है।

महिलाएं भी बन रहीं अधिकारी

माधोपट्टी गांव से न सिर्फ पुरुष अधिकारी बने, बल्कि यहां की बेटियों और बहुओं ने भी परचम लहराया। गांव से 1980 में आशा सिंह, 1982 में ऊषा सिंह और 1983 में इंदु सिंह अधिकारी बनी। गांव के अमिताभ सिंह की पत्नी सरिता सिंह भी IPS अधिकारी बनी।

अधिकारी बन गए लेकिन गांव को भूल गए

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2019 के बाद से माधोपट्टी गांव से कोई भी IAS या IPS अधिकारी नहीं बना है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े एक शख्स ने बताया कि अधिकारी बनने के बाद सभी अपने काम से मिली जिम्मेदारियों को निभाने में इस कद्र व्यस्त रहे कि पलट कर गांव को नहीं देखा।

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