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Indian Railways: थाली-कटोरी लेकर जाएं, इस ट्रेन में मिलेगा भरपेट भोजन, नहीं लगते पैसे

Indian Railways: ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को बैठे-बैठे ही उनका मनपसंदीदा खाना मिल जाता है। इसके लिए रेलवे की ओर से सर्विस मुहैया कराई जाती है। हालांकि इस खाने के लिए यात्रियों को पैसे देना होता है। लेकिन एक ट्रेन ऐसी है, जिसमें यात्रियों को भरपेट भोजन मिलता है। इसमें पैसे भी नहीं देना होता है

अपडेटेड Sep 30, 2024 पर 12:51 PM
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Indian Railways: अमृतसर-सचखंड एक्सप्रेस में यात्रियों को लंगर सेवा दी जाती है। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है।

भारतीय रेलवे दुनिया की बेहतरीन सुविधाओं वाली रेल सेवा बनती जा रही है। रेलवे के सफर के दौरान लोगों को बहुत सारी सहूलियतें मिलती हैं। ट्रेन में बैठे-बैठे यात्रियों को भोजन मिलता है। रेलवे की इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन IRCTC ने अलग से साइट बनाई है। उस पर जाकर ट्रेन में बैठे-बैठे ऑनलाइन खाना मंगाया जा सकता है। हालांकि इसके लिए पैसे देना होता है। लेकिन एक ट्रेन ऐसी, जिसमें फ्री में भरपेट भोजन मिलता है। बताया जा रहा है कि इस ट्रेन में यात्रियों को लंगर सुविधा मुहैया कराई जाती है।

अमृतसर-नांदेड़ सचखंड एक्सप्रेस में 29 साल से यात्रियों को फ्री खाना खिलाया जा रहा है। इस ट्रेन में भोजन ले जाने की जरूरत नहीं रहती है। 2081 किमी के सफर में यात्रियों को लंगर दिया जाता है। सचखंड एक्सप्रेस में पैंट्री भी है। लेकिन यहां पर खाना नहीं बनता है। इसकी वजह ये है कि जिस समय नाश्ता मिलता है। उस समय स्टेशन पर लंगर लगता है। जिससे खाना बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती है।

सचखंड एक्सप्रेस में 6 जगह मिलता है लंगर


सचखंड एक्सप्रेस में सफर करने वाले यात्रियों को खाने की टेंशन नहीं रहती है। उन्हें फ्री में खाना मिलता है। बीते कई सालों से इस ट्रेन में यात्रियों को स्पेशल लंगर परोसी जाता है। सचखंड एक्सप्रेस 39 स्टेशनों पर रुकती है। इस दौरान 6 स्टेशनों पर यात्रियों के लिए लंगर लगता है। ट्रेन भी उसी हिसाब से उन स्टेशनों पर रुकती है कि लोग आराम से लंगर लेकर खा सकें। नई दिल्ली और डबरा स्टेशन पर दोनों तरफ से सचखंड एक्सप्रेस में लंगर लगता है। जिसके लिए यात्री पहले ही तैयारी करके आते हैं। इस दौरान सभी यात्रियों के हाथ में अपने बर्तन होते हैं। कोई अमीर गरीब नहीं होता है। हर किसी को लंगर का इंतजार रहता है। जनरल से लेकर एसी कोच तक के यात्री अपने बर्तन लेकर स्टेशन पर आ जाते हैं।

29 साल से चल रहा है लंगर

लंगर का मेनू रोज बदला जाता है। इसका खर्च गुरुद्वारों को मिलने वाले दान से निकलता है। आमतौर पर कढ़ी-चावल, छोले, दाल, खिचड़ी,की सब्जी, आलू-गोभी की सब्जी, साग-भाजी मिलती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 29 सालों में एक भी दिन ऐसा नहीं हुआ जब यहां पर खाना ना खिलाया गया हो। ये ट्रेन अगर लेट भी होती है तो सेवादार इंतजार में खड़े रहते हैं। रोज करीब 2000 लोगों के लिए लंगर तैयार किया जाता है।

क्या है इस ट्रेन का इतिहास?

ट्रेन को नांदेड़ और अमृतसर के बीच चलाया जाता है। 1995 में ये ट्रेन हफ्ते में एक बार चलती थी। इसके बाद इसमें थोड़ा बदलाव करके हफ्ते में दो बार चलाया गया। 1997-1998 के दौरान ये हफ्ते में 5 दिन चलने लगी। 2007 से ये ट्रेन रोजाना चलाई जा रही है। इस ट्रेन में लंगर सभी को दिया जाता है। जानकारी के मुताबिक, इस लंगर की शुरुआत सिख कारोबारियों ने की थी। जिसे बाद में गुरुद्वारे ने जारी रखा है।

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