Jammu and Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। LG मनोज सिन्हा ने आतंकी संगठनों से संबंध रखने के कारण जम्मू-कश्मीर के तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने का आदेश दिया है। तीनों कर्मचारी वर्तमान में जेल में हैं। वे अलग-अलग आतंकी मामलों में सजा काट रहे हैं। तीनों में से एक कर्मचारी की पहचान फिरदौस अहमद भट के रूप में हुई है, जो जम्मू-कश्मीर पुलिस का कांस्टेबल है। वह सर्विस के दौरान आतंकवादी संगठन लश्कर के लिए काम करता था।
अन्य दो कर्मचारियों की पहचान एक टीचर और एक वन विभाग के कर्मचारी के रूप में हुई है। उन्हें बर्खास्त करने की बड़ी कार्रवाई उपराज्यपाल सिन्हा की अध्यक्षता में सुरक्षा समीक्षा बैठक के बाद की गई। बैठक में उन्होंने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवादियों और पर्दे के पीछे के आतंकी नेटवर्क को बेअसर करने के लिए आतंकवाद विरोधी अभियान तेज करने का निर्देश दिया।
उपराज्यपाल ने यह भी कहा था कि आतंकवाद का समर्थन और फंडिंग करने वालों को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। एलजी सिन्हा ने कहा, "आतंकवाद के हर अपराधी और समर्थक को इसकी कीमत चुकानी होगी। हमें विश्वसनीय खुफिया जानकारी से लैस होने और आतंकवादियों को बेअसर करने तथा नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिक प्रभावी ढंग से काम करने की आवश्यकता है।"
फिरदौस अहमद भट को 2005 में SPO के रूप में नियुक्त किया गया था। 0011 में वह कांस्टेबल बन गया। उसे मई 2024 में गिरफ्तार किया गया। वह कोट भलवाल जेल में फिलहाल बंद है। फिरदौस भट को जम्मू-कश्मीर पुलिस में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी यूनिट के संवेदनशील पद पर तैनात किया गया था। हालांकि, उसने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करना शुरू कर दिया। फिरदौस भट का पर्दाफाश मई 2024 में हुआ जब अनंतनाग में दो आतंकवादियों वसीम शाह और अदनान बेग को पिस्तौल और हथगोले के साथ गिरफ्तार किया गया।
जांच में पता चला कि फिरदौस भट ने लश्कर के दो अन्य स्थानीय आतंकवादियों ओमास और आकिब को वसीम और अदनान को गैर-स्थानीय लोगों और अनंतनाग आने वाले पर्यटकों पर आतंकी हमले करने के लिए हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराने का काम सौंपा था। पूछताछ के दौरान उसने अपना अपराध कबूल करते हुए कहा कि वह साजिद जट्ट का करीबी सहयोगी था, जिसने उसे पाकिस्तान से एक बड़ा आतंकी नेटवर्क संचालित करने में मदद की थी।
तीनों ने की आतंकवादियों की मदद
निसार अहमद खान 1996 में वन विभाग में सहायक के रूप में शामिल हुआ था। वह अनंतनाग के वेरीनाग में वन रेंज कार्यालय में एक अर्दली के रूप में तैनात था। जांचकर्ताओं के अनुसार, वह गुप्त रूप से हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया। वह अलगाववादी ताकतों के साथ सहयोग करना शुरू कर दिया। वह आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के लिए जासूसी करता था। हिजबुल मुजाहिदीन के साथ उसके संबंध पहली बार साल 2000 में सामने आए थे, जब अनंतनाग जिले के चमारन में एक बारूदी सुरंग में विस्फोट हुआ था। यह हमला हिजबुल मुजाहिदीन ने किया था जिसमें जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन बिजली मंत्री गुलाम हसन भट की मौत हो गई थी।
खान और एक अन्य आरोपी ने तत्कालीन मंत्री और दो पुलिसकर्मियों की हत्या के लिए आतंकवादियों को रसद सहायता प्रदान की थी। उसने विस्फोट में इस्तेमाल किए गए RDX की तस्करी में भी मदद की और आतंकी हमले का समन्वय किया। उसे गिरफ्तार किया गया और उसके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया। लेकिन बाद में गवाहों के मुकर जाने और अदालतों के अंदर और बाहर डरावने माहौल के कारण 2006 में उसे बरी कर दिया गया। बाद के दिनों में कई आतंकी घटनाओं में उसकी संलिप्तता का भी खुलासा हुआ।
टीचर से लश्कर का कार्यकर्ता बना रियासी निवासी अशरफ भट को 2008 में रहबर-ए-तालीम शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद उसे जून 2013 में नियमित कर स्थायी शिक्षक बना दिया गया। शिक्षक के रूप में काम करते हुए अशरफ ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रति निष्ठा की शपथ ली और उसका सहयोगी बन गया। वर्ष 2022 में उसकी गतिविधियों का पता चला और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। वर्तमान में वह रियासी की जिला जेल में बंद है। जांच के दौरान पता चला कि अशरफ भट का हैंडलर पाकिस्तान में रहने वाला मोस्ट वांटेड लश्कर आतंकी मोहम्मद कासिम है।