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'...तो खुद कमाओ' 600000 रुपए मंथली गुजारा भत्ता मांगने वाली पत्नी को कोर्ट ने लगाई फटकार, Video देखकर हो जाएंगे हैरान!

viral video: कर्नाटक हाई कोर्ट की एक महिला जज ने एक महिला की अपने पूर्व पति से 6 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगने की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अगर वह इतना खर्च करना चाहती है तो वह कमाई शुरू कर सकती है। सुनवाई का वीडियो वायरल हो गया है

अपडेटेड Aug 22, 2024 पर 3:57 PM
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viral video: सोशल मीडिया पर अदालती कार्यवाही का वीडियो वायरल हो गया है

viral video: सोशल मीडिया पर कर्नाटक हाई कोर्ट के कार्यवाही का एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में एक महिला के वकील उसके पति से 6 लाख रुपये मासिक गुजारा भत्ता दिलाने के लिए दलीलें दे रहे हैं। महिला की दलील इतनी अजीबोगरीब थी कि सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की महिला जज को याचिकाकर्ता के वकील को फटकार लगानी पड़ी। महिला ने गुजारा भत्ता के लिए अपने पति से 6 लाख 16 हजार रुपए महीने की मांग की थी। पत्नी की इन मांगों पर कर्नाटक हाई कोर्ट की महिला जज ने उसे खुद कमाने की सलाद दे दी।

महिला के वकील ने अदालत को बताया कि पत्नी को जूते, कपड़े, चूड़ियां आदि के लिए 15,000 रुपये प्रति माह चाहिए। साथ ही घर में खाने के लिए 60,000 रुपये प्रति माह की जरूरत है। महिला के वकील ने अदालत को बताया कि इसके अलावा घुटने के दर्द और फिजियोथेरेपी तथा अन्य दवाओं के लिए उसे 4-5 लाख रुपये की जरूरत है।

'अदालत की प्रक्रिया का शोषण है'


सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि यह अदालत की प्रक्रिया का शोषण है। महिला जज ने आगे कहा कि अगर वह इतना पैसा खर्च करना चाहती है तो खुद कमा सकती है। जज ने कहा कि 6 लाख 16 हजार रुपए भला कौन महिला महीने पर खर्च करती है? क्या आप यह नियमों का गलत फायदा नहीं उठा रहे हो?

इस पर महिला के वकील ने कहा कि उनकी क्लाइंट यानि तलाक लेने वाली महिला सभी ब्रांडेड कपड़े और महंगे रेस्टोरेंट्स जैसी चीजों का प्रयोग करती हैं। इसपर जज साहिबा ने कहा कि यदि वह इतना ही ब्रांडेड सब कुछ करती हैं तो फिर खुद कमाएं न..।

जज की तीखी टिप्पणी

जज ने कहा, "कृपया अदालत को यह मत बताइए कि एक व्यक्ति को बस 6,16,300 रुपये प्रति माह ही चाहिए। क्या कोई अकेली महिला अपने लिए इतना खर्च करती है? अगर वह खर्च करना चाहती है तो उसे खुद कमाने दो। इसके लिए सिर्फ पति पर निर्भर नहीं रह सकती। आपके पास परिवार की कोई और जिम्मेदारी नहीं है। आपको बच्चों की देखभाल करने की जरूरत नहीं है। आप इसे सिर्फ अपने लिए चाहती हैं।"

जज ने महिला के वकील से भी उचित राशि लाने को कहा अन्यथा उसकी याचिका खारिज कर दी जाएगी। राधा मुनुकुंतला नामक महिला के खर्च का ब्योरा दाखिल न करने के मुद्दे पर 20 अगस्त को मामले की सुनवाई हो रही थी।

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क्या है पूरा मामला?

30 सितंबर, 2023 को फैमिली कोर्ट, बेंगलुरु ने उसके पति एम नरसिम्हा को उसे 50,000 रुपये मासिक भरण-पोषण देने की अनुमति दी थी। महिला ने इस अंतरिम भरण-पोषण राशि में वृद्धि का अनुरोध करते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था। याचिका पर जज के रुख की सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से सराहना की गई। वीडियो को खबर लिखे जाने तक 20 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है।

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