दीपक पाण्डेय/खरगोन
दीपक पाण्डेय/खरगोन
इन दिनों किसान पारंपरिक खेती के मुकाबले नगदी फसल की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। नगदी फसलों से किसानों की कमाई भी अच्छी होती है। कुछ ऐसे ही मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के किसान नगदी फसल कपास की बंपर पैदावार कर रहे हैं। खरगोन में कपास की खेती को सफेद सोने की खेती के नाम से जाना जाता है। यानी यहां की धरती सफेद सोना उगलने में पीछे नहीं है। किसानों कमाई बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से भी नई-नई टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। जिले में किसान सबसे ज्यादा बीटी कॉटन की बुवाई करते हैं।
इससे एक हेक्टेयर में 15 से 20 क्विंटल तक उत्पादन होता है। वही अगर नई किस्मों की बुआई हाई डेंसिटी प्लांटिंग सिस्टम (HDPS) तकनीक से करते हैं तो एक हेक्टेयर में आसानी से 40 क्विंटल तक उत्पादन हासिल कर सकते हैं। खरगोन के अलावा चीन, गुजरात, महाराष्ट्र में भी इस तरह कपास की खेती होती है।
बीटी कॉटन का दोगुना उत्पादन
कपास खरीब की मुख्य फसलों में से एक है। खरगोन में पाई जाने वाली हल्की से मध्यम काली मिट्टी कपास के लिए बेहतर मानी जाती है। खरगोन कृषि विभाग के उप संचालक एमएल चौहान ने local 18 से बातचीत करते हुए कहा कि अधिक उत्पादन के लिए हाई डेंसिटी प्लांटिंग सिस्टम के जरिए बुवाई करने की सलाह दी जाती है। इससे उत्पादन में दोगुना इजाफा होता है। वहीं कपास का उत्पादन बढ़ाने के लिए देशी किस्में किसानों को फ्री में दी जा रही हैं। किसान इन किस्मों के बीज बाजार से भी खरीद सकते है। इन किस्मों में सीएएन 1032 (बीएस), सीएएन 1028 (बीएस), सुरज बीटी (बीएस), रजत बीटी (बीएस), पीकेवी 081 बीटी (बीए) शामिल है।
जानिए कैसे करे कपास की खेती
दरअसल, HDPS सिस्टम से कपास की खेती करने पर उत्पादन के साथ मुनाफा भी दुगना होता है। इस तकनीक में 15 से 20 Cm की दूरी पर पौधे लगाए जाते हैं। लाइन से लाइन की दूरी 60 से 90 Cm होती है। एक हेक्टेयर में 55000 से 60,000 तक पौधों की संख्या होती है। पौधे की बड़वार को कम करने के लिए दो बार प्लांट की ग्रोथ को कंट्रोल करना होगा। इसके लिए लोयोसिन का उपयोग करें। पहली बार 40 से 45 दिन और दूसरी बार 60 से 65 दिन बाद इसका उपयोग करना होता है।
समय पर बुआई से मिलेगा फायदा
बता दें की इस साल HDPS तकनीक से लगभग 9000 किसान कपास की खेती करने की तैयारी में हैं। इन किसानों को 5000 हेक्टेयर के लिए बीज कृषि विभाग की ओर से मुहैया कराया जाएगा। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है की अच्छी पैदावार और पौधे की वानस्पतिक वृद्धि के लिए तामपान मेंटेन करना भी बेहद जरूरी होता है। 15 जून से लेकर जून महीनें के आखरी हफ्ते तक कपास की बुआई करने का सबसे अच्छा समय माना गया है।
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