Happy New Year: दुनिया के इस देश में सबसे पहले आया 2025, जानें कहां पर मनाया गया आखिरी न्यू ईयर
Happy New Year: दुनिया ने 2025 का नया साल अपनी-अपनी विशेष परंपराओं के साथ मनाया। किरिबाती के क्रिसमस आइलैंड पर पहला उत्सव हुआ, जबकि बेकर और हाउलैंड द्वीपों पर आखिरी। विभिन्न देशों ने समय क्षेत्रों के अनुसार आतिशबाजी, पार्टियाँ और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ नववर्ष का स्वागत किया, जो एकता और विविधता का प्रतीक बना
दुनिया में अलग-अलग समय में बदलता है साल का कैलेंडर
नया साल 2025 आते ही पूरी दुनिया खुशी और जोश के माहौल में डूब गई। हर देश ने अपनी अनूठी परंपराओं और अंदाज में 2024 को विदा कर नए साल का स्वागत किया। पृथ्वी के 24 टाइम ज़ोन की वजह से हर जगह नया साल अलग-अलग समय पर मनाया गया। 2025 का पहला सूरज किरिबाती के क्रिसमस आइलैंड पर उगा, जहां भारतीय समयानुसार 31 दिसंबर को शाम 3:30 बजे नया साल शुरू हुआ। वहीं, धरती के सबसे अंतिम कोने, हवाई के पास बेकर और हाउलैंड द्वीप पर, IST के अनुसार 1 जनवरी को शाम 5:30 बजे नया साल आया। भारत में जैसे ही घड़ी ने रात के 12 बजाए, आसमान आतिशबाजी से जगमगा उठा।
सड़कों पर जश्न का आलम था। कुछ लोग पार्टी में झूम रहे थे, तो कुछ ने मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर जाकर प्रार्थना की। बड़े शहरों में पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था दिखी।ऑकलैंड में रंगीन आतिशबाजी और सड़कों पर उमड़ी भीड़ ने माहौल को खास बना दिया। हर कोना उम्मीदों और उमंग से भरा नजर आया। यह जश्न नए सपनों और संभावनाओं का प्रतीक बन गया।
किरिबाती: नया साल सबसे पहले
दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित किरिबाती गणराज्य का क्रिसमस आइलैंड नया साल मनाने वाला दुनिया का पहला स्थान बना। भारतीय समयानुसार (IST) 31 दिसंबर को शाम 3:30 बजे यहां साल 2025 के कैलेंडर में बदल गया। इसके बाद न्यूजीलैंड के चैथम द्वीप में शाम 3:45 बजे नए साल का स्वागत हुआ। न्यूजीलैंड के प्रमुख शहर ऑकलैंड और वेलिंगटन ने IST के अनुसार शाम 4:30 बजे नववर्ष का जश्न शुरू किया। आतिशबाजी के साथ लोगों ने इसे यादगार बनाया।
प्रशांत महासागर: समुद्र के किनारे जश्न
टोंगा, समोआ और फिजी जैसे प्रशांत महासागर के द्वीपों में IST के अनुसार शाम 6 बजे नए साल का उत्सव शुरू हुआ। इन देशों में समुद्र के किनारे बड़ी पार्टियों का आयोजन हुआ और रातभर संगीत, नृत्य और आतिशबाजी से लोग झूमते रहे। सिडनी, मेलबर्न और कैनबरा जैसे ऑस्ट्रेलियाई शहरों ने भव्य आतिशबाजी से 2025 का स्वागत किया। सिडनी के ओपेरा हाउस और हार्बर ब्रिज पर हुए शो को दुनिया भर ने लाइव देखा।
एशिया: संस्कृति और आधुनिकता
एशियाई देशों में IST के अनुसार रात 8 बजे जापान और कोरिया ने नववर्ष मनाया। पारंपरिक रीति-रिवाजों और आधुनिक आतिशबाजी का मेल देखने को मिला। जापान में लोगों ने शिंटो मंदिरों में जाकर प्रार्थना की, जबकि कोरिया में पारंपरिक घंटा बजाकर नए साल का स्वागत किया गया। इसके कुछ ही देर बाद, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में रात 8:45 बजे नववर्ष का आगाज हुआ। चीन, सिंगापुर, और फिलीपींस में रात 9:30 बजे आतिशबाजी और संगीत कार्यक्रमों से सड़कों पर चहल-पहल बढ़ गई। दक्षिण-पूर्व एशिया के थाईलैंड, म्यांमार और वियतनाम में IST के अनुसार रात 10:30 से 12 बजे के बीच उत्सव शुरू हुआ। यहां पारंपरिक परिधान पहने लोग सड़कों पर जश्न मनाते नजर आए।
यूरोप और अफ्रीका: विविधता भरे जश्न
यूरोप में सबसे पहले IST के अनुसार रात 3:30 बजे रूस का सुदूर पूर्वी हिस्सा 2025 में प्रवेश कर गया। इसके बाद मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में रात 8:30 बजे से भव्य उत्सव हुआ। लंदन में IST के अनुसार रात 5:30 बजे बिग बेन की घंटियों के साथ नए साल का आगमन हुआ। अफ्रीकी देशों में IST के अनुसार रात 3:30 बजे से 6:30 बजे के बीच नए साल का जश्न मनाया गया। केप टाउन, साउथ अफ्रीका में आतिशबाजी के साथ समुद्री किनारों पर विशेष आयोजन हुए।
अमेरिका: अंतिम जश्न का दौर
नॉर्थ और साउथ अमेरिका में IST के अनुसार 1 जनवरी की सुबह से लेकर दोपहर तक नए साल का जश्न चला। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर IST के अनुसार सुबह 10:30 बजे बॉल ड्रॉप के साथ नया साल मनाया गया। ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में समुद्र तट पर लाखों लोग सफेद कपड़े पहनकर खुशियां मनाते दिखे।
पृथ्वी पर सबसे अंत में नया साल
धरती पर सबसे अंत में नया साल हवाई के पास स्थित बेकर और हाउलैंड द्वीप पर मनाया गया। यहां भारतीय समयानुसार 1 जनवरी को शाम 5:30 बजे 2025 का आगमन होगा। ये निर्जन द्वीप अपने अलग समय क्षेत्र के कारण खास माने जाते हैं।
टाइम ज़ोन और नववर्ष का अंतर
पृथ्वी के 24 टाइम ज़ोन के कारण हर जगह नया साल अलग-अलग समय पर आता है। यह समय ज़ोन देशांतर रेखाओं पर आधारित हैं। भारत का मानक समय (IST) कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (UTC) से 5 घंटे 30 मिनट आगे है। लगभग 40 देश भारत से पहले नया साल मनाते हैं। यह विविधता दिखाती है कि कैसे पृथ्वी का घूमना हमारे समय को परिभाषित करता है और इसे खास बनाता है। 2025 का यह जश्न न केवल समय का, बल्कि संस्कृति, परंपराओं और एकता का भी प्रतीक है।