Pakistan: आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan) में आटे के लिए हाहाकार मचा हुआ है। हालात इतने बुरे हो गए हैं कि आम जनता एक वक्त के लिए रोटी तक का जुगाड़ नहीं कर पा रही है। पूरा मुल्क गेहूं संकट से जूझ रहा है। जिससे आटे के दाम में भी जोरदार इजाफा देखने को मिल रहा है। सब्सिडी वाला आटा पाने के लिए लोग मारामारी पर उतर आए हैं। लोग घंटों में लाइन में लगे हुए हैं। कुछ जगहों पर झड़प की भी खबरें सामने आ रही हैं। इसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं। पाकिस्तान के सिंध में बड़ी संख्या में लोग आटे की थैली के लिए लड़ रहे हैं।
पाकिस्तान में आटे के दाम 160 रुपये प्रति किलो ऊपर पहुंच गए हैं। सब्सिडी वाला आटा पाने के लिए लंबी कतारें लगी हुई है। लोग लाइन में खड़े रह जाते हैं और आटे का स्टॉक खत्म हो जाता है। मांग ज्यादा और आपूर्ति कम होने के चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
आटे के लिए मारपीट, वीडियो वायरल
ऐसे ही सब्सिडी वाला आटा पाने के लिए एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें एक शख्स को आटे का बैग मिल जाता है। उससे लोग झपटकर खींच रहे हैं। इस पर आपस में झड़प हो जाती है। आटे का बैग लिए शख्स सड़क पर गिर जाता है। लेकिन वो आटे का बैग नहीं छोड़ रहा है। 15 किलो आटे का बैग 2,050 रुपये में बिक रहा है। अभी तक सिर्फ दो हफ्ते पहले इसकी कीमत 300 रुपये थी। गेहूं उपज में आगे रहने के बावजूद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत भी आटा महंगा बिक रहा है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में 20 किलो आटा की बोरी 3,100 रुपये तक मिल रही है। पाकिस्तान में सरकार आटा और गेहूं के दाम कंट्रोल करने में नाकाम रही है।
ऐसे ही सोशल मीडिया में एक और वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें शख्स आटे के ट्रक का पीछा कर रहा है। शख्स कर रहा है कि पैसे ले लो आटा दे दो। शख्स बार-बार आटा देने की गुहार लगा रहा है। इस बीच एक आवाज आती है कि आटा का स्टॉक खत्म हो चुका है। गेट बंद करो....
इस संकट के लिए कौन जिम्मेदार?
इस संकट के लिए खाद्य विभाग और आटा मिलों (food department and flour mills) को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। बेहतर व्यवस्था नहीं होने के चलते संकट पैदा हुआ है। बलूचिस्तान के खाद्य मंत्री जमारक अचकजई (Zamarak Achakzai) ने कहा कि प्रदेश में गेहूं का स्टॉक पूरी तरह से खत्म हो गया है। वहीं पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सीएम परवेज इलाही ने स्टॉक भेजने का वादा किया था। लेकिन वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है। जमारक ने कहा कि बलूचिस्तान गेहूं के लिए 85 फीसदी पंजाब और सिंध पर निर्भर है।