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₹54 लाख की नौकरी छोड़ खड़ा किया नया बिजनेस मॉडल, अब अपनी पसंद के काम से कमा रहे पैसे

कोलकाता के रहने वाले परनताप चौधरी ने 7 साल की कॉर्पोरेट जॉब में काफी पैसे कमाए। उनकी सैलरी सालाना 54 लाख रुपये तक पहुंच गई थी। वह कई दर्जन लोगों की टीम को लीड कर रहे थे। लेकिन, कामकाज में काफी ज्यादा व्यस्त होने की वजह से वह अपने लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे

अपडेटेड Dec 03, 2024 पर 7:29 AM
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करीब छह महीने पहले सोशल मीडिया पर परनताप चौधरी काफी चर्चा में रहे थे। उन्होंने सालाना 54 लाख रुपये सैलरी की जॉब छोड़कर अपनी पसंद के हिसाब से जीने का फैसला किया था।

करीब छह महीने पहले सोशल मीडिया पर परनताप चौधरी काफी चर्चा में रहे थे। उन्होंने सालाना 54 लाख रुपये सैलरी की जॉब छोड़कर अपनी पसंद के हिसाब से जीने का फैसला किया था। वह स्कावयर यार्ड्स में असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट थे। लेकिन, वह अपनी नौकरी से खुश नहीं थे। कुछ हफ्तों के ब्रेक के बाद उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर लिखने का फैसला किया। उनका प्लान लिंक्डइन पर अपना अनुभव शेयर करना और उनकी जैसी स्थिति में फंसे दूसरे लोगों की मदद करना था। तब उनके सामने अपनी पसंद का काम शुरू करने का भी चैलेंज था। आज चौधरी अपनी पसंद का काम कर रहे हैं और पैसे भी कमा रहे हैं।

एक घंटे की कंसल्टेंसी का चार्ज 6000 रुपये

32 साल के चौधरी (Parantap Choudhary) ने कंसल्टिंग का काम शुरू किया है। उन्हें सेल्स टीम को लीड करने और उन्हें प्रशिक्षित करने का व्यापक अनुभव था। उन्होंने अपने इस अनुभव के दम पर नया करियर बनाने का फैसला किया। आज वह कई तरह की कंसल्टेंसी दे रहे हैं। एक घंटे के लिए वह 6,000 रुपये लेते हैं। अक्टूबर में उन्होंने एक लाख रुपये से ज्यादा कमाई की थी। नौकरी छोड़ने के कुछ ही महीनों के अंदर अपने पैर पर खड़े होने की यह ऐसी मिसाल है, जो कई युवाओं को प्रेरित कर सकती है।


सेल्स फील्ड में कोचिंग देने वाले बहुत कम लोग

मनीकंट्रोल ने चौधरी से बातचीत कर उनके नए बिजनेस मॉडल के बारे में जानने की कोशिश की। वह लोगों को सेल्स कोचिंग देते हैं। वह कंपनियों को भी कोचिंग देते हैं। वह 'सेल्स एक्सलरेटर प्रोग्राम' के तहत कंपनियों को बिजनेस कंसल्टेंसी भी देते हैं। भीड़भाड़ वाली कोचिंग इडस्ट्री में चौधरी ने अपनी अलग पहचान बनाई है। देश में सेल्स के फील्ड में कोचिंग देने वाले बहुत कम लोग हैं। क्लाइंट्स तलाशने का उनका तरीका भी बिल्कुल अलग है। लिंक्डइन और व्यक्तिगत संपर्क के जरिए क्लाइंट्स उन तक पहुंचते हैं। वह बताते हैं, "मैं ऐड नहीं देता। मैं लिंक्डइन पर लिखता हूं, जिससे लोग मेरे पास आते हैं।"

लिंक्डइन के जरिए आता है ज्यादातर बिजनेस

चौधरी का 80 फीसदी बिजनेस लिंक्डइन के जरिए आता है। बाकी रेफरल से आता है। अपने नए करियर के बारे में उन्होंने बताया, "यह मुझे पसंद है। मैं अपने लिए समय चाहता है। इसके लिए मैंने अपनी कॉर्पोरेट की जॉब छोड़ी थी। अब मैं रियल प्रॉब्लम्स का समाधान निकालता हूं। मेरे लिए हर चैलेंज एक साहसिक अभियान की तरह है।" नवंबर में उनके कोचिंग स्लॉट्स तेजी से भर रहे हैं। मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले चौधरी ने सात साल हाई प्रेशर वाली नौकरी में बिताए। उन्हें हर हफ्ते 70 घंटे काम करना पड़ता था। उन्हें खुद के लिए कोई समय नहीं मिल पाता था। आज वह अपनी पसंद के हिसाब से जिंदगी जी रहे हैं।

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