भगवान श्री राम की तपस्थली चित्रकूट अपने धार्मिक आध्यत्मिक महत्व के लिए दुनिया भर में मशहूर है। यहां भाद्रपद की सोमवती अमावस्या पर लाखों भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। हर अमावस्या को यहां मेला लगता है। लोग चित्रकूट की परिक्रमा करते हैं। इसमें लाखों की तादाद में भक्त आते हैं। इस बीच सोमवती अमावस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने परिक्रमा पथ पर प्रसाद नारियल विक्रेताओं को कच्चा नारियल बेचने से रोक लगा दिया। जिससे पूरे परिक्रमा पथ पर लोगों को कच्चा नारियल नहीं मिला। बहुत से श्रद्धालु बिना नारियल फोड़े ही परिक्रमा करते हुए आगे बढ़ गए। वहीं यहां पर सूखा नारियल भी मिलता है। जिसे पूजा में इस्तेमाल किया जाता है।
बता दें कि भाद्रपाद और सोमवती अमावस्या के अद्भुत संयोग की वजह से इस बार भक्तों की संख्या बढ़ गई थी। भक्त यहां अमावस्या के एक दिन पहले से पहुंचना शुरू कर देते हैं। मेले में भीड़ को कंट्रोल करने के लिए प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी की जाती है।
धर्मनगरी चित्रकूट में कच्चे नारियल की बिक्री पर लगी पाबंदी
दरअसल, चित्रकूट आने वाले लोग परिक्रमा करते हैँ। यह परिक्रमा करीब 5 किमी है। परिक्रमा पथ पर कई मंदिर आते हैं, जहां लोग दर्शन करते हुए परिक्रमा करते हैं। प्रशासन ने इस बार दुकानों में कच्चे नारियल की बिक्री पर रोक लगा दी है। परिक्रमा पथ पर भक्त बड़ी संख्या में नारियल फोड़ते हैं। प्रशासन का तर्क है कि कच्चा नारियल फोड़ने पर पूरे परिक्रमा पथ पर पानी बहता है। जिससे फिसलन बढ़ जाती है। लाखों की संख्या में भक्त परिक्रमा करते हैँ। ऐसे में उनके गिरने का खतरा बढ़ सकता है। लिहाजा किसी भी अनहोनी को टालने के लिए प्रशासन ने परिक्रमा पथ पर कच्चे नारियल की बिक्री पर रोक लगा दी थी। वहीं परिक्रमा पथ के अलावा चित्रकूट के अन्य धार्मिक स्थलों पर भी कच्चे नारियल की बिक्री पर रोक लगा दी गई है।
15 लाख लोग पहुंचे चित्रकूट
प्रशासन का दावा है कि सोमवती अमावस्या पर करीब 15 लाख लोग चित्रकूट आए हैँ। सोमवती अमावस्या होने के कारण जहां महिलाएं और पुरुष परिक्रमा करते हैं। वहीं भगवान शिव का दिन सोमवार होने के कारण कामतानाथ मंदिर के अलावा महाराजाधिराज मतगजेंद्र स्वामी के मंदिर में भी जलाभिषेक करने वालों की भीड़ लगी हुई थी।